(Article) महिलाओ ने किया नरेगा जैसी भ्रस्ट योजनाओ से दूरी बनाने का ऐलान
महिलाओ ने किया नरेगा जैसी भ्रस्ट योजनाओ से
दूरी बनाने का ऐलान
अंतरास्त्रिय महिला दिवस ८ मार्च को सिंघस्रोत नदी के तट पर १० गाँवो क़ी २०० महिलाओ ने अपने जीवन क़ी दर्द भरी दिनचर्या को सुनाया . सभी ने मुख्य रूप से पानी कर्ज बेरोजगारी पेटभर बच्चो को उनकी रूचि के भोजन देपाने में , दावा समय पर करा पाने में अपनी बेबसी के आंसू बहाए . गोइया के साहू परिवार क़ी गर्भवती महिला मुन्नी जो सिंघस्रोत नदी में नियमित पानी निकलने के लिए पैदल आती है उसने कहा क़ी हमारे घर में इतना पैसा नहीं है क़ी हम बच्चे के जन्म के समय कुछ अच्छा खा सके . आज भी समय पर भोजन नहीं मिल रहा . नदी में पानी का काम पुन्य का काम है इस काम का पैसा यदि मिल जायगा तो हम अपने बच्चे के लिए कुच्छ अच्छा खा लेंगे और प्रसव के समय के पैसे जुट जांएगे . वन्ही पर बैठी किसिरिन्यो ने कहा क़ी हम लोग पैसे मिलाने पर सबसे पहले घर के लिए गल्ला तथा अपने लिए किताबे लेंगे . पटेरी क़ी छोटी दाई ने अपने बैज बैंक क़ी दरद भरी कहानी सुनाई उन्होंने बताया पानी समय से न बरसने से किसानो को बोये गए बीज चार से खेत नहीं लौटा प़ा रहे . कैसे बीज बैंक चले . उन्होंने ने क्म पानी वाले बीजों को बोने क़ी बात सभी से की.
हरहा क़ी उमा ने अपने जीवन की दुखद गाथा को सुनाया . पांच साल पहले उन्हें मरने वाली कभी न ठीक होने वाली बीमारी का पता चला . सभी के टेस्ट हुए पति भी बीमार बच्चे भी बीमार मरने के आलावा कोई रास्ता नहीं था कोई काम नहीं देता रहा . सर्वोदय ने हमें इस लायक बनाया क़ी आज हम बोल रहे है . हमें सर्वोदय ने काम पर लगाया पति बहुत कमजोर है हम भी भारी काम नहीं कर प़ा रहे . सरकार के पास बहुत दौड़े पर कोई सुनवाई नहीं है. जिलाधिकारी के पास सी ऍम ओ के पास गरीबी में की बार सब एक दुसरे को लिख देते है पर कोई काम नहीं होता . इतना पैसा नहीं है क़ी बार बार मऊ कर्वी जा सके . रानी सावित्री ने भी अपनी बात रखते हुवे कहा क़ी पहले हम लोग इससे भी खराब दसा में थे लेकिन आज पहले से मजबूत दिख रहे है . जिसे वोट देते है वह अधिकारिन्यो का गुलाम बन जाता है हम लोग गाव के सरकारी कामो को न छुवे जब तक क़ी हमारी राय न चले तभी सुधार होगा.
हरे पेड़ पर मफिन्यानो क़ी नजर न पड़े उन्हें मिल कर बचाए तथा जो चेकडेम हमारी नदी को बर्बाद कर रहे है उन्हें मिलकर हटाये तभी हमारे घरो में पेटों में शांति आयेगी . हमें गरीब बनाये रखने के लिए सरकार गाँवो के दलाल तथा जनप्रतिनीध सभी एक मत है . मिल कर गरीबी से लड़ना है. हरहा पटेरी क़ी महिलानो ने कहा क़ी हम लोग भी अपने गाँव क़ी सुखी मोहना नदी को मिल कर जगाने का संकल्प लेते है, इस कार्यक्रम में पुष्पेन्द्र सिंह तथा सिव विजय सिंह ने बुन्देल खंड क़ी महिलानो के प्रेरक प्रसंग रखे. कार्यक्रम में अभिमन्यु भाई की पाती - "हमरे गाँव का हल बुरा है भूख कर्ज लाचारी से जीवन क़ी पाती भेज रहे है हम बरगढ़ क़ी घटी से " को सुन कर मंहिलानो के आंसू निकल आये. किसोरी सुनीता ने गया क़ी
मायावती हमारी है सोनिया भी प्यारी है सबके घर में पानी है पानीदार का पानी है
हमारे नदी का पानी दो पेड़ो को जोंदगनी दो हमारे खेत का पानी दो पानी पानी दो परानु
बाबा पानी दो मस्तान बाबा पानी दो.
सावित्री
महिला शांति सेना,
बरगढ़
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