(Article) राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
चैत्र शुक्ल नवमी का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। आज ही के दिन तेत्रा युग में अयोध्या के रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ भगवान् श्री राम ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था। कहते हें की दिन के बारह बजे जैसे हीशंख , चक्र, गदा, पद्म धारण किए हुए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हुए तो मानो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो गईं। उनके सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे।श्रीराम के जन्मोत्सव में देवता, ऋषि, किन्नार, चारण सभी ने शामिल होकर आनंद उठाया था | वेशे तो अयोध्या सहित सारे देश में राम नवमी का ये त्यौहार परम्परागत ढंग से मनाया जाता है ,पर बुंदेलखंड में राम जन्मोत्सव एक अनोखे अंदाज में मनाया जाने लगा है | छतरपुर से शुरू हुई ये परम्परा अब सारे बुंदेलखंड इलाके में फ़ैल गई है | यहाँ एसा लगने लगता है की वास्तव में क्या भगवान् श्री राम फिर से जन्म ले रहे हें , उनके जन्म के बाद लोगों के उत्साह और उम्मंग को देखकर यही लगता है जेसे भगवान् ने ही अवतार ले लिया हो | सारा शहर राममय हो जाता है |
भगवान् श्री राम के जन्मोत्सव पर छतरपुर शहर को धार्मिक स्थल की तरह सजाया जाता है| जगह जगह केशरिया पताकाएं लगाईं जाती हें , नगर में वंदन वार बाँधी जाती हें , लाइट की व्यवस्था , जगह जगह श्री राम के कट-आउट लगाए जाते हें , नगर के मुख्य गांधी चौक बाजार में राम दरबार सजाया जाता है | राम जन्म के बाद जब श्रद्धा से सराबोर लोग केशरिया पताकाएं लेकर निकले , आगे भगवान् श्री गणेश का रथ चल रहा था , इसके बाद देवी देवताओं की झांकियां , ठीक वेसे ही जैसे राम जन्म को देखने आये देवताओं आगमन अयोध्या में हुआ था | फर्क इतना था वो त्रेता युग की बात थी और ये कलयुग की बात है जहाँ उनके प्रतीक को ही मान कर मानव माँ संतोष कर लेता है | सारे नगर वासी सड़कों पर निकल कर अपनी ख़ुशी का इजहार करते हें और राम जन्मोत्सव के इस भव्य समारोह में भाग लेते हें | इस समारोह को देखने के लिए अब दूर -दूर से लोग भी आने लगे हें | छतरपुर में यह आयोजन तो पिछले दो सौ सालों से हो रहा था ., किन्तु पिछले पांच सालों में इसे एक अनोखी भव्यता और दिव्यता मिली , जिसका असर ये हुआ की यह शोभा यात्रा अब छतरपुर ,के अलावा ,पन्ना ,टीकम गण ,सागर , मऊरानीपुर ,महोबा में भी इसी भव्यता से निकलने लगा है |
भगवान राम को उनके सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्त शासन के लिए याद किया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जिन्होंने पृथ्वी पर अजेय रावण के नाश के लिए अवतार लिया था । राम राज्य शांति व समृद्धि का पर्यायवाची बन गया है | उन्होंने आजीवन मर्यादा का पालन किया, इसीलिये उनको मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं.भगवान राम बहुत बड़े पितृभक्त थे. अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी वे अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्यागकर चौदह वर्षों के लिए अपने छोटे भई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वन चले गये. वन में जाकर रक्षसों के सबसे बड़े राजा रावण का सर्वनाश करके उसका राज्य विभीषण को सौंपकर वापस अयोध्या आ गये. हनुमान भगवान श्रीराम के परमभक्त तथा सुग्रीव परममित्र थे.
रवीन्द्र व्यास
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