(NEWS) "Khabar Lahariya" awarded King Sejong Prize 2009 by UNESCO - 'खबर लहरिया' ने यूनेस्को में परचम लहराया

'खबर लहरिया' ने यूनेस्को में परचम लहराया

विजय उपाध्याय

आर्थिक रूप से बदहाल बुंदेलखंड के अखबार "खबर लहरिया" को यूनेस्को ने साक्षरता सम्मान के लिए चुना है। इस अखबार को इलाके की बेहद गरीब, आदिवासी और कम-पढ़ी लिखी महिलाओं की मदद से निकाला जा रहा है।

खबर लहरिया सहित चार पाक्षिक समाचार पत्रों को आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर पेरिस में वर्ष 2009 के किंग सिजोंग साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके तहत प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 20,000 डॉलर की राशि दी जाती है। दक्षिण कोरिया ने यूनेस्को में किंग सिजोंग साक्षरता पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1989 में की थी।

उपलब्धि से खुशी
इस खबर ने महिलाओं को उत्साह से भर दिया है। एक मुलाकात में अखबार की संपादक मीरा ने कहा कि यह अखबार बुंदेलखंड की आदिवासी कोल महिलाओं में शिक्षा की भूख जगाने में मदद कर रहा है।

कौन करता है काम
संपादन और समाचार का पूरा काम महिलाएं करती हैं। अखबार बांटने के काम में पुरुष हॉकर मदद करते हैं। ग्रामीण महिलाओं के इस अखबार में काम करने के लिए कम से कम आठवीं कक्षा पास होना जरूरी है, लेकिन नवसाक्षर भी जुड़ सकते हैं।

कौन सी खबरें
उन्होंने कहा कि अखबार में सभी तरह की खबरें होती हैं लेकिन पंचायत, महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण विकास की खबरों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। समाचार स्थानीय बुंदेली बोली में और बड़े अक्षरों में छापे जाते हैं ताकि नवसाक्षर महिलाएं आसानी से पढ़ सकें। राजनीतिशास्त्र से मास्टर डिग्री ले चुकीं मीरा ने कहा कि संवाददाता के रूप में गांव की गरीब महिलाओं के जुड़ने का उनके परिवार व समाज के लोग ही विरोध करते हैं। लेकिन अब यह कम हो गया है।

खबर लहरिया के बारे में
प्रकाशन - बुंदेलखंडी बोली में चित्रकूट से आठ वर्षो से, बांदा से तीन वर्षो से
कौन कर रहा है- स्वयंसेवी संस्था निरंतर
प्रसार संख्या - 4500
पाठक संख्या - 20000
कीमत - दो रुपए



A newspaper produced entirely by women in rural India is among the four winners of this year's Literacy Prizes awarded by the United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (Unesco).

Khabar Lahariya, the fortnightly newspaper distributed to more than 20,000 readers in Uttar Pradesh, is entirely created and marketed by newly literate "low caste" women who are training as journalists in Chitrakoot and Banda districts.

The King Sejong Literacy Prize was given to this fortnightly paper, started by Nirantar -- a centre for gender and education based in New Delhi and Uttar Pradesh.

In 1989, the Unesco's King Sejong Literacy Prize was instituted by South Korea.
It is named after Sejong the Great of the 14th century who created the Korean alphabet Hangul and is remembered for his contribution to education in the areas of science, technology and literature. Each winner is awarded $20,000.

Nirantar has developed a method of training women as journalists, which involves developing their literacy skills as well as honing their reporting abilities. This includes talking to public figures, gathering information and sharpening their editing skills.

The coverage of Khabar Lahriya includes politics, crime, social issues and entertainment for their readership that spans 400 villages in both districts of India's most populous state.

The publication began in May 2002 in Chitrakoot and a second edition was launched in the adjoining Banda district in October 2006, according to the NGO's website. It is written in the local dialect Bundeli for its Bundelkhandi readership.

The other prizes given by Unesco in recognition of innovative programmes designed to teach women, adolescents and other marginalised populations how to read and write, went to programmes in Afghanistan, Burkina Faso and the Philippines.

The award ceremony will be held at Unesco Headquarters in Paris Sep 8 to coincide with International Literacy Day.



UNECO Official Release:

http://portal.unesco.org/en/ev.php-URL_ID=46200&URL_DO=DO_TOPIC&URL_SECTION=201.html


Nirantar Official Link:

http://www.nirantar.net/khabar_about.htm

Courtesy: UNESCO, Dainik Bhaskar, Hindu, Deccan Herald