(Article) साक्ष्य में नवीन तकनीक का प्रयोग्र by: Mani Ram Sharma
साक्ष्य में नवीन तकनीक का प्रयोग
वर्ष 1981 में जूलियस रफीन को वर्जीनिया (अमेरिका) के न्यायालय ने बलात्कार और अप्राकृतिक अपराध का दोषी पाया था| एक श्वेत प्रशिक्षु स्त्री नर्स इसकी शिकार हुई, और रफीन एक अफ़्रीकी-अमरीकी, पीड़ित की तरह ही, इसी अस्पताल में कार्य करता था| मामले के विचारण में पीड़िता ने पुष्टि की कि उसे विश्वास है कि यह कार्य रफीन ने ही किया| रफीन की महिला मित्र ने मामले के विचारण में यह कहा कि उस कथित रात को रफीन उसके साथ था किन्तु वीर्य के नमूने की वैज्ञानिक जांच में रफीन से मेल खाने की उच्च संभावना बताई गयी| रफीन द्वारा अपनी निर्दोषिता की घोषणा करने व घटना स्थल पर अनुपस्थिति के एक गवाह के बावजूद उसे आजीवन (30 वर्ष) कारावास का दण्ड दिया गया| वर्ष 2003 में डी एन ए जांच में रफीन को दोषमुक्त कर दिया गया| इस प्रकार एक निर्दोष ने मात्र चश्मदीद गवाह द्वारा लगभग गलत पहचान के कारण 21 वर्ष करागार में बिताए| इस परीक्षण से मात्र रफीन को छोड़ा ही नहीं गया अपितु कारागार में बंदी एक अन्य व्यक्ति को इस बलात्कार के साथ जोड़ दिया गया|
संघीय साक्ष्य नियम 403 के अनुसार एक सुसंगत साक्ष्य को भी छोड़ा जा सकता है यदि यह प्रबल संभावना है कि इससे अनुचित ख़तरा, मुद्दे पर संदिग्धता या गुमराह होने, या अनावश्यक लंबे साक्ष्य, या विलम्ब या समय की बर्बादी होना संभाव्य हो| चश्मदीद गवाहों द्वारा गलत पहचान अमेरिका में गलत दोषसिद्धि का प्रमुख कारण है| कई अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि लगभग 80000 अर्थात 40% संदिग्ध व्यक्ति गलत पहचान के शिकार होते हैं| ठीक इसी प्रकार नियम 702 में प्रावधान है कि यदि वैज्ञानिक, तकनीकि, या अन्य विशेष ज्ञान से विचारण के तथ्य के साक्ष्य को समझने या विवदित मुद्दे का निर्धारण करने में मदद मिले तो ऐसे विशेषज्ञ साक्षी की जांच की जा सकती है|
रफीन जैसे अनेकों मामले होते हैं किन्तु रफीन भाग्यशाली रहा कि उसका डी एन ए जांच करवाए जाने से अंततोगत्वा दोषमुक्त हो गया| दुर्भाग्य से आज भी अधिकांश संघीय सर्किट न्यायालय विशेषज्ञ साक्षी की स्वीकार्यता के पक्ष में नहीं हैं| इस प्रकार अमेरिका में भी विद्यमान कानून में परिवर्तन की आवश्यकता है ताकि नियम 403 के अंतर्गत न्यायाधीशों को उपलब्ध विवेकाधिकार को सीमित किया जा सके| इस प्रकार अल्पमत अभी सही रास्ते पर है और प्रस्तावित परिवर्तन से दूषित और क्षीण न्यायप्रणाली का समाधान हो सकेगा| इस परिवर्तन से सम्पूर्ण विश्व में न्यायप्रणाली की नींव की मरम्मत हो सकेगी| अमेरिका में चश्मदीद साक्ष्य की स्थिति को देखते हुए अन्य राष्ट्रों को भी चाहिए कि वे साक्ष्य के परंपरागत तरीकों के स्थान पर आधुनिक एवं उन्नत तरीके अपनाने पर सक्रियता से विचार करें व न्यायदर्शन को नए आयाम प्रदान करें|
by : Mani Ram Sharma
- Anonymous's blog
- Log in to post comments