बुंदेलखंड में जनता त्रस्त सरकार मस्त


 बुंदेलखंड में जनता त्रस्त सरकार मस्त


बुंदेलखंड _ के दर्द की हरपल सुर्खिया बनती हैं देश दुनिया के समाचार माध्यमों में । सुप्रीम कोर्ट भी दर्द की दवा देने के निर्देश सरकार को देता है ,पर ना दवा मिली और ना दर्द कम हुआ ।ये हालात तब हैं जब सुप्रीम कोर्ट स्वयं जांच दल भेज कर बुंदेलखंड के हालातों पर नजर बनाये हुए है । उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में केंद्रीय जांच दल सूखे की स्थिति का जायजा लेने कई गाँवों में पहुंचा था । दल ने भी माना था की बुंदेलखंड के हालात वाकई बहुत खराब हैं ना पीने को पानी है और ना ही खाने को अनाज । मध्य प्रदेश वाले बुंदेलखंड इलाके के टीकमगढ़ जिले का जायजा लेने जब यह दल पहुंचा तो उसे यहां के हालात और भी बदत्तर मिले । मराठवाड़ा से होकर बुंदेलखंड आये स्वराज अभियान के संयोजक योगेन्द्र यादव अब यहां के वास्तविक हालात से सुप्रीम कोर्ट को अगस्त में होने वाली पेशी में अवगत कराएंगे । तय है की सुप्रीम कोर्ट जांच दल वा योगेन्द्र यादव की रिपोर्ट सरकार को एक बार फिर उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों के लिए कटघरे में खड़ा करेगी । पर फिलहाल सरकार तो अपने दो साल पूर्ण होने के जश्न में मस्त है , जनता रहे त्रस्त उसकी बला से ।

बदहाल बुंदेलखंड के हाल देख कर सुर्प्रीम कोर्ट से नियुक्त रिटायर्ड आई.ए.एस.हर्ष मंदर भी हैरान रह गए । वे टीकमगढ़ जिले के दो दिवसीय दौरे पर आये थे । उन्होंने अकाल ग्रस्त इस जिले में पाई संवेदन हीनता की पराकास्ठा । दल ने टीकमगढ़ जिले के जतारा विकाश खण्ड के सिमरा एवं कुंवरपुरा , निवाड़ी विकाश खण्ड के लडवारी और चंद्रपुरा गाँवों में पहुँच कर हालातों का जायजा लिया । दल ने पाया की स्कूलों में रोजाना बच्चों को खाना तो दूर नियमित तौर पर स्कूल भी नहीं खुल रहे है,। मनरेगा में लोगों काम नही मिल रहा है, मनरेगा अगर ठीक से चलता तो पलायन को रोका जा सकता था,। जिस प्रकार का काम लोगों को मिलना चहिये वह नही मिल रहा । बिजली बसूली के नाम पर ,रिकबरी अभियान चलाकर लोगों की बिजली काट दी गई है जिससे लोग पंपों से पानी नही निकाल पा रहे है जो संबेदन हीनता की पराकाष्ठा ही कही जा सकती है, । राशन वितरण प्रणाली भी भगवान भरोशे है कुंवर पूरा के आदिवासियों को चार माह से खाद्दान नहीं मिला । वहीँ इसी गाँव के आदिवासियों ने बताया की पट्टे तो उनके पास हैं पर कब्जा दबंगो का है । पानी लेने भी दूर दूर तक जाना पड़ता है ।

पिछले दिनों केंद्र सरकार का दल सूखे की स्थिति का जायजा लेने उत्तर प्रदेश के बुंदेलखडं के ललितपुर ,झाँसी ,महोबा , हमीरपुर ,बांदा ,चित्रकूट जिला के कई गाँवों में पहुंचा था। केन्द्रीय जाँच दल का मकसद कम बारिश के कारण खरीफ ,और रवि फसलों , आम लोगों के जीवन, पशुपक्षी पर हुए असर का अध्ययन करना था । इसके अलावा पेयजल , जल संरक्षण सहित सरकार द्वारा चलाये गए राहत कार्यकम को किस तरह से जिला का प्रशासनिक अमला संचालित कर रहा है इसका मूल्यांकन करना रहा । दल ने ग्रामीणों से पानी , मवेशियों को बांटे गए भूसा और मनरेगा योजना , पलायन की स्थिति पर चर्चा की । दल के मुखिया ए के सिंह ने माना कि यहां के हालात बेहद गम्भीर हैं जिसकी रिपोर्ट केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को सौंपी जायेगी।

महोबा जिले के कबरई विकास खण्ड के बरीपुरा गाँव में जाँच दल को लेकर किसानो का अपना एक अलग नजरिया देखने को मिला । यहां का किसान माधव प्रसाद कहता है कि " व्यवस्था कराए के लाने आये थे हमने सुनाईकरी की चारा देहे पानी देहें तो कुछ व्यवस्था नहीं करी और खा पीकर भाग गए । ये लोग आते हैं बात सुनते हैं पै हम ओरन को कुछ लाभ नहीं होता । हम तो कैसे भी अपनी चला लेंगे पर बेजुवान पशु के लिए ना पानी है और ना भूषा । हर रोज दो चार जानवर गाँव में मर रहे हैं । हर आने वाले के प्रति हसरत की निगाह से देखने वाले किसानो को सूखा का जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय दल से भी आशा थी की केंद्र का दल आया है शायद कुछ भला हो जाएगा । यह कहानी सिर्फ वीरपुरा गाँव भर की नहीं है बल्कि बुंदेलखंड के जिस गाँव में भी यह दल पहुंचा उसे इसी तरह के हालात देखने को मिले ।

बुन्देलखण्ड में सूखे को लेकर एक अभियान की शुरूआत, करने वाले और देश के सामने बुंदेलखंड अकाल की विभीषिका सामने लाने वाले योगेन्द्र यादव फिर से बुंदेलखंड के दौरे पर हैं । अबकी बार उनके साथ डॉ. राजेन्द्र सिंह , डॉ सुनीलम , और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभीक साहा भी हैं । टीकमगढ जिले के आलमपुर गांव से शुरू हुई उनकी पदयात्रा महोबा उत्तर प्रदेश में पूर्ण होगी । यादव ग्रामीणों को बता रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में प्रभावितों की मदद के लिए सरकारों को जो निर्देश दिए हैं, उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए जल-हल यात्रा शुरू की गई है। इतना ही नहीं, वे वास्तविकता का ब्यौरा एक अगस्त को होने वाली पेशी में हलफनामा देकर बताएँगे 15 -20 किमी रोजाना पदयात्रा करने के दौरान उनके साथ स्थानीय ग्रामवासियों की अच्छी खासी संख्या यह बता रही थी की मानो उनके साथ चलने से उनकी विपत्ति का कुछ तो समाधान होगा । योगेन्द्र यादव यादव लोगों को बातों ही बातों में यह बताने से नहीं चूकते की इतना भयानक सूखा इतनी बड़ी त्रासदी है बुंदेलखंड में है , ऐसे में सारी मशीनरी मंत्री और सांसद विधायक को सब को सड़के नापनी चाहिए । मध्य प्रदेश सरकार ने हलफनामा देकर जो बातें कही उसकी धज्जियां उड़ती यहां देख रहे हैं । मिड डे मील नहीं मिल रहा , मनरेगा में काम नहीं मिल रहा , लोगों को राशन नहीं मिल रहा है, फसल नुक्सान का मुआवजा मिल नहीं रहा है , मिल क्या रहा है बैंकों के नोटिस । हालात बदलने के लिए पूरे देश को कदम उठाने होंगे , जब तक विकाश की नीति और धारा नहीं बदलेंगे तब तक बुंदेलखंड की अवस्था बुनियादी नहीं बदलेगी । जनता को भी संघर्स करना तो सीखना होगा क्योंकि बगैर रोये माँ भी दूध नहीं पिलाती ।

योगेन्द्र यादव की मध्य प्रदेश के प्रति सूखा ने धारणा भी बदल दी है । वे अब तक मानते रहे की एम पी बेहतर करती है किन्तु सूखा के इस दौर में मनरेगा में यू पी ने 120 फीसदी काम किया किन्तु एम पी ने एक तिहाई भी नहीं किया ।

दिखावटी योजनाएं :- बुंदेलखंड के मध्य प्रदेश के जिलों में अचानक सरकार ने सक्रियता दिखाने का प्रयास किया । प्रशासन को निर्देश जारी हुए की मनरेगा से गाँव -गाँव में तालाबों का गहरी करण कराया जाए , नए तालाब खोदे जाए । इस आदेश के बाद से गाँव गाँव के सरपंच और सचिव अपने अपने गाँव के तालाबों की योजना बनाकर जनपद जिला पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं । सरपंच और सचिव भी यह बात स्वीकारने में कोई परहेज नहीं करते की इतने विलम्ब से काम शुरू होगा , तब तक बारिश शुरू हो जायेगी , फिर काहे का गहरी करण होगा ।

बुंदेलखंड के लोग यदि सरकार की ऐसी योजनाओं से राहत की उम्मीद लगाए रहे तो कुछ होने जाने वाला नहीं है । प्रकृति के पर्यावरण चक्र के बदलते स्वरुप के कारण आने वाले समय में और परेशानियों का समाना करना पडेगा । हालात का मुकाबला करने के लिए सब को मैदान आना होगा , जल ,जंगल और जमीन का बेहतर प्रबंधन करना होगा । इसके विनाशक तत्वो को सबक सिखाना होगा ।

By:: रवीन्द्र व्यास