(Article) समर्पण की जिंदा मिसाल हैं रामेंद्र शर्मा : Jagran
बांदा। जीवन में कामयाब वे होते हैं जिनके अंदर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने का माद्दा होता है और वे जीवन में मिले किसी भी अवसर से फायदा उठा लेते हैं। राष्ट्रीय शूटिंग टीम के कोच रामेंद्र शर्मा इसी बात की मिसाल हैं। भारत की राष्ट्रीय निशानेबाजी टीम का प्रतिनिधित्व करने व तमाम पदक जीतने के बाद खेल कोटे से इन्हें यहां की गैस एजेंसी दे दी गई। व्यवसाय के अलावा भी उन्होंने अपनी खेल की गतिविधियां जारी रखीं। मेहनत और योग्यता के बल पर उन्हें राष्ट्रीय टीम का कोच बना दिया गया। खेल जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शर्मा ने अपने खेल जीवन 1996-97 में यूपी का सबसे बड़ा पुरस्कार लक्ष्मण अवार्ड हासिल किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने पूरे खेल कैरियर में करीब ढाई सौ पदक प्राप्त किए हैं। जिसमें 125 गोल्ड, 75 रजत और 50 कांस्य पदक शामिल हैं। उन्होंने 1975 में प्रदेश स्तर की पहली चैंपियनशिप और 1981 में पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप केरल में खेला। शर्मा पिछले चार वर्ष से लगातार इंडिया टीम के कोच और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं के जजेज एंड ज्यूरी के पद पर नियुक्त हैं। उन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली टीम के टॉप शूटर जसपाल राणा, रामरेश चंदू जैसे खिलाड़ियों को विभिन्न कैंपों में कोचिंग दी है। फिलहाल वह 29 दिसंबर से अहमदाबाद में शुरू हो रही राष्ट्रीय चैंपियनशिप में यूपी टीम के कोच के रूप में शामिल हो रहे हैं।
Courtesy: Jagran
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