बुन्देली का अंतर्राष्ट्रीय सिंगापुर साहित्य सम्मेलन सम्पन्न
बुन्देली का अंतर्राष्ट्रीय सिंगापुर साहित्य सम्मेलन सम्पन्न
कवि
कैलाष मड़बैया को मिला‘सिंगापुर साहित्य सम्मान-2015’ एवं प्रो0 गुप्ता को ‘सृजन
सम्मान’ ‘अन्तर्राष्ट्ीय साहित्य सम्मेलन सिंगापुर’बुन्देली लोक भाषा पर केन्द्रित,
अल्टा इलेक्ट्ोनिक देष सिंगापुर में,अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति
परिषद भोपाल एवं सिंगापुर इण्डो ऐसोसियेषन के तत्वावधान में,आयुष आयुर्वेदिक
ऐकेडमी,रेसकोर्स रोड़ के भव्य सभाभवन में महात्मा गांधी की जयन्ती पर सम्पन्न हुआ।
समारोह के मुख्य अतिथि 1857 की क्रान्ति के जनक मंगलपाण्डे के वंषज एवं
एस.आइ.2आइ.सिंगापुर के महानिदेषक श्री मनीष त्रिपाठी, विषेष अतिथि ज्वेल आफ गुजरात
श्री प्रदीप जोषी सिंगापुर और अध्यक्षता भारत के वरिष्ठ साहित्यकार श्री कैलाष
मड़बैया ने की।मुख्य वक्ताओं में सिंगापुर के प्रो/डाॅ..आनन्द प्रकाष गुप्ता,
मधुसूदन केालेने अध्यक्ष संस्कार भारती अहमदनगर वि0से0संघ िसगापुर,प्रदीप
मैथानी,विवीषा और सुधीर गुप्ता थे। विषेषरुप से भारत से आमंत्रित सुप्रसि़द्ध कवि
श्री कैलाष मड़बैया भोपाल का इस अवसर पर अनवरत काव्य पाठ हुआ जिसे भरपूर सराहना मिली।मुख्य
अतिथि और विषिष्ट अतिथियों ने इस भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार श्री कैलाष
मड़बैया को अन्तर्राष्ट्ीय साहित्य सम्मान सिंगापुर-2015 प्रदान करते हुये सम्मान
पत्र,साॅंल,सिंगापुर मोमेण्टो और रत्नजडि़त गणेष प्रतिमा भेट की। प्रो/डां. आनन्द
प्रकाष गुप्ता सिंगापुर को सृजन सम्मान साॅंल और फूलमाला से सम्मानित किया गया।महिला
प्रकोष्ठ ़द्वारा मालती जी को भी उनके शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिये सांल,श्रीफल
से सम्मानित किया गया।अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड परिषद की ओर से भी सिंगापुर के
विद्वानों को छत्रसाल,ईसुरी,जगनिक के विषेष मोमेण्टो व साहित्य प्रदान किया गया।स्वागत
भाषण में,श्री मनोज सक्सेना डीबीएल बेंक सिंगापुर ने बुन्देली के द्वितीय
अन्तर्राष्ट्ीय सम्मेलन में पधारे भारतीय और विदेषी अतिथियों का अभिनन्दन किया।
विषय प्रर्वतन करते हुये संयोजक श्री विनायक अवस्थी ने विष्व हिन्दी सम्मेलन भोपाल
और बुन्देली के साहित्यक अवदान पर प्रकाष डाला।प्रो. आनन्द प्रकाष गुप्ता ने
संयुक्त राष्ट् संघ में हिन्दी को मान्यता देने और बुन्देली भाषा को भारत सरकार
द्वारा 8वीं अनुसूची में स्थान प्रदान करने आदि के, पांच प्रस्ताव प्रस्तुत किये
जिसे सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया। मुख्य अतिथि श्री मनीष त्रिपाठी
‘इलेक्ट्ोनिक प्रिंस’सिंगापुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि उनके पूर्वज 1857 के
क्रान्तिकारी मंगल पाण्डे के वंषज थे,वे कभी जबलपुर मध्यप्रदेष में रहे हैं और
बुन्देलखण्ड के गौरव से बखूब परिचित हैं।कम्प्यूटर के लिये बुन्देली उपयुक्त भाषा
है।उन्होंने कहा कि दीर्घकाल से सिंगापुर में रहते हुये भी वे अपने बच्चों को
भारतीय व बुन्देली संस्कृति से किसी न किसी प्रकार जोड़े हुये हैं, यही उनकी विदेषों
में पहचान है। आभार प्रदर्षन अनेक सिंगापुरी मंचों और कार्यक्रमों के संयोजक श्री
राजेष कुमार सिंगापुर द्वारा किया गया जो भारतीय संस्कृति और विदेष विभाग से गहरे
जुड़े हुये हैं।समारोह में अनेक भारतीय एवं विदेषी लेखकों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
By: Bundelkhand Sahitya Parishad