(Article) शिक्षा का अधिकारी बिन गुणवक्ता के बेकार

शिक्षा का अधिकारी बिन गुणवक्ता के बेकार

सरकार द्वारा प्रशंसनीय प्रयास किया गया एवं शिक्षा के अधिकार को कानून बना दिया गया यह वाकई दृण इच्छाशक्ति के बिना संभव नही था अब सरकार पर यह जिम्मेदारी होगी की बच्चे के घर के 1 किमी के दायरे में स्कूल खोला जाये एवं षिक्षा की व्यवस्था बच्चे के घर से यथा संभव नजदीक से नजदीक ही रखी जाये परन्तु विचार करने योग्य तथ्य यह है कि वर्तमान में सरकार द्वारा जो विद्यालय संचालित किये जा रहे है वहां सें शिक्षित होके जो बच्चे आ रहे है क्या वह वाकई शिक्षित है एवं क्या वह आज की प्रतियोगिता के युग में वाकई सरकारी स्कूलों में प्रदान की जा रही शिक्षा के बल पर अपने आपको खड़ा कर पायेंगे शायद नहीं यदि शिक्षा पाकर भी इन बच्चों को रोजगार के रूप में पैतृक खेती अथवा अकुशल श्रमिक का कार्य ही करना है तो यह कार्य तो बिना शिक्षा के भी हो सकता है वाकई यह शोध का िषयं है कि प्रशिक्षित शिक्षक, भवन, निशुल्क पुस्तक, मध्यान्ह भोजन आदि सुविधाओं से युक्त इन विद्यालयों में ऐसा कौन सा अभिशाप है कि यहां से निकले बच्चे अगली कक्षा में जाने लायक भी नही होते है यदि होते भी है तो वह प्रतिशत इतना कम है कि न के बराबर मानना ही बेहतर है।

ऐसी क्या समस्या है इन शिक्षकों के साथ कि इनके पढ़ाये बच्चे कहीं आत्म विश्वास से खड़ें भी नही हो सकते यदि हम गुणवक्तापरक शिक्षा की बात करें तो वर्ष में गुणवक्ता के नाम पर शिक्षको को प्रशिक्षण ही करा दिया जाता है उक्त प्राशिक्षण के पश्चात क्या कार्यवाही शिक्षकों द्वारा की जा रही है इस पर गौर करने वाला कोई भी नही होता है वास्तव में कुछ शिक्षक पूर्ण निष्ठा से कार्य करते भी है तो उन पर कार्य का सारा बोझ लाद दिया जाता है एंव वह चाहकर भी बच्चो के शिक्षण कार्य में नही लग पाते,  दूसरी समस्या; यहां मेहनत करने वाले को कोई पुरूस्कार नही दिया जाता एवं काम से जी चुराने वाले को कोई दण्ड नहीं मिल पाता जिस कारण माहौल लगभग अकर्मण्यता का बनता जा रहा है ।

विभागीय अधिकारी जो कि उक्त व्यवस्था के अनुश्रवण के लिये होते है कार्यालय में बैठकर कागजी कार्यवाही में ही लगे रहते है एवं कार्यवाही के नाम पर किसी एक शिक्षक को निलबित कर दिया जाता है अथवा उसका वेतन काट लिया जाता है आखिर इन अधिकारीयों से पूछने वाला कौन है कि एक या दो स्कूल की हालत खराब होने पर शिक्षक दोषी हो सकते हैं पर यदि एक या दो स्कूल ही अच्छी हालत में मिलें एवं शेष की हालत खस्ता हो तो उसके लिये तो प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।

यें पंक्ति इस व्यवस्था पर सटीक बैठती है कि...
        एक गाड़ी सुन्दर है सजी धजी है आकर्षक है सीट भी गददेदार लगी है परन्तू चलती नही है तो वह गाड़ी नही कुछ और है।

अभिषेक शर्मा