शिक्षा मित्रो की तर्ज पर अब बनेंगे चिकित्सा मित्र


शिक्षा मित्रो की तर्ज पर अब बनेंगे चिकित्सा मित्र


बाँदा की मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था .....गाँव से गिरांव तक !

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सब सेंटर सरकारी है न तो सिस्टम के मुताबिक चलते है ! उनमे लोक के आम आदमी का इलाज उनका कद तय करता है ! बड़े डाक्टरों को पगार मिलती है तो अस्पताल कौन जाए ? निजी प्रेक्टिस से उनका जब पर्तिदिन हजारो का कारोबार जम चूका हो तो ठेंगे पर ये सरकारी नौकरी ! हाल ये हो गया है उत्तर प्रदेश का कि अब तो झोला छाप डाक्टर भी राज्य सरकार से चिकित्सा मित्र बनाये जाने की मांग करने लगे है ! बाँदा में गत दिवस 26 अगस्त 2015 को अतर्रा तहसील में झोला छाप डाक्टर का संगठनात्मक प्रथम संवाद का आयोजन सपाई जलसे के साथ किया गया था....आयोजन में सपा के जिला अध्यक्ष शमीम बांदवी,पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल ( भाई शिव कुमार पटेल उर्फ़ ददुआ डकैत ),पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष महेंद्र वर्मा,संघठन के डीके गुप्ता,मुकुल मेडिकल कालू कुआ,रमेश मेडिकल स्टोर,राजकरण कुशवाहा बिसंडा -सिंहपुर मार्ग सहित बाँदा के दिग्गज झोला छाप डाक्टरों ने शिरकत की थी...सपा के खेमे में खड़े होकर नारा बुलंद करने वाले ये गैर विधिक डिग्री होल्डर डाक्टर खुद को ' चिकित्सा मित्र ' की मांग करते नजर आये !....सपा के नेता बाल कुमार पटेल और जिला अध्यक्ष ने बाकायदा मुख्यमंत्री से समय दिलवाने की पैरवी की और कहा कि आप आन्दोलन करे हम शिक्षा मित्रो की तरह आपको यह ' सम्मान चिकित्सा मित्र ' दिलवाने का प्रयास करेगे !बेरोजगारी के आलम में ये बिना पंजीकृत डाक्टर ही असल में बदहाल सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को मरहम लगा रहे है नही तो गाँव के रहवासी तो बिना इलाज के मर जाए ! यह अलग बात है कि ग्रामीण का इलाज लक्जरी कमरे में नही तंग झोपडी या खुले आसमान में होता है !

गौरतलब है कि बुंदेलखंड के कस्बो और कूचों में फैल्रे बेतरतीब इन्ही डाक्टर से सरकारी और निजी एमबीबीएस / एमडी / आयुष विधा के डाक्टरों को सतर्क रहने की बारी आ चुकी है क्योकि आपकी वैधानिक डिग्री को सपा के खेमे से गाँव के अभ्यस्त और शहरो में जमे इन डाक्टरों ने चुनोती देने की कवायद शुरू कर दी है! अब आँख फोड़कर पढाई करने वाले युवा बेहोश न हो ! तो क्या हुआ कि अब उनकी एमबीबीएस / एमडी की डिग्रियां अदनी साबित होगी इन्ही सबरी विधा के वैध के सामने ! यह झोलाछाप प्रबंध तंत्र भी तो आपसे निकले उन सरकारी डाक्टरों ने ही जन्मा है जो अपने आवासों में बैठकर नर्सिंग होम चलाना पसंद करते है बजाय अस्पताल जाने के ! ......अब ग्रामीण को इलाज चाहिए और सरकार को इनका वोट इसलिए सावधान डिजीटल इंडिया आप सदमे में न जाने का प्रबंध कर लेवे.

By: - आशीष सागर, बाँदा