सारंग धाम : जहां लिया था राम ने दैत्यों के संहार का संकल्प
सारंग धाम : जहां लिया था राम ने दैत्यों के संहार का संकल्प
रवीन्द्र व्यास
खजुराहो,से महज 63 किमी. दूर पन्ना जिले में एक स्थान है सारंग धाम । धनुसा कार पहाडियों की आकृति की तलहटी में बने इसी आश्रम मे अगस्त मुनी के षिस्य सुतीक्ष्ण मुनी नें वर्सो तपस्या की थी 1 इन्ही के पास जब भगवान राम पहुचे तो उन्होंनें धनुस उठा कर दैत्यों के स्रहार ेका संकल्प लिया था |
त्ुलसीरचित रामायण के अरण्य काण्ड में सुतीक्ष्ण मुनी से मिलने का वर्णनन है 1श्री राम वन गमन का जो मार्ग बना है उसमे भी इस स्थान का विषेस उल्लेख है । इस आश्रम के प्रबंधक राम रूप तिवारी ने बताया कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम को 14 वर्स का वनवास मिला था । उस समय सुतीक्ष्ण मुनी यहां उन्ही के लिये तपस्या कर रहे थे । रामचंन्द्र जी , सीता जी , लक्ष्मण जी, ने आकर उन्हें दर्सन दिए और कुछ समय साथ में बिताया 1 मुनी की तपस्या में राक्षस गण व्यवधान पैदा करते थे ,इस कारण उन्होंने यहां पर धनुस उठा कर संकल्प लिया था कि इस देस को हम राक्षसों से विहीन कर देंगे । राम का वह धनुस आज भी पासाण षिला पर अंकित हैं1जिस अक्षय वट के नीचे बैठ कर राम और मुनी का सतसंग हुआ था वह आज ीाी मौजूद है ं। इसके अलावा राम कुण्ड सीता कुण्ड,लक्ष्मण कुण्ड , सीता रसोई ,राम बैठका आज भी उनकी उपस्थिती का अहसास दिलाते हैं । वे बताते हैं कि इन कुण्डों की महिमा भी अपरंपार है, चाहे ेजितना सूखा पढ जाये इनसे चाहे जितना पानी निकाल लो पर ये कभी खाली नी होते 1
श्री तिवारी के अनुसार राम कुण्ड में तो साक्षात गंगा मैया है,1970 की बात हे जब कुछ लोगों ने इसे अषुध्द कर दिया था जिस कारण राम कुण्ड सूख गया था । तीन वर्स तक अखण्ड रामायण और राम धुन के बाद गगा जी पुन; आई थी ,तब से यह कुण्ड यथावत है । वे बताते है यहां राम जी कुछ समय रहने के बाद आगे चले गये थे । इसकी प्रमाणिकता के बारे में उनका कहना है कि वर्तमान में राम वनगमन मार्ग का जो नक्षा तैयार किया गया है उसमें इसका उल्लेख है। दिल्ली से आये रामऔतार षर्मा और संत टोली व्दारा इस स्थान का 5 बार सर्वेक्षण किया गया ,और सभी बातें प्रमाणिक पाई गई ।
आश्रम में जिस तरह से राम कीयादों को सहेज कर रखा गया ठीक उसी तरह से यहां मुनी की यादों को भी सहेजा या है। सुतीक्ष्ण मुनी की सगंमरमर की प्रतिमा बरबस ही लोगों का ध्यान खींच लेती है। यहां के बाबा बालक दास कहते है कि हमें तो आज भी यही लगता है जैसे राम जानकीऔर लक्ष्मण जी हमारे आस पास ही हों वे दावा करते है कि मुनी के समय की धूनी आज भी वे जला रहे है ।
सुतीक्ष्ण मुनी यहां क्यों आये थे,और क्यों राम से मिलने की जिद में तपस्या की इस सवाल के जबाब में यहां के पुजारी भूपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि , सुतीक्ष्ण मुनी,अगस्त मुनी के षिस्य थे ।एक बार गुरू कही भ्रमण को जा रहे थे,जाते समय उन्होने ष्षागिराम’ भगवान को सुतीक्ष्ण मुनी को सौपते हुये ेकहा कि जब तक हम लौट कर नही आ जाते तब तक तुम षालिगराम जी की पूजा करते रहना ,सुतीक्ष्ण मुनि नें पूजा करने की बजाए ष्षालिगराम से जामुन तोडने लगे जिस कारण ष्षालिगराम जीग गायब हो गये 1 अगस्त मुनी जब लौट कर आए तो उन्होंने पूछा कि ष्षालिगराम जी कहां गये ,तो उन्होने जबाब दिया कि ‘पुन पुन चंदन पुन पुन पानी ,षालिगराम हिरा गए हम का जानी,’ 1 इस बात से नाराज हो कर गुरू जी ने उन्इे अपने आश्रम से निकाल दिया और कहा कि यहां तभी आना जब भगवान को ले आना तभ्ीा से सुतीक्ष्ण मुनी ने यहां तपस्या की और जब प्रभु श्री राम यहां आये तो उन्हे लेकर अपने गुरू के पास गये थे ।
सारंग धाम एसा स्थान है जहां बुन्देलखण्ड के लोग इसे वास्तविक तीर्थ स्थल मानतें है जहां जानें और राम कुण्ड का पानी पीने मात्र से सारे पाप दूर हो जाते है और मनो वाछित फल प्राप्त होता है।
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रवीन्द्र व्यास
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