(News) आरोपो की पैबन्द में गुलाबी गैंग


आरोपो की पैबन्द में गुलाबी गैंग

  • भारतीय किसान यूनियन की महिला इकाई ने खोला मोर्चा
  • छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी से आजिज दो दर्जन महिलाऐं क्रमिक पर अनशन पर
  • समाज सेवियों ने जलाया गुलाबी गैंग का पुतला

सिलसिलेवार आरोप दर आरोप में घिरती जा रही सम्पत पाल पर एक दफा फिर आरोपों की पैबन्द में है। मण्डल मुख्यालय बांदा में भारतीय किसान यूनियन की नगर महिला अध्यक्ष अकीला ने दो दर्जन महिलाओं के साथ गुलाबी गैंग के तथाकथित सदस्यों पर छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी देने के साथ-साथ यूनियन की महिलाओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर उत्पीड़न के आरोप में बीते दो दिवस से अशोक की लाट पर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है।

हाल ही में ग्राम खरौंच निवासी दलित लड़की नीलम ने गुलाबी गैंग की मुखिया सम्पत पाल के ऊपर बन्धक बनाकर कई दिनो सामूहिक दुराचार करवाये जाने के आरोप लगाये थे। जिसकी गर्मी बुन्देलखण्ड के साथ आस पास के जनपदों में भी महसूस की गयी थी। मामले की जांच पड़ताल में जुटी यू0पी0 पुलिस ने सम्पत पाल और नीलम के द्वारा एक दूसरे पर लगाये लूट के आरोपों के चलते चुप्पी साध ली थी। कुछ संगठनों ने गुलाबी गैंग के आचरण पर सवालिया निशान खड़ा करते पूर्व में भी गैंग की महिला सदस्यों की ओर से मदद के नाम पर धन उगाही करने के गम्भीर आरोप लगाये थें लेकिन मामला तूल नही पकड़ सका।

इधर भारतीय किसान यूनियन की नगर महिला अध्यक्ष अकीला ने भी गुलाबी गैंग के सदस्यों में प्रमुख लोगो पर छेड़खानी, लूट और जान से मारने की धमकी देकर फर्जी मुकदमों में फसायें जाने के आरोप लगाये है। संगठन की दो दर्जन महिलाऐं बीते दो दिवस से क्रमिक अनशन पर बैठी है। अनशन में शामिल महिला रसीदा, कल्लो, राजाबाई त्रिपाठी, चांदनी व डा0 अच्छेलाल निषाद सहित कमलेश दीक्षित ने गुलाबी गैंग पर सख्त कार्यवाही करने की प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन से मांग की है। आज अनशन पर बैठी महिला सदस्यों ने किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मनरूप सिंह परिहार (भानु गुट) ने गुलाबी गैंग का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि सम्पत पाल अपने सदस्यों के साथ महिला अधिकारों के लिये नही बल्कि महिला उत्पीड़न के लिये काम कर रही है। स्थानीय मीड़िया और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुकी सम्पत पाल, गुलाबी गैंग की जमीनी हकीकत को भ्रामक व गलत तथ्यो के साथ बुलन्दी पर पहुंचाया गया है। इसी बात का खामियाजा बुन्देलखण्ड की ग्रामीण महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। सच जो भी हो लेकिन उत्पीड़न की फिरकापरस्ती में चैतरफा घरती जा रही सम्पत पाल के लिये बुन्देलखण्ड में अब कामयाबी के राहें आसान नही होंगी।

आशीष सागर, बांदा