(Blog) बुंदेलखण्ड में सूखे की मार, किसान आत्महत्या करने से लाचार : सुनील 'चित्रकूटी'
बुंदेलखण्ड में सूखे की मार, किसान आत्महत्या करने से लाचार
भारत का सबसे पिछड़ा भूखण्ड क्षेत्र बुंदेलखण्ड पिछले कई सालों से आजतक सूखा, पुलिस, डाकु के कहर से कराह रहा है। हरित गृह के कारण से बरसात लुप्त हो गयी। नहर के ऊपर से छोटी-छोटी नदियों का साया उठ जाने से नहर अनाथ हो गये हैं। प्यासे खेत मुहं फैलाये तड़प रहे हैं। विश्व के पेट की क्षुधा मिटाने वाला किसान आज खुद के पेट की क्षुधा मिटाने के लिए लाचार है। सुयोग्य वर के साथ बेटी की विदाई तथा संतान की अच्छी परवरिस और शिक्षा दिलाने के सपनों को खेत के दर्रे निगल गये। कर्ज न चुका पाने से साहूकारों की गुलामी और प्रताड़ाना से स्वतंत्र भारत में फिरंगियों के काल की जिंदगी जीने की विवसता तथा हजारों कोड़े वर्षाये जाने से जख्मों का घूट पीना, डाकुओं और पुलिस के युद्ध से किसानों के आशियानों को बंजर मैदान में तब्दील होना, पुलिस द्वारा बेगुनाह किसानों को डाकू करार दे कर जेल भेजने जैसी तमाम जिल्लतों, घोर कठिनाइयों,असहनीय पीड़ा का सामना करते-करते किसानों और मजदूरों के दिमाग में अवसाद की उत्पत्ति और अवसाद के ताडंव नृत्य से किसान दो गज का कफन ओढ़ने के लिए मजबूर हो जाता है।
बुंदेलखंड की व्यथा पूरा भारत जानता है और सरकार को तो अच्छी तरह से पता है, परंतु सरकार आंखो में पट्टी बांधे बुत हो गई है। इसीलिये जगह-जगह अपने बुत बनवा रही है। किसानों को पानी चाहिये बुत नहीं न ही स्मारक की शोभा। केंद्र सरकार हजारों करोडों रुपया दी, परंतु उत्तर प्रदेश सरकार उसमें से फूटी कौड़ी भी वितरित नहीं की। कहीं से अगर सूखा राहत आया भी तो चेक के माध्यम से। जहां कि बैंक वाले महीनों दौड़ाते हैं। बैंको के चक्कर काटते-काटते सूखा राहत से ज्यादा रुपया खर्च हो जाता है। सरकार के अदंर बुंदेलखंड के प्रति गंभीरता नहीं बल्कि मुंह में फिजूल की चिल्लाहट है। सरकार उस पेड़ के नीचे ट्यूबेल लगवा रही है जिसके नीचे पानी हिलोरे मार रहा है, न कि उस कुम्हलाए हुए पेड़ के नीचे जिसमें दर्रे हैं।
बुंदेलखंड की जनता का मानना है कि यहां की समस्या का एक ही हल है पृथक बुंदेलखंड राज्य की स्थापना।
"तुम हमें पानी दो, हम तुम्हे रोटी देंगे"
सुनील ‘चित्रकूटी’ - Sunil Kumar Singh
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय - BHU Varanasi
B.A.(Political Science), Allahabad University
Chitrakoot (UP) India
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Bundelkhand-what needs to be done?