(News) खजुराहो के शिल्प ने खूब लुभाया पर्यटकों को

खजुराहो के शिल्प ने खूब लुभाया पर्यटकों को 

खजुराहो दुनिया में अपने आप में एक एसा स्थान है जिसका किसी से मुकाबला नहीं किया जा सकता है |  यहाँ के मंदिरों में जीवन की फिलोअस्फी छिपी है  | दुनिया के किसी भी मंदिर या दूसरे स्थानों पर आपको सिर्फ एक पहलू नजर आयेगा पर यहाँ आपको  धर्म, अध्यात्म, योग , भोग  जिंदगी का दर्शन सभी कुछ देखने को मिलेगा | यही  कारण है की खजुराहो के इन मंदिरों को देखने के लिए देश दुनिया से रिकार्ड संख्या में  पर्यटक आये | इस बार जो  पर्यटक आये उनने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए | 

खजुराहो के भारतीय पुरातत्व के प्रमुख राहुल तिवारी ने बतया की   खजुराहो  के मंदिरों को इस बार 97356  विदेशी  और  2 लाख 53 हजार  544  भारतीय पर्यटकों ने खजुराहो के मंदिरों को देखा  खजुराहो के इतिहास  में अब तक का ये सबसे बड़ा रिकार्ड है |  2010  में 234954  भारतीय  और 90721  विदेशी  पर्यटकों ने  दुनिया की इस अनुपम कला को देखा |   

 पिछले एक दशक में देखा जाये तो  इस दशक की शुरुआत  पर्यटकों की संख्या में गिरावट से हुई थी | 2000  में जहां 54417  विदेशी  और 185639 भारतीय पर्यटक आए  वहीँ  2001  में इनकी संख्या 51718 और 159582 ,वर्ष 2002 में तो और गिरावट आई 24093  और 122617  पर्यटक ही आये | 2003 में कुछ सुधार हुआ 34436  और 125570  पर्यटक आये | 2004  में पर्यटकों की संख्या में उछाल आया इस साल 63090 विदेशी और 140466 भारतीय पर्यटकों ने मंदिरों को देखा | 2004  से शुरू हुआ पर्यटकों के आकर्षण का यह सिलसिला बरकरार है | और हर साल पर्यटकों में खजुराहो का आकर्षण बढता ही जा रहा है | खजुराहो आने वाले टूरिस्टों में इटली ,फ़्रांस , स्पेन,हालेंड , अमेरिका,ब्रिटेन,जर्मनी ,कोरिया,जापान, के टूरिस्ट ज्यादा आते हें |

खजुराहो आये स्पेन के गिओवाने (giovane) कहते हें की उन्होने काफी पहले खजुराहो के बारे में सुन रखा था , तभी से उन्होने खजुराहो  आने के बारे में तय किया था \ खजुराहो को नेट पर सर्च किया  फिर यहाँ आये | जब यहाँ आये तो हमने जो सुन रखा था उससे कही ज्यादा बेहतर यहाँ पाया | ये एक दम शांत जगह है  यहाँ के मंदिरों की कला कृतियाँ तो एक दम अदभुत हें | होलैंड की  श्रीमती लोमेलार्स ( lomlers)  कहती हें की दुनिया में खजुराहो के मंदिर अपने आप में अनोखे हें | 

यहाँ ट्रेवेल एजेंसी के प्रबंधक अजय कश्यप ने बताया की मध्य भारत का छोटा टूरिस्ट  इलाका है , मंदिरों के साथ  यहाँ का शांत और प्राक्रतिक वातावरण विदेशी टूरिस्टों को खूब भाता है , विदेसी  टूरिस्ट  यहाँ कामसूत्र  और यहाँ  के आर्किटेक्ट को देखने आता है | वे मानते हें की हवाई यातायात से जुडे होने के कारण संपन्न विदेशी टूरिस्ट तो यहाँ आ जाते हें किन्तु खस्ता हाल सड़कों के कारण मध्य वर्ग के टूरिस्ट यहाँ आने से परहेज करते हें | यदि सड़कों और रेल की बेहतर व्यवस्था हो हो जाए तो यहाँ देशी टूरिस्टों के साथ विदेशी टूरिस्टों की भी संख्या बढ जायेगी | 

By: रवीन्द्र व्यास