(लेख "Article") बुन्देखण्ड मे हो रहा पर्यावरण से खिलवाड़ by Bharatendu Prakash
बुन्देखण्ड मे हो रहा पर्यावरण से खिलवाड़
प्रिय मित्रो
आप बुन्देखण्ड की खबरें तो देते हैं यह कम महत्वपूर्ण नही है पर उनके पीछे छिपे खतरों
पर भी टिप्पणी करना न भूलें।
थर्मल पावर प्लांट तो लगाया जा रहा है वह भी एक बड़े निवेष के साथ और उसके लिये
राज्य तथा केन्द्र सरकारें अभी श्रेय लेने की होड़ मे आगे आगे आयेंगी पर जहां से उसे
कोयला और पानी मिलना है वहां की क्या हालत हो रही है यह उनमे से कोई गौर नही करता ।
जंगल-पहाड़ काटे जा रहे है , छोटी नदी को बड़ी नदी से सैकड़ो मीटर ऊंचा बांध बना कर
गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध हजारों एकड़ किसानों की जमीनें छीन कर चैड़ी नहरें खोद कर
बड़ी खर्चीली योजनायें बनायी जा रही हैं । परिणाम स्वरूप सारा पर्यावरण असंतुलित हो
रहा है ।
बुन्देलखण्ड तथा बघेलखण्ड का यह सम्पूर्ण क्षेत्र असंतुलित वर्षा - पाला - ओले का
षिकार हो रहा है , किसानों की आत्महत्या की खबरें लगातार आ रही हैं और राहत के
पैकेज बांटे जा रहे हैं बिना उनके सही कार्यान्वयन की समीक्षा किये । इन सबका बोझ
प्रदेष, क्षेत्र तथा देष के सामान्य जन पर ही पड़ना है , आज का ऋण निवेष भी अन्ततः
जनता को ही ब्याज सहित भरना पडेगा ।
सारी योजनाओं को सामान्य जन के हित का घोषित कर सत्ता तो मिल जायेगी पर मरती हुई नदी
जिसे जंगल और पहाड़ों को सुरक्षित रख कर जीवन्त बनाते हुये केवल पानी के प्रवाह से
बिना पर्यावरण को क्षति पॅंहुचाये इतनी बिजली बनाई जा सकती है जो थर्मल पावर प्लांट
द्वारा होने वाले आर्थिक तथा पर्यावरणीय असंतुलन को नगण्य कर देगी , उस पर किसी का
ध्यान नही जाता,सरकारी वैज्ञानिक तथा टेक्नोक्रेट्स तो मुहदेखी बात करते हैं और सब
जानते है कि इन परियोजनाओं से वास्तविक फायदा किसे होता है ?
सप्रेम
भारतेन्दु प्रकाष
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