बुंदेलखंडी कहावतें - Bundeli Kahawatein

बुंदेलखंडी कहावतें (Bundelkhandi Kahawatein)  

 
​अँसुआ न मसुआ, भैंस कैसे नकुआ ॥ 
 
 
अक्कल पै पथरा पर गये ​॥ 
 
 
अकुलायें खेती,सुस्तायें बंज ॥ 
 
 
अकेली हरदसिया, सबरो गाँव रसिया ॥ 
 
 
अकौआ से हाती नईं बंदत ॥ 
 
 
अटकर की फातियाँ पड़बो ॥ 
 
 
अड़ुआ नातो, पड़ुआ गोत ॥ 
 
 
अत कौ भलौ न बोलनो, अत की भली न चुप्प । 
अत कौ भलौ न बरसबो, अत की भली न धुप्प ॥ 
 
 
 
अनबद खैला ॥ 
 
 
अपनी टेक भँजाइ, बलमा की मूँछ कटाई ॥ 
 
 
अपनी मताई से कोऊ भट्टी नईं कत ॥ 
 
 
अपनूईं गावें, अपनूईं बजावें ॥ 
 
 
अंधरन की लोड़ कीताउं लगे ॥ 
 
 
आग लगे तोरी पोथिन मैं । 
जिउ धरौ मोरो रोटिन में ॥ 
 
 
आदमियन में नौआ, और पंछियन में कौवा ॥ 
 
 
आप मियाँ मांगते, दुवार खड़े दरवेश ॥ 
 
 
  • अंदरा की सूद

  • अपनी इज्जत अपने हाथ

  • अक्कल के पाछें लट्ठ लयें फिरत

  • अक्कल को अजीरन

  • अकेलो चना भार नईं फोरत

  • अकौआ से हाती नईं बंदत

  • अगह्न दार को अदहन

  • अगारी तुमाई, पछारी हमाई

  • इतै कौन तुमाई जमा गड़ी

  • इनईं आंखन बसकारो काटो?

  • इमली के पत्ता पपे कुलांट खाओ

  • ईंगुर हो रही

  • उंगरिया पकर के कौंचा पकरबो

  • उखरी में मूंड़ दओ, तो मूसरन को का डर

  • उठाई जीव तरुवा से दै मारी

  • उड़त चिरैंया परखत

  • उड़ो चून पुरखन के नाव

  • उजार चरें और प्यांर खायें

  • उनकी पईं काऊ ने नईं खायीं

  • उन बिगर कौन मॅंड़वा अटको

  • उल्टी आंतें गरे परीं

  • ऊंची दुकान फीको पकवान

  • ऊंटन खेती नईं होत

  • ऊंट पे चढ़के सबै मलक आउत

  • ऊटपटांग हांकबो

  • एक कओ न दो सुनो

  • एक म्यांन में दो तलवारें नईं रतीं

  • ऐसे जीबे से तो मरबो भलो

  • ऐसे होते कंत तौ काय कों जाते अंत

  • ओंधे मो डरे

  • ओई पातर में खायें, ओई में धेद करें

  • ओंगन बिना गाड़ी नईं ढ़ंड़कत

  • कंडी कंडी जोरें बिटा जुरत

  • कतन्नी सी जीव चलत

  • कयें खेत की सुने खरयान की

  • करिया अक्षर भैंस बराबर

  • कयें कयें धोबी गदा पै नईं चढ़त

  • करता से कर्तार हारो

  • करम छिपें ना भभूत रमायें

  • करें न धरें, सनीचर लगो

  • करेला और नीम चढो‌‌

  • का खांड़ के घुल्ला हो, जो कोऊ घोर कें पीले

  • काजर लगाउतन आंख फूटी

  • कान में ठेंठा लगा लये

  • कुंअन में बांस डारबो

  • कुंआ बावरी नाकत फिरत

  • कोऊ को घर जरे, कोऊ तापे

  • कोऊ मताई के पेट सें सीख कें नईं आऊत

  • कोरे के कोरे रे गये

  • कौन इतै तुमाओ नरा गड़ो

  • खता मिट जात पै गूद बनी रत

  • खाईं गकरियां, गाये गीत, जे चले चेतुआ मीत

  • खेत के बिजूका

  • गंगा नहाबो

  • गरीब की लुगाई, सबकी भौजाई

  • गांव को जोगी जोगिया, आनगांव को सिद्ध

  • गोऊंअन के संगे घुन पिस जात

  • गोली सें बचे, पै बोली से ना बचे

  • घरई की अछरू माता, घरई के पंडा

  • घरई की कुरैया से आंख फूटत

  • घर के खपरा बिक जेयें

  • घर को परसइया, अंधियारी रात

  • घर को भूत, सात पैरी के नाम जानत

  • घर घर मटया चूले हैं

  • घी देतन वामन नर्रयात 

  • घोड़न को चारो, गदन कों नईं डारो जात

  • चतुर चार जगां से ठगाय जात

  • कौआ के कोसें ढ़ोर नहिं मरत

  • चलत बैल खों अरई गुच्चत

  • चित्त तुमाई, पट्ट तुमाई

  • चोंटिया लेओ न बकटो भराओ

  • छाती पै पथरा धरो

  • छाती पै होरा भूंजत

  • छिंगुरी पकर कें कोंचा पकरबो

  • छै महीनों को सकारो करत

  • जगन्नाथ को भात, जगत पसारें हाथ

  • जनम के आंदरे, नाव नैनसुख

  • जब की तब सें लगी

  • जब से जानी, तब सें मानी

  • जा कान सुनी, बा कान निकार दई

  • जाके पांव ना फटी बिम्बाई, सो का जाने पीर पराई

  • जान समझ के कुआ में ढ़केल दओ

  • जित्ते मों उत्ती बातें

  • जित्तो खात. उत्तई ललात

  • जित्तो छोटो, उत्तई खोटो

  • जैसो देस, तैसो भेष

  • जैसो नचाओ, तैसो नचने

  • जो गैल बताये सो आंगे होय

  • जोलों सांस, तौलों आस

  • झरे में कूरा फैलाबो

  • टंटो मोल ले लओ

  • टका सी सुनावो

  • टांय टांय फिस्स

  • ठांडो‌ बैल, खूंदे सार

  • ढ़ोर से नर्रयात

  • तपा तप रये

  • तरे के दांत तरें, और ऊपर के ऊपर रै गये

  • तला में रै कें मगर सों बैर

  • तिल को ताड़ बनाबो

  • तीन में न तेरा में, मृदंग बजाबें डेरा में

  • तुम जानो तुमाओ काम जाने

  • तुम हमाई न कओ, हम तुमाई न कयें

  • तुमाओ मो नहिं बसात

  • तुमाओ ईमान तुमाय संगे

  • तुमाये मों में घी शक्कर

  • तेली को बैल बना रखो

  • थूंक कैं चाटत

  • दबो बानिया देय उधार

  • दांत काटी रोटी

  • दांतन पसीना आजे

  • दान की बछिया के दांत नहीं देखे जात

  • धरम के दूने

  • नान सें पेट नहीं छिपत

  • नाम बड़े और दरसन थोरे

  • निबुआ, नोंन चुखा दओ

  • नौ खायें तेरा की भूंक

  •  

  • नौ नगद ना तेरा उधार

  • पके पे निबौरी मिठात

  • पड़े लिखे मूसर

  • पथरा तरें हाथ दबो

  • पथरा से मूंड़ मारबो

  • पराई आंखन देखबो

  • पांव में भौंरी है

  • पांव में मांदी रचायें

  • पानी में आग लगाबो

  • पिंजरा के पंछी नाईं फरफरा रये

  • पुराने चांवर आयें

  • पेट में लात मारबो

  • बऊ शरम की बिटिया करम की

  • बचन खुचन को सीताराम

  • बड़ी नाक बारे बने फिरत

  • बातन फूल झरत

  • मरका बैल भलो कै सूनी सार

  • मन मन भावे, मूंड़ हिलाबे

  • मनायें मनायें खीर ना खायें जूठी पातर चांटन जायें

  • मांगे को मठा मौल बराबर

  • मीठी मीठी बातन पेट नहीं भरत

  • मूंछन पै ताव दैवो

  • मौ देखो व्यवहार

  • रंग में भंग

  • रात थोरी, स्वांग भौत

  • लंका जीत आये

  • लम्पा से ऐंठत

  • लपसी सी चांटत

  • लरका के भाग्यन लरकोरी जियत

  • लाख कई पर एक नईं मानी

  • सइयां भये कोतबाल अब डर काहे को

  • सकरे में सम्धियानो

  • समय देख कें बात करें चइये

  • सोउत बर्रे जगाउत

  • सौ ड़ंडी एक बुंदेलखण्डी

  • सौ सुनार की एक लुहार की

  • हम का गदा चराउत रय

  • हरो हरो सूजत

  • हांसी की सांसी

  • हात पै हात धरें बैठे

  • हात हलाउत चले आये

  • होनहार विरबान के होत चीकने पात

  • हुइये बही जो राम रूचि राखा

Courtesy: श्री कृष्णा नन्द गुप्त (गरौठा, झाँसी)