बुन्देलखण्ड : कल, आज और कल - आलेखों का प्रस्तुतीकरण एवं संगोष्ठी (Bundelkhand : Kal Aaj aur Kal)


बुन्देलखण्डः कल, आज और कल - आलेखों का प्रस्तुतीकरण एवं संगोष्ठी

Bundelkhand : Kal Aaj aur Kal


बुन्देलखण्ड विमर्ष

प्रिय बन्धु,
बुन्देलखण्ड विमर्ष की कार्यक्रम-श्रंखला के अन्तर्गत वर्ष 2017 मे बुन्देलखण्ड क्षेत्र कीे वर्तमान स्थिति को लेकर एक प्रकाशन  की योजना बन रही है। पूरे विगत दो दषकों के अन्तराल मे समग्र क्षेत्र की स्थिति के संदर्भ मे एक भी नवीन प्रकाशन  दृष्टिगोचर नही हुआ । विष्वविद्यालयों मे संभवतः कोई षोध-प्रबंध लिखे गये हों, उनके बारे मे आम जानकारी नही हो पाती। अतः इस विषय पर चर्चा तथा आलेखों के प्रस्तुतीकरण हेतु एक संगोष्ठी प्रस्तावित की जा रही है । संगोष्ठी का आयोजन ऐसे सभी प्रतिवेदनों को एक मंच देने का प्रयास है ।

इस क्षेत्र के दोनों राज्यों के कार्यकर्ताओं, बौद्धिकों तथा जागरूक नागरिकों की ओर से सहभाग के लिये गम्भीर रुचि के अभाव मे हमे यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ रहा है |

प्रस्तावित प्रकाशन  बुन्देलखण्ड: कल ,आज और कल बुन्देलखण्ड के समग्र प्रतिवेदन के रूप मे षोध-छात्रों , योजनाकारों , नियोजकों, पर्यावरण चिन्तकों एवं लेखकों के लिये उपयोगी विषयवस्तु प्रदान कर सकता है। प्रकाशन  की रूपरेखा संलग्न है जिसके अन्तर्गत आलेख प्रस्तुतकर्ता अपने रुचि का विषय चुन सकते हैं।

बुन्देलखण्ड के विद्वानों,वैज्ञानिकों, षोधार्थियों, लेखकों तथा समाजकार्य मे लगे सभी इच्छुक महानुभावों से मेरा सप्रेम निवेदन है कि कृपया विषय से संबंधित अपने आलेख मुझे डाक अथवा ईमेल द्वारा  तक निम्न पते पर प्रेषित कर दें।

कार्यक्रम स्थल की पुष्ट सूचना आपको एक माह पूर्व  मिल जायेगी।

बुन्देलखण्ड संसाधन अध्ययन केन्द्र ,
51, सनसिटी, छतरपुर 471001 म.प्र.
ईमेलः brsc2008(at)gmail.com

Phone: 07682-244005
Mobile: 09425814405 , 09452508251

इस पुस्तकाकार प्रकाशन  के अन्तर्गत 3 विभाग प्रस्तावित हैं:

1. पृष्ठभूमि
2. स्थिति
3. आकलन

1. पृष्ठभूमि

  • संक्षिप्त इतिहास
  • टोपोग्राफी: स्थलाकृति
  • मूल प्राकृतिक परिवेष: वन,पर्वत,नदी, बारहमासी सरितायें एवं नाले, मृदा एवं खनिज सम्पदा
  • मानव-निर्मित संसाधन- कुंये, झीलें, सरोवर , बावड़ी एवं तालाब
  • कृषि , बाग-बगीचे, पषुपालन
  • कुटीर एवं गृह-उद्योग
  • जलवायु

2. स्थिति

  • वर्तमान बुन्देलखण्ड
  • प्राकृतिक परिवेष: वन , पर्वत , जलसंसाधन ( नदी, नाले), भूमि-मृदा खनिज़
  • मानव निर्मित जल-संसाधन: बॉंध , बराज और नहरें
  • कृषि , औद्यानिकी एवं पषुपालन
  • उद्योग एवं उद्यमषीलता
  • जलवायु मे परिवर्तन

3. आकलन

  • संसाधनों की स्थिति: अदूरदर्षी नियोजन एवं विकास
  • उपेक्षित संभावनायें - अक्षय संपदा का विनाष
  • जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभाव
  • समस्यायें एवं जन-भावनायें
  • जीवनषीलता हेतु अनिवार्य विकल्प

उपरोक्त विषयवस्तु मे कोई संषोधन या संवर्द्धन के सुझावों का स्वागत है। कृपया सूचित करें। 

आपके स्वीकृतिपत्र तथा आलेख की प्रतीक्षा मे, वर्ष 2017 के लिये शुभकामनाओं सहित,

भवदीय
भारतेन्दु प्रकाष, Dr. Bharatendu Prakash