बुंदेलखंड में गिरता जल स्तर (Depleting Water Level In Bundelkhand)
मध्य प्रदेश का यह बुंदेलखंड इलाका भी भू -जल दोहन में अग्रणी रहा है | हालात ये बने की ग्राउंड वाटर के मामले में यह इलाका भी डार्क जोन में पहुँचने का ख़तरा मंडराने लगा है | पर यहां के हालात अजीब हैं बुंदेलखंड के इन जिलों में एक ओर जहां जल स्तर में गिरावट ने स्थितियों को और चिंताजनक बनाया है वहीँ सरकार के प्रयासों पर यहां के अधियकारियों ने जम कर पलीता लगाया है | सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज और मुख्यमंत्री नल जल योजना के माध्यम से गाँव में नल जल योजनाए शुरू कराई थी | पर गाँव की इन योजनाओं के सुचारु संचालन में ना अधिकारियों की रूचि थी और ना ही गाँव के सरपंचों की | गाँव के सरपंच इन योजनाओ में घटिया सामग्री को जिम्मेदार मानते हैं | इन हालातों में बुंदेलखंड के सागर संभाग की आधी से ज्यादा नल जल योजनाए ठप्प पड़ी हैं | केंद्र सरकार ने जरूर गिरते जल स्तर के सुधार के लिए 231 करोड़ रु की धन राशि उपलब्ध कराई है |
पिछली बार टीकमगढ़ जिले के निवाड़ी ब्लॉक को छोड़ कर बुंदेलखंड में जम कर वर्षा हुई थी | वर्षा से तमाम जल श्रोत लबालब भर गए थे , इसके बावजूद बुंदेलखंड में जल स्तर का गिरना एक गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है | असल में प्रशासन के प्रयास कागजी और सतही ज्यादा नजर आते हैं ,| जिला के कलेक्टरो के तमाम निर्देशों के बावजूद सम्बंधित विभागों ने स्टॉप डेम पर गेट लगवाने की जरुरत नहीं समझी , और ना ही अन्य तरीको से स्टॉप डेमो पर पानी रोकने का प्रयास किया | नतीजतन बुंदेलखंड के छोटे नालों , नदियों से पानी अविरल बहता रहा , जिसका परिणाम ये हुआ की जो स्टॉप डेम जल स्तर बढ़ाने में सहायक हो सकते थे वे बेकार साबित हुए | नतीजे में सागर संभाग में छतरपुर और टीकमगढ़ जिले में जल स्तर में सर्वाधिक गिरावट आई है | बुंदेलखंड के अन्य जिलों में जहां 5 से 10 फीट की जलस्तर में गिरावट आई है वहीँ छतरपुर और टीकमगढ़ जिले में यह गिरावट 10 से 22 मीटर की आई है |
सूर्य देव की कृपा से तपते बुंदेलखंड में बचा खुचा जल भी दिनों दिन गायब होता रहा | सागर संभाग के छतरपुर जिले में जल स्तर को लेकर सबसे ज्यादा चिंताजनक हालत बने | छतरपुर जिले के 20 फीसदी हेंड पम्प , 50 फीसदी बोरवेल , 65 फीसदी जलाशय और 30 फीसदी कुओं ने जबाब दे दिया | इसी तरह दमोह जिले में 10 फीसदी हेंड पम्प , 30 फीसदी बोरवेल, 60 फीसदी जलाशय और 46 फीसदी कुए, पन्ना जिले के 11 फीसदी हेंड पम्प , 5 0 -50 फीसदी बोरवेल वा जलाशय , 14 फीसदी कुँए , टीकमगढ़ जिले के 9 फीसदी हेण्डपम्प , 40 फीसदी बोरवेल , 48 फीसदी जलाशय ,25 फीसदी कुँए , और सागर जिले में 10 फीसदी हेंड पम्प 30 फीसदी बोरवेल , 40 फीसदी जलाशय और 30 फीसदी कुओं का जल स्तर जबाब दे चुका है | इन जिलों में इन पर आश्रित आबादी जल की भीषण त्रासदी भोगने को मजबूर है | सबसे चिंताजनक बात यही है की पर्याप्त वर्षा होने के बावजूद प्रशासनिक और जन लापरवाही के कारण वर्षा जल का बेहतर प्रबंधन करने में हम असफल रहे | जिसके चलते वर्षा जल बहता रहा और हम सब भू - जल दोहन में जुटे रहे जिसके चलते इन जिलों के जल स्तर में व्यापक गिरावट दर्ज की गई |
जल संकट से जूझते टीकमगढ़ जिले के निवाड़ी ब्लाक में लोग 300 से 500 रु में पानी का टेंकर खरीदने को मजबूर हैं | यहां दो तीन दिनों में मात्र 20 मिनट के लिए पानी प्रदाय किया जाता है | निवाड़ी ब्लाक की इस समस्या को देख कर समाजवादी पार्टी ने अपना राजनैतिक लाभ तलाश लिया है | पार्टी नेताओं ने 7 टेंकरो को निवाड़ी की जनता की सेवा में लगा दिया है | टीकमगढ़ जिले की 353 नल जल योजनाओ में से 215 नल जल योजनाए बंद पड़ी हैं | दमोह जिले की 347 में से 121 नल जल योजनाये बंद पड़ी हैं | यह जिला मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया का इलाका है , इस जिले में अधिकाँश वनांचल की आबादी दुर्गम पहाड़ों ,पठारों की जल धाराओं और जल कुंडो पर निर्भर है | मध्य प्रदेश शासन की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम मेहदेले के जिले में भी नल जल योजनाओ की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है | जिले की 339 नल जल योजनाओ में से दो सौ से ज्यादा बंद बताई जा रही हैं | हालांकि जिले की 87 नल जल योजनाओं को संचालित और संधारण करने के लिए टेंडर हो चुके हैं | छतरपुर जिले के बक्स्वाहा क़स्बे में रोजाना 20 हजार रु से ज्यादा का पानी बिकता है | पानी बेचने वालों में यहां के अधिकांशतः वे लोग हैं जो अपने आपको समाज सेवी कहलाने में गर्व अनुभव करते हैं | ऐसे लोग १७ टेंकरो के माध्यम से रोजाना पानी बेंचते हैं | जिले की 385 नल जल योजनाओं में से मात्र 195 नल जल योजनाए ही चालू बताई जा रही हैं |
सागर संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद जल त्रासदी से जूझ रहा है | इस जिले की 664 नल जल योजनाओ में से 250 से ज्यादा नल जल योजनाए बंद पड़ी हैं| गिरते जल स्तर के कारण जिले में 119 नल जल योजनाओ के जल श्रोत ही सूख गए हैं , वहीँ 1600 हेंड पम्प ने पानी देना बंद कर दिया है | 10 बिजली कनेक्शन के कारण , 42 पम्प खराब होने के कारण वा 39 योजनाए पाइप लाइन की खराबी के कारण 10 योजनाए चलने काबिल ही नहीं मानी गई हे और 30 नल जल योजनाए ऐसी हैं जो सरपंच साहब की लापरवाही के कारण बंद पड़ी हैं | मतलब साफ़ है की 121 नल जल योजनाए ऐसी हैं जिन्हे थोड़े से प्रयास से शुरू किया जा सकता है , पर यह करे कौन | प्रशासन ने ४० पंचायतों को नल जल योजनाए चालू करने लिए 67 लाख रु दिए हैं , मतलब हर पंचायत १ लाख 67 हजार 5 सौ रु | इस राशि का कितना सदुपयोग हुआ और कितना दुरूपयोग यह जानने का समय किसी के पास नहीं है | जब संभागीय मुख्यालय का यह आलम है तो संभाग जिलों के हालात को समझा जा सकता है |
जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट स्कीम के तहत सवा तीन सौ करोड़ की राशि स्वीकृत की है | इस योजना के तहत सागर संभाग के उन 9 विकाश खंडो में जलस्तर बढ़ाने का काम होगा जहां जल स्तर अत्याधिक तेजी से नीचे पहुंच गया है | सागर संभाग के सागर ,छतरपुर जिला के छतरपुर , राजनगर ,नौगांव दमोह जिला के ,पथरिया ,टीकमगढ़ जिले के बल्देवगढ़ ,निवाड़ी ,पलेरा , और पन्ना जिले के अजयगढ़ विकाश खंड में भू जल स्तर बढ़ाने के लिए पांच विभाग काम करेंगे | जल संसाधन ,ग्रामीण विकाश ,कृषि विभाग , लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी ,और भू -जल सर्वेक्षण विभाग तालाबों , स्टॉप डेम , नाला , बावड़ियों ,कुओं का निर्माण और जीर्णोद्धार का काम करेंगे | इस कार्य पर लगभग 231 करोड़ रु की राशि व्यय की जायगी , शेष 95 -96 करोड़ रु बुंदेलखंड के अन्य इलाकों में खर्च किये जाएंगे | केंद्र सरकार मानती है की इससे ना सिर्फ भू -जल स्तर बढ़ेगा बल्कि इससे जल संकट से भी निजात मिलेगी | पर देखना यही है की सरकार के लोग इस धन राशि का कैसा उपयोग करते हैं अथवा इसका भी उपयोग पूर्व की योजनाओ की तरह ही होता है , जिसके बन्दर बाँट में सरकार के तंत्र से लेकर सरकार के दल के लोग भी सम्मलित रहते थे ?
BY: रवीन्द्र व्यास