(Article) क्या बुद्ध ने भी किसी के कान ऐंठे थे ?
क्या बुद्ध ने भी किसी के कान ऐंठे थे ?
चित्रकूट जनपद के मानिकपुर विकास खंड में ब्लाक
प्रमुख के शपथ ग्रहण दुसरे अन्य ब्लाक प्रमुखों के शपथ ग्रहण से हट
कर दिखा. १९८०-८१ से
मानिकपुर सामंतो तथा वनवा
ग्राम्य विकास मंत्री की ओर से अच्छे व्यक्ति को राजनीती में लाना सकारात्मक प्रयास है . यदि राजनीती में गंदे लोग आते रहे तब अच्छे कामो की आशा करना उचित नहीं है किन्तु अच्छे व्यक्ति को राजनीती में रुकना भी एक समस्या है. आज ददू प्रसाद ने गाँवो में नियुक्त सरकारी अधिकारी जो पहले ग्राम्य सेवक था उसके कान एंठने की जिम्मेदारी प्रधानो को ब्लाक प्रमुख को दी . आरोप था की गाँव के सेक्रेटरी लेखापाल दोनों गाँव के संम्पन्न लोगो के कहने पर चलते है. नरेगा में प्रधान प्रस्ताव बनवाये नरेगा का धन केवल जल जंगल नदी तालाबो के लिए दे .
सिंघस्रोत बरगढ़ की माहिलानो ने नरेगा को अपनी शक्ति से नदी में हासिल किया. नहीं लिया सहारा प्रधान का और न है प्रधान ने नदी में नरेगा लाने के लिए कोई मदद है किया. कैसे बदलेंगे यह सरकारी लोग . इनकी भी समस्याए है . एक व्यक्ति से आप कितना काम ले सकते है. गाँव का सेक्रेटरी , टीचर ,लेखापाल ए एन एम आंगनवाडी का ठहराव अपने केन्द्रों में सचिवालयो में कितना है . कोन है वह जो इनको रुकने नहीं देता. यह भी आदमी है इन्हें भी आराम चाहिए . एक रिक्शे वाले को शराब इसलिए पीनी पड़ती है उसे नीद आजाय. कौन किसके कान ऐठेगा. आज के युवा को इसीलिए नशेडी बनाया जा रहा है वह इस प्रकार की हिंसा के बारे में सोंच न सके.
क्या बुद्ध ने भी किसी के कान ऐंठे थे .? बिना कान ऐंठे बुद्ध ने जिस प्रकार लोंगो को बदला वैसा दर्शन कुलदीप को लेना चाहिए . मानिकपुर के गरीबो के बीच अपने को स्थापित करने का मतलब सभी प्रकार के भेदों को दूर करने से जोड़ना होगा . कथनी करनी के बीच के भेद समाप्त कारन होगा. अच्छे प्रयांसो की पहचान उनका सम्मान करना होगा.
अभिमन्यु भाई
बुंदेलखंड शांति सेना
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