(Story) खजुराहो की तीसरी शाम यास्मिन सिंह के नाम

खजुराहो की तीसरी शाम यास्मिन सिंह के नाम
(संसार सारं सदा वसंतम )

रवीन्द्र व्यास

खजुराहो डांस फेस्टिवल की तीसरी शाम  की शुरुआत प्रख्यात न्रत्यांगना लीना नंदा के ऑडसी नृत्य से हुई , पर इस शाम कत्थक न्रात्यांगना ज्योत्सना सिंह वा आरती सिंह  की मनमोहक और भाव पूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा | तीसरी और आखरी प्रस्तुति ज्योत्सना जगन्नाथन के भरतनाट्यम की हुई |

कथक  शास्त्रीय न्रत्य की ऐसी विधा है जिसमे  कथा के कथानक पर नृत्य की भाव पूर्ण प्रस्तुति दी जाती है | रायपुर से आई यास्मिन सिंह ,और आरती सिंह के ग्रुप ने  ये प्रस्तुति दी | जिसमे अनादी अनंत प्रभु की लीलाओं को विशुद्ध गीत की बंदिशों के साथ पेश किया | राजगढ़  घराने की कत्थक न्र्त्यांगना  यास्मिन सिंह वा आरती सिंह ने शिव आराधना के साथ नृत्य पेश किया | ठाट ,सवाल जबाब ,ठुमरी ,मध्यलय, गंगा अवतरण , आदि की प्रस्तुतियां दी | उन्होने द्रोपदी के चीर हरण के प्रसंग की प्रस्तुति दे कर दर्शकों को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया|
घोडे की चाल ,हिरन की चाल , के बाद  गत निकाश की प्रस्तुति दी , जिसमे उन्होने श्री कृष्ण की गत ,मयूर की गत की केसे बादलों की पहली बूंद जमीन पर गिरती है और मयूर मिटटी की सोंधी खुसबू से केसे भाव विभोर होता है और मयूर नाच उठता है  | एसा चित्रण था मानो स्वाम मयूर मंच  पर आ गया हो | रुक्शार की गत  जिसमे हाथ की मुद्रा बनाकर तबले के साथ चलना होता है |  उनके साजिंदों ने भी उनका भरपूर साथ दिया |

श्रीमती यास्मिन सिंह ने  इसे अपने लिए गोरव पूर्ण छड  बताया , उनका कहना है की पहली बार इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुति देने का मोका मिला है जिसकी अभिलाषा हर कलाकार की होती है | उनका मानना है की आज भी शास्त्रीय नृत्य शास्वत सत्य के समान है जिसे हर कोई पसंद करता है |

कार्यक्रम के प्रारम्भ में उस्ताद अलाउदीन खान संगीत एवं कला अकादमी के श्री तेलंग ने यास्मिन सिंह ,आरती सिंह,और आर.पी. सिंह का सम्मान किया |