(Story) सूखे बुंदेलखंड में वीर किसान देवराज की बुलंद लाठी - Handicapped Farmer in Bundelkhand


सूखे बुंदेलखंड में वीर किसान देवराज की बुलंद लाठी


- सपा विधायक विश्वम्भर सिंह यादव की सल्तनत में किसान के पैर लाठी पिछले 40 साल से बंधी है !
- स्थानीय जिला प्रसाशन,नेता,मंत्री और संघठनो ने नही लिया संज्ञान
- सात हजार करोड़ रूपये का बुंदेलखंड पैकेज और तमाम योजनाओ से नही हुआ इस किसान का भला !
- देवराज नपुंसक नही केन्द्रीय कृषि मंत्री जी अन्न देवता है !
- मोदी के डिजिटल इंडिया ने इस किसान को सोशल मीडिया में किया वायरल

तीन अक्तूबर की रात आठ बजे मेरे माध्यम से एक किसान की तस्वीर को फेसबुक में पोस्ट किया गया था.मकसद सिर्फ इतना था कि प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड के किसानो की दयनीय हालत का संज्ञान लेवे तब जब यह उन्नीसवां सूखा है.लगातार तीसरा सूखा भी है.मुझे उस किसान का नाम नही मालूम था बस लक्ष्य पता था कि ये धरती पुत्र है जो भूदास बनकर मेरी मिट्टी की और आवाम की सेवा कर रहा है.देखते ही देखते रात भर में यह तस्वीर साथी शहनवाज मलिक ने इसको लाइव इंडिया में स्थान दिया.इसके बाद ये बीबीसी हिंदी में पहुंची दिलनवाज पाशा के जरिये और अब तक करीब 90 हजार से अधिक लोग इसको शेयर कर चुके है..लगातार द लाजिकल इंडिया और फेसबुक मेरी वाल में तैर रही है ये तस्वीर उस उजाले की तलाश में जो यही कही डिजिटल हिजाब में खो गया है !....आइये आपको ले चलता हूँ बुंदेलखंड के वीर किसान देवराज यादव की जिंदगी में !

दिए गए लिंकों में आप किसान की कहानी पढ़ सकते है -

जिला मुख्यालय बाँदा से करीब सस्थ किलोमीटर दूर है तहशील बबेरू यहाँ के औगासी मार्ग में मुख्य सड़क से दस किलोमीटर बसता है एमपी का पुरवा जो ग्राम पंचायत पतवन का छोटा सा मजरा/टोला है. आज माह अक्तूबर में जेठ सी तपती धूप के साथ किसान देवराज यादव (उम्र 65 साल ) पुत्र धनपत यादव के पास पहुंचा तो वे रोज की तरह अपने खेत में पिछले चालीस साल से बंधी लाठी के सहारे अपनी चार बीघा कृषि जमीन में हल चलाते मिले.मेरे साथ मेरे सहयोगी योगेन्द्र सिंह भी थे अहम दोनों बाईक से बाँदा - बबेरू मार्ग की लतियल ठोकरे खाते इस गाँव में दाखिल हुए.आज जब पुनः इस किसान से हम दोनों का सामना हुआ तो एक बरगी ऐसा नही लगा कि मै किसी अजनबी से वार्ता कर रहा हूँ.किसान ने बुलंदी के साथ बतलाया कि वे तीन भाई है सबकी अलग - अलग खेती बंट चुकी है जैसा परिवार में होता है.इनके बड़े भाई बलवीर जन्म से पोलियो ग्रसित है जो गाहे - बगाहे खेती में जोतते समय किसान देवराज का साथ देते है....अपनी अर्धांग्नी रानी देवी के साथ बंधे रिश्ते का मान और परिवार की आजीवका ये चार बीघा खेती से पेट पालने वाला कर्जदार किसान ( इस पर 25 हजार रुपया सहकर का कर्जा है जिस पर प्रतिमाह ये 1250 रूपये ब्याज देता है 5 रूपये सैकड़ा के हिसाब से बदले में मिलती है मात्र 300 रूपये की मासिक विकलांग पेंशन !) पूरी संजीदगी से यह सब गत चालीस साल से कर रहा है.देवराज के दो बेटे और एक बेटी है ( संतराम,उमाशंकर और सुनीता ) इसमे बड़े लड़के ने ब्याह के बाद पिता से समबन्ध ख़तम कर लिए है छोटा इसलिए साथ है क्योकि अभी ब्याह हुआ नही है ! मेट्रो की एकल मानसिकता यहाँ भी आ गई है.

देवराज बतलाते है कि बीस वर्ष की उम्र में खेत में हल चलाते समय मुझे बैल ने लात मारी थी.अपना घरेलू इलाज किया,अस्पताल को रुपया था नही तो पैर में गलता लगने से अन्तः ये पैर डाक्टरों ने मेरी देह से अलग कर दिया.

अकेले खेत में बैठा सोचता रहता कि ये परिवार कैसे पलेगा और ये संताने क्या खाएगी ?

एक दिन मेरी खुराफात में ये ख्याल आया कि अगर मै अपने पैर में लाठी बांधकर खेत में हल चलाने का प्रयास करूँ तो शायद ये हो जाये ! किसान का ये तरीका उसको बार - बार खेत में गिराता,उसके चोट लगती पर ये जीवत आदमी आखिरकार अपनी बिरादरी का धरती पुत्र बन गया है और अपने कलेजे को तानकर कहता है कि मैंने साहेब मैंने आत्महत्या नही की ! हाँ कर्जा लिया हैगंदारी में उसका ब्याज देता हूँ ,क्रेडिट कार्ड को छुआ नही बैक के दलाल से कौन उलझ पायेगा ? आज देवराज ने जीभरकर मेरे साथ बाते की मैंने भी खूब तस्वीरे ली और रुतबे से अपने बुन्देली किसान की सत्ता को सलाम करते हुए उन सरकारों,गैर सरकारी एनजीओ और योजनाओं पर कोफ़्त हुआ जो पिछले चार दशक से इस किसान के पैर में लाठी के लिबास को देख रहे है.दोषी मै भी हूँ जो अब तक इसको खोज न पाया काश ये किसान देश के अन्नदाताओ का ब्रांड एम्बेसडर बनता और मोदी इसको अपने नवरत्नों में शामिल करते, मुखिया अखिलेश यादव जी सुने है आपने इसका संज्ञान लिया है लेकिन इसका हाल भी सियासी वादों सा न करियेगा नही तो अन्नदाता का भरोसा टूट जायेगा उसको पता भी नही कि ये तस्वीरे कहाँ जा रही है वो तो बस अब भी लाठी ही बांधता हुआ हल जोत रहा है

By: आशीष सागर,बाँदा सामाजिक कार्यकर्ता