(Poem) ग़ुलामी डायन खाय जात है  (A Poem on CWG 2010 by Anil Sadgopal)

ग़ुलामी डायन खाय  जात है 
(A Poem on CWG by Anil Sadgopal)


लौटी महारनी की दंडी
ब्रिटिश महारानी की दंडी थामे 
दागे सलामी इंडिया की बंदूकें 
चमक धमक राष्ट्र खेल मंडल आत है 
छिपाए भिखमंगे  उजाड़ी बस्तियां 
भूखे  बच्चे,  टूटी सडकें,  चौपट स्कूल 
फिरंगी युनिवेर्सिटी  की नौटंकी बुलात है
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

हौंग कॉन्ग  और फ्रांस से फटाफट 
इम्पोर्ट किये खुशबूदार सनडांस 
होश किसे आधी जनता मैदान जात है 
हर चौराहे पे लगा घंटों ट्राफ्फिक  जाम 
ऊपर से  फ्लईओवर .  नीचे से फ्लईओवर
दक्कन कोरया से आई मेट्रो सरासर भगात है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

बनाया सवाल इंडिया तेरी नाक का 
किसकी नाक, किसका सवाल 
फ़िक्र किसे शिक्षा, सेहत,  खुशहाली की ,
१८२ मुल्कों में भारत १३४ पर गिनात है 
हुआ बवाल मची हुडदंग संसद  में
राजपाट करने वालों  में खूब भई बंदरबाट है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

फूंके ७०० करोड़ दलितों के 
टपकी सरकारी तिजोरी टपके  स्टेडियम 
लुढके ओवेरब्रिज  मजदूर मरे जात है 
हल्ला बोला खेलों का 
हुए कॉरपोरेट ,  पूंजीपति मालामाल है 
जाने काहे को हमरे खिलाड़ी पसीना बहात है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

मस्ती बारह दिन  की बारह दिन का तमाशा 
एक लाख करोड़ रूपए  का टिकट कटाया 
कच्छ   से आया, कोहिमा से आया 
पैसा आया लक्षद्वीप और लदाख से
अस्सी फ़ीसदी करैं गुजर २० रुपाली में 
फिर भी सब कुछ दिल्ली में लुटाये जात है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

मचा शोर साफ़ सफाई का 
निकले सांप, चर्मरय पलंग , डरे खिलाडी 
सुन कर फटकार फेनल हूपर की 
प्रधान मंत्री केबिनट की  बैठक  बुलात  है 
चप्पे- चप्पे पे,  चाक - चौबंद   फौजी - सिपाही 
ताके इधर -उधर, टट्टी- पेशाब को छत्पतात्त    है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

करे सांठ गाँठ राजनेता, मीडिया और पूँजी pati 
टाला मसला भ्रष्टाचार का,  टाल दी अयोध्या भी 
टाल नहीं सके आतंक के साए को ,
अरबों डौलर  की विदेशी तकनीक मंगात है 
हर हिन्दुस्तानी बायोमेट्रिक   और लेज़र  के घेरे में है 
नीचे राडार, ऊपर मिग और मिज़ाइल  उदात है
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

एनजीओ  खुश, खुश खिलाड़ी, खुश कलमाड़ी ,
खान - पान का ठेका  अम्रिकान मल्टीनेशनल   को   
पिज्जा पर सजाए गोलगप्पे , जी भर शम्पैन पिलाट है 
छिढ बहस उद्घाटन की 
करे लन्दन का प्रिन्स, या भारत का राष्ट्रपति ?
झुका  इंडिया महारानी का सन्देश प्रिन्स  लेके आत है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

आखिर बच गयी इज्ज़त  हमरी
कहें मनमोहंवा देख नौ फ़ीसदी का खेल है 
सेन- सेक्स २२,००० के छलांग लगे जात है 
काहे  गिनत हो स्वर्ण पदक भारत के 
पट तो गया शेर बाज़ार सोने चांदी  से
सुपरपावर बनाने का ख्वाब इंडिया दिखात  है 
ग़ुलामी डायन खाय  जात है 

( राष्ट्र मंडल  खेलों के उद्घाटन के एक दिन पहले , गांधी जयंती पे यह सवाल पूछते की अगर गाँधी जी जिंदा होते तो क्या करते ) 

डॉ अनिल सदगोपाल

Comments

Hi,

good poem and Gandhi ji agar jinda hote to fir mar jate....

Jay Hind.