(Festival) बैकुंठधाम बना ब्रम्हाकुमारी आश्रम
बैकुंठधाम बना ब्रम्हाकुमारी आश्रम
बरसे रास के रंग, कान्हा बन थिरके बच्चे
धर्म और आध्यात्म के केन्द्र में जब रास के रंग बरसे तो मानो पूरा आश्रम बैकुंठ धाम नजर आने लगा।राधा और कान्हा बन नन्हें बच्चों ने भगवान माखन चोर की लीला का वर्णन किया तो दर्षक भावविभोर हो गए।
स्थानीय किषोर सागर तालाब स्थित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईष्वरीय विष्वविद्यालय में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रम का रंगारंग आयोजन किया गया। रविवार की शाम ब्रम्हाकुमारी आश्रम में श्रीकृष्ण भगवान की बाल रूप में आकर्षक चेतन्य झांकी सजाई गई। आश्रम की बहनों एवं भाईयों ने चेतन्य झांकी की आरती, पूजा के पश्चात प्रसाद वितरण किया। तदोपरांत भक्तिगीतों से ओतप्रेात रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। नन्हें बच्चे सूरज, कान्हा, साक्षी, अंशु आदि ने गोविंद गोकुल आयो रे गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया तो पूरा माहौल रसमय नजर आने लगा। रूपाली और मनू ने तू मन की अति भोरी गीत पर नृत्य पेंश किया। सुर की घुंघरू बांध पैर में जब नन्हीं बालिका गौरी नाची तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। रानू और जागृति ने संयुक्त रूप से आयो सावन हटीलो गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। नन्हीं बालिका गुनगुन ने कैसी मुरली बजाई घनश्याम गीत पर अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों की तालिया बटोरीं।भक्ति गीतों पर बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए नृत्यों ने जहां सांस्कृकितक कार्यक्रमों में समां बांध दिया तो भाई धीरज, पंकज के गु्रप ने सुदामा चरित्र की प्रस्तुति दी। अरे द्वार पालो कन्हैया से कह दो इस गीत पर प्रस्तुत किए गए सुदामा चरित्र ने सभी दर्शकों की आंखे भिगो दीं। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बचपन के सखा सुदामा का मिलन उपस्थितों की आंखे भिगो गया। सुदामा चरित्र उपरांत पुन: बच्चे रंगबिरंगी पोशाकों में मंच पर अपनी प्रस्तुतियां लेकर उतरे तो मंच सहित पूरा माहौल भक्ति रस में सराबोर हो गया। नन्हें कलाकारों दीपयंती, रानू, मोनू, गौरी, मनू आदि ने भक्ति गीतों पर अपने नृत्यों की प्रस्तुतियां दी।
By: इमरान खान
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