(रिपोर्ट) प्रवास की पहलः प्रदेश के आला अफसर पर हुआ 25 हजार रू0 का जुर्माना (जनसूचना अधिकार 2005)
प्रवास की पहलः प्रदेश के आला अफसर पर हुआ 25 हजार रू0 का जुर्माना (जनसूचना अधिकार 2005)
- एक वर्ष से लंम्बित था प्रकरण
- 37 महत्वपूर्ण व्यक्तियों की शिकायत के बाद भी निर्वाचन आयोग रहा खामोष
- मनरेगा में करायी ठेकेदारो से भर्ती और धांधली
- सेवा प्रदाता कम्पनी ने वसूले साढे सात लाख के अवैध स्टाम्प अनुबंध पत्र
- 250 से भी अधिक अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों की आचार संहिता मे नियुक्ति
- लखनऊ मंडल सहित बांदा चित्रकूट, झांसी, गोंडा, बनारस, सहारनपुर, में बैक डेट पर ज्वाइनिंग
- माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका सुनवाई के बाद हुये पुनः भर्ती के आदेश
एक महत्वपूर्ण प्रकरण जो पिछले एक वर्ष से लंबित था में मा0 राज्य सूचना आयोग ने सुनवाई करते हुये आज एक अहम फैसला लिया है। मामला 3 मार्च 2009 से जन सूचना अधिकार 2005 के तहत चल रहा था, गौरतलब है कि आशीष कुमार दीक्षित की शिकायत सं0 एस0 2-874 (सी)/09-10 के आदेश दिनांक 19 मार्च 2010 में सुनवाई पश्चात राज्य सूचना आयुक्त मा0 वीरेन्द्र कुमार सक्सेना ने उ0प्र0 शासन लखनऊ ने सहायक आयुक्त एवं जन सूचनाधिकारी (नरेगा सेल) श्री वी0 के0 भागवत पर अधिनियम की धारा 20 के तहत 250 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से 25000 रू0 जुर्माना दंड वादी को निर्धारित समय में सूचना नही देने के आरोप मे अधिरोपित किया है साथ ही जिलाधिकारी लखनऊ को एक माह के अन्दर शेष 7 मंडलो की सूचना न देने की स्थिति में प्रतिवादी आयुक्त ग्राम विकास विभाग के जनसूचनाधिकारी एवं सहायक आयुक्त श्री वी0 के 0 भागवत से उक्त राशि वसूली करके ट्रेजरी में जमा किये जाने के निर्देश जारी करते हुये मामले का निस्तारण किया है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पिछले एक साल से भ्रामक और गलत सूचनाये प्रदान करके प्रदेश के सभी संयुक्त विकास आयुक्त एवं मुख्य विकास अधिकारियों ने प्रकरण को जानबूझ कर घसीटा है। इस दौरान मनरेगा भर्ती में अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियो की नियुक्ति में जिनका मानदेय 20,000 रू0 निर्धारित था में चयनित सेवा प्रदाता कंपनी रामा इन्फोटेक प्रा0 लि0 जो पूर्व में भी काली सूची मे दर्ज हो चुकी है ने अभ्यर्थियों से साक्षात्कार के समय 7,50,000 रू0 के अवैध स्टाम्प अनुबंध पत्र वसूले जब कि ऐसा कोई भी निर्देश शासन स्तर से नही था।
इसके साथ ही प्लेसमेंट ऐजेंसी के पार्टनरो ने स्वयं भी विकास खंड में अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी पद पर ज्वाइनिंग हासिल कर ली । मामला हाईकोर्ट से उच्चतम न्यायालय तक पहुचा और प्रदेश के 37 महत्वपूर्ण व्यक्तियों के कुनबे ने प्रकरण की षिकायत राज्यपाल से लेकर निर्वाचन आयोग तक लिखित रूप से की जिनमें वरिष्ठ समाजवादी पार्टी के नेता प्रो0 राम गोपाल यादव, रालोद के अध्य़क्ष सांसद चै0 अजीत सिंह भी वादी के साथ शामिल थे लेकिन कोई कार्यवाही नही की गयी जिसके चलते जनसूचना अधिकार को प्रयोग मे लाते हुये आशीष कुमार ने आयुक्त ग्राम विकास से प्रमुख छः बिंदुओ पर सूचनाये मांगी । निर्धारित समय 30 दिवस गुजर जाने के बाद भी सूचना नही प्रदान करने पर वादी ने प्रथम अपील प्रमुख सचिव को सूचित किया तत्पश्चात 60 दिवस उपरांत मा0 राज्य सूचना आयेाग मे षिकायत दर्ज की। जिस पर अहम फैसला लेते हुये प्रदेष के उच्च अधिकारी को दंडित किया गया है। इस सफलता पर जीत की बधाई देने वालो मे तमाम स्वयं सेवी संगठनो के लोग आगे आये जिनमें प्रमुख रूप से कबीर नई दिल्ली के मनीष सिसोदिया, विभव कुमार, अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान चित्रकूट, ग्रामोदय विश्व विद्यालय के समाज कार्य प्रवक्ता डा0 अजय चैरे, बुंदेलखंड गण परिषद के अध्यक्ष डा0 शैलेन्द्र रंजन, शिक्षक नेता कैप्टन मिथलेष कुमार पाण्डेय, प्रवास की अध्यक्ष कु0 संध्या निषाद आदि लोग शामिल है। आशीष सागर ने कहा है कि राज्य सूचना आयोग भी भ्रष्टाचार से मुक्त नही है क्यों कि आदेश की प्रति लेने के लिये निर्धारित 10 रू0 शुल्क की जगह 150 रू0 उन्होने नकल अनुभाग के एक कर्मचारी को अदा किये है जिसकी कोई भी पावती रसीद वादी को नही दी गयी है।
भवदीय,
आशीष सागर (प्रवास)
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