(News) प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड इलाके में स्थापित बीना रिफाइनरी का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड इलाके में स्थापित बीना रिफाइनरी रिफाइनरी का शुभारंभ किया

https://bundelkhand.in/images/2010/pm-beena-factory.jpgप्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश में वर्ष 2012 तक रिफाइंड पेट्रोलियम पदार्थो का उत्पादन 2380 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है। इस पर तेजी से काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने राज्य के बुंदेलखंड इलाके में स्थापित 12 हजार करोड़ रुपये लागत की बीना रिफाइनरी देश को समर्पित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बटन दबाकर इस रिफाइनरी का शुभारंभ किया। यह रिफाइनरी बीना के पास आगासोद में स्थापित की गई है। प्रधानमंत्री ने इसे एक विश्वस्तरीय परियोजना बताते हुए कहा कि इससे बीना के साथ-साथ पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। मध्यप्रदेश की राजस्व आय बढ़ेगी और लगभग 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा सहायक उद्योग लगने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कंपनी अपने सामाजिक दायित्वों के तहत स्थानीय लोगों की भलाई के लिए काम करती रहेगी।

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड में लगातार सूखा पड़ना बहुत चिंता की बात है। इस क्षेत्र पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था उतना नहीं दिया गया। इसीलिए वर्ष 2009 में बुंदेलखंड पैकेज लागू करने का फैसला लिया गया। बुंदेलखंड पैकेज में मिट्टी और पानी के बचाव पर ज्यादा जोर दिया गया है, ताकि खेती और पशुपालन से जुड़े कामों को बढ़ावा मिल सके। बुंदेलखंड पैकेज की कामयाबी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कोशिश करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के इस क्षेत्र में यह पहली ग्रास रूट रिफाइनरी है। यह पूरे भारत देश और मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है कि भारत पेट्रोलियम कम्पनी लिमिटेड, ओमान ऑइल कंपनी और मध्यप्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास से इस परियोजना की स्थापना हुई है।

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थ-व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिये सस्ते दामों पर पर्याप्त ऊर्जा की आवश्यकता है। भविष्य में काफी समय तक हाइड्रो कार्बन्स हमारी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा जरिया बने रहेंगे। इसलिये हमें पर्याप्त रिफाइनिंग क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है। यह प्रसन्नता की बात है कि भारत की रिफाइनरी क्षमता 1998 के 620 लाख टन से बढ़कर अब 1870 लाख टन हो गई है। वर्ष 2012 तक इस क्षमता को 2380 लाख टन तक बढ़ाने की परियोजना पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम न सिर्फ रिफाइंड पेट्रोलियम पदाथरें की अपनी जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर हैं बल्कि इस तरह के उत्पादों के एक बड़े निर्यातक भी बन गए हैं। वर्ष 2010-11 में भारत ने 560 लाख टन से अधिक पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया जिससे देश को लगभग 4 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।

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Courtesy: jagran.yahoo.com