(Article) बुन्देलखण्ड केलिए आत्मघाती साबित होगा! सरकार की मेहरबानी का विशेष पैकेज

बुन्देलखण्ड केलिए आत्मघाती साबित होगा! सरकार की मेहरबानी का विशेष पैकेज


लम्बे समय से सूखे और बाढ़ से तवाह बुन्देलखण्ड पर तरस खाकर भारत सरकार नें यहां राहत के नाम पर भारी भरकम विशेष पैकेज की व्यवस्था कर अपने कर्तव्य के निवार्ह का अहसास कर लिया। जिन लोगों की इस पैकेज में हिस्सेदारी बननी है, वह तो इस पैकेज की तारीफ करते नहीं अघाते। लेकिन यहां की आपदाओं से तंगेहाला हर बुन्देला जानता है कि यह पैकेज उन्हें और भी अधिक तवाह करनें वाला होगा। (अवधेष गौतम )



यह सच्चाई तो बुन्देलखण्ड का जन; जानता है लेकिन जानकार शायद बहुत कम ही लोग जानते और मानते हैं कि, यहां की तवाही का कारण और कुछ नहीं बल्कि आजादी से आजतक के विकास की नीति और नियति में दोष ही है। विशेष पैकेज को खर्च करनें केलिए आज तक जो योजनाएं बनाई गयी हैं उनमें पुरानी जैसी योजनाओं को और भी अधिक गति देनें और बड़ी बड़ी परियोजनाओं को ही गति देने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं इन सब का रास्ता पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप की और ही मोड़ा जा रहा है।

इस पैकेज की समीक्षा केलिए प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा करना आवष्यक होगा। विशेष पैकेज की योजनाओं में, विद्युत और सिचाई की बड़ी परियाजनाएं, गहरे नलकूप, 50 से भी अधिक भरवहन क्षमता की चैड़ी सड़कें, नदियों पर बड़े पुल, तटबन्घ और बांध। निष्चित रूप से यह संसाधन चन्द अमीरों केलिए कुछ सुख सुविधाएं उपलव्ध कराते होंगें लेकिन इनके दुष्परिणाम तो बहुसंख्यक सामान्य और गरीब लोगों को ही भुगतनें पड़ते है। जिनकी समीक्षा करना भी आवश्यक है।

विशेष पैकेज से काम शुरू होनें के बाद अब प्राकृतिक संसाधनों के दोहन केलिए स्थानीय विकास में उपयोग का बहाना मिल जायगा। इसलिए अब ग्रेनाइट का खनन 300 फीट की बजाय 500 फीट की गहराई में जाकर किया जायगा तथा नदियों से मोरम निकालनें केलिए अब 200 फीट की गहराई की बजाय 400 फीट की गहराई में लिफ्रटर लगा कर पानी और बालू उलीची जायगी। बुन्देलखण्ड भर में लगे 1500 स्टोनक्रेसर विकास केलिए गिट्टी नहीं बना पाएंगें इसलिए अब इनकी संख्या बढ़ कर 5000 हजार से भी अधिक हो जायगी।

योजनायों की समीक्षा के बाद इसके परिणामों की भी समीक्षा किया जाना भी उतना ही जरूरी है। अभी तक यहां की केवल दो नदियां यमुना और चम्बल ही प्रदूषित पानी बहा कर लाती थी लेकिन इस विकास के बाद तो सारी नदियां ही प्रदूषित हो जाएंगी और सूख जाएंगी। जिससे यहां के भूगर्भ के जल का स्तर तो प्रभावित ही होगा साथ ही वातावरण की आद्रता का भी छरण होगा जो यहां और भी अधिक सूखे का कारण बनेगा।

पत्थर खोदनें केलिए पहाडों की तलहटी में अत्यधिक गहराई में किए जानें वाले डायनामाइट के भयानक विस्फोटों के कारण भूगर्भ की चट्टानों में आनें वाली दरारों से पानी रिस कर और भी अधिक गहराई में चल जाएगा। जिससे भूगर्भ का जलस्तर और भी अधिक नीचे चला जाएगा। यहां शाक और हर्ब श्रेणी के पौधे तो पहले ही नश्ट हो चुके है। अब ट्री श्रेणी के पेढ़ भी नष्ट हो जाएगें जो यहां की जलवायु परिवर्तन का कारण बनेगी।

बड़ी संख्या में लगनें वाले स्टोनक्रेसर्स से उड़नें वाली स्टोन डस्ट यहां के खेतों में पट जायगी जो यहां की खेती की सम्भवनाओं को ही नष्ट कर देगी। मौजूदा वारिश के मौसम में ही सैण्ड स्टार्मिंग की स्थिति लगातार बनी हुई है आगे चलकर यह एक समस्या ही बुन्देलखण्ड को रेगिस्तान में बदल देनें केलिए काफी साबित होगी।

विकास के बहानें किसानों से अधिगृहीत कि जानें वाली उनकी जमीनों के कारण किसान का जमीर ही हिल जायगा। अभी तक तो किसानों के खेत ही अधिगृहीत किए जाते रहे है। लेकिन बड़ी परियोजनाओं केलिए अब गाॅव अधिगृहीत किए जानें वाले हैं, जिसकारण लोग अब सामाजिक विस्थापन के शिकार होंगे। और किसी एक व्यक्ति का सामाजिक विस्थापन पूरे गांव को हिला कर रख देता है। यहां तो गांवों का सामाजिक विस्थापन होनें वाला है। इसके परिणामों का विश्लेषण शायद यह विकास के पहरुवे नहीं कर पा रहे। इस प्रकार जिस समस्या के समाधान केलिए यह बुन्देलखण्ड पैकेज है, उसके के पूरा खर्च हो जाने के बाद समस्या के और अधिक मुकम्मल और जटिल हो जानें की भरोसेमन्द सम्भावना है।

जिन लोगों नें इस पैकेज की घोशणा की और जो लोग आज उस पैसे के खर्चे पर योजनाएं बना रहे हैं उनसे चन्द सवाल हैं:-

  • क्या उन्होंनें अभी तक की विकास नीति और नियति पर कभी समीक्षा की या कराई।
  • क्या उन्होंनें बुन्देलखड की समस्या के कारण और उसके परिणाम को जानने की कोषि की।
  • क्या उन्होनें समस्या समाधान व उसके विकल्पों पर उन्होंनें कोई अध्ययन किया या कराया।
  • क्या समस्या समाधान में स्थानीय ज्ञान तकनीकि और स्थानीय संसाधनों का महत्व है। (सिवा बालू और पत्थर के)

यदि हां - तो आम बुन्देली जनमानस से उसे क्यों छिपाया जा रहा है।, यदि नहीं- तो क्यों?

Comments

Dear Sirs,

Thank you for this information. I sincerely appreciate your portal which in fact keeps me in touch with the realities of my region.

What you have reported here about the special package and how it is detrimental to the region is very worrisome. This needs that lot of right minded people get together and do something about it.

I am out of Bundelkhand and am helpless in mobilizing the people but the ones who happen to be living there have to do this or else how can we save what we call our motheland.

I was to do a film on Bundlkhand so as not only to recreate the history and glory of Bundelkhand but neither the netas nor the babus are interested in helping me doing that. I thought that way I would serve the region that has helped me attain what I have today.And unfortunately the project is so big that I cannot do it with my own resources.so...

Thanks once again for keeping me informed.

ashok kumar