(Article) भगवान बुंदेलखंड के किसी गाँव में यस चोपड़ा जी को जन्म दिलाये

भगवान बुंदेलखंड के किसी गाँव में यस चोपड़ा जी को जन्म दिलाये ताकि सूखी नदियों व् सूखे राजनैतिक गलियारों में जीवन देने वाला कोई पैदा हो

प्रिय महोदय

                        आपके समक्ष एक स्राधांजलि यस जी के लिए भेज रहे है यदि उपयुक्त लगे तो प्रकाशित  की  करेगे .

भगवान बुंदेलखंड के किसी गाँव में यस चोपड़ा  जी को जन्म दिलाये ताकि सूखी  नदियों व् सूखे  राजनैतिक गलियारों में जीवन देने वाला कोई पैदा हो . . एक मच्छर पुरे समाज को  हिजड़ा बना देता है ? यश मच्छर के कारन गए? जाना तो सत्य है ,उनकी उम्र  भी हो गयी थी . उन्होंने बहुत बड़ा मार्गदर्शन अपने चिंतन लेखनी व् निर्देशन  से किया।भारत का समाज उनको याद रखेगा।ईस्वर उनकी आत्मा को शांति दे .प्रार्थना करते है की उनका  अगला जन्म बुंदेलखंड के  घोर आदिवासी गरीब गाँवो में दे ताकि वे साधारण से बुखार में बिना  डाक्टर व  दवाई के मरने वाले बच्चो के लिए समाज में कुच्छ सार्थक पहल प्रारम्भ करा सके। यहाँ के  गरीब पिक्षडे गाँवो में  ऐसे होनहार युवा जो कल्पनाये करना शुरू करते है उन्हें  अचानक बुखार जैसी बीमारी उठा लेती है। .मैंने चित्रकूट के आदिवासी क्षेत्र  बरगढ़ के तीन  युवाओ को बिना दवाई के मरते देखा है .उत्तर प्रदेश में  कितने बच्चे डेंगू में चल बसे।उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग में भ्रस्टाचार का डेंगू है .सरकार  तो केवल बड़े बड़े मेडिकल कालेज के स्वपन देखती है क्योकि  बड़ी परियोजनाओ में कमीशन बड़ा बनता  है।डेंगू मलेरिया गरीब परिवारों में न  आये इसपर कोई काम नहीं है .प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों  में डाक्टर पर्याप्त नहीं है .अभी हाल में उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री बम्बई से लौटने के बाद किसी उद्योग पत्नी के साथ चित्रकूट आये थे किन्तु यहाँ के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए डाक्टर नहीं दे गये .स्कुलो के लिए अच्छे शिक्षक नहीं दे गये।वह 2 चीज दे गए .पहला बड़ा डेंगू मच्छर 2-यदि वह बीमार हो जाय तो उसके लिए हवाई अड्डा ताकि ततकाल बड़े शहर में अपना इलाज अपने मेडिकल कालेज में करा ले और बुंदेलखंड के प्राकृतिक मानवीय  के दोहन  में मजबूत बना रहे .
अब बरगढ़ के आदिवासी उद्द्योग्पति नहीं चाहते न उद्योग चाहते है .क्यों की 1935 में उनकी जमीने ग्लास फैक्ट्री के लिए लीगयी थी .भुखमरी बच्चे न देखे परिवार को  काम की कमी न हो इसलिए बहुत काम  पैसे में ख़ुशी से दे दी थी .अरबो रुपये लग भी गए लेकिन फैक्टरी चली नहीं .लोगो का आनाज  भी गया .ये आदिवासी भूमि हीन हो गए इनकी पहचान भी चली गयीं और अति गरीब में  है?
आजादी के 65 वर्षो के इतिहास में बुंदेलखंड के  जनप्रतिनिधि ने अपनी नस्ल बदली है.पहले यह डेंगू मच्छरों  से लखनऊ /दिल्ली में मिल  थे अब यह स्वयं उद्द्योगपति बन गए है .देखिये उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने  बच्चो की दवाई अस्पतालों में नहीं दी लेकिन अपने विद्यालय अंग्रेजी  के  लिए इसी प्रकार आदिवासी गरीब क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में  शिक्षा का स्तर सरकारी प्रयासों से नहीं सुधारने वाले ग्रामीण विकास मंत्री ने अपना मजबूत विद्यालय स्थापित लिया अच्छा किया कि फैक्टरी नहीं लगायी .चित्रकूट के वर्तमान सांसद ने सांसद निधि का  सबसे अधिक वितरण ऐसे लोगो  को किया जो  स्कुलो के उद्द्योग पति है उनको दिया .समाज में जीवन खपाने वालो को समाज के बदलाव के लिए निरंतर  कुछ कर रहे लोगो को  सरकारी मदद नहीं मिलसकती क्योकि वह कमीशन नहीं  देते है और सरे  जनप्रतिनिधि भी उद्योग पति बन गए है .संपत पाल सामाजिक कार्यकर्त्ता थी जबसे राजनीती में गयी और चुनाव हारी तब से अपनी विधान  सभा में नहीं लौटी .बादशाह सहित बहुत लोग  पहाढ़ नदियों को दोहन में मददगार रहे . चित्रकूट के समाज ने दो नदियों की हत्या  कर दी। मंदाकनी अब मल  मूत्र अधिक  ढ़ो रही है .सैकड़ो बेनामी नदिया बुंदेलखंड में सुख गयी . सुखी नदियों के किनारों के गाँवो बच्चे महिलाये अति कोपोषित है .   
अतः भगवान से प्रार्थना करते है कि भगवान यश चोपड़ा जी को बिना  किसी देर बुंदेलखंड के किसी गाँव में जन्म दिलाये ताकि सूखी  नदियों व् सूखे  राजनैतिक गलियारों में जीवन देने वाला कोई पैदा हो  .

Regards

Abhimanyu

Secretary

Sarvodya seva Ashram
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