(Article) देश में सूखे का केंद्र मराठवाड़ा नहीं बल्कि बुंदेलखंड है - योगेन्द्र यादव 


देश में सूखे का केंद्र मराठवाड़ा नहीं बल्कि बुंदेलखंड है ॥ योगेन्द्र यादव 


टीकमगढ़ // बुंदेलखंड के हालात देख कर देश के लोकतंत्र को अपना सर शर्म से झुका लेना चाहिए , आजदी के 68 साल बाद देश में ये स्थिति है , पूरी व्यवस्था ही फेल है । देश में सूखे का केंद्र मराठवाड़ा नहीं बल्कि बुंदेलखंड है । सच बात तो ये है की बुंदेलखंड में चाहे मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश हो , चाहे सपा हो , बसपा हो , भाजपा हो या कांग्रेस हो , ये पूरा इस देश का राजनैतिक तंत्र फेल है । यह बात गुरूवार को स्वराज अभियान के संयोजक योगेन्द्र यादव टीकमगढ के जिले के मस्तापुर और कोडियां गांव के दौरे के दौरान पत्रकारों से कही ।

योगेन्द्र यादव ने गाँव वालों के बीच चौपाल लगाकर घण्टों ग्रामीणों की समस्यायें सुनी और पिछले तीन साल से लगातार सूखें और उससे उत्पन्न होने बाली समस्याओं की जानकारी ली। खाद्दान वितरण , पानी, फसल और रोजगार की समस्याओं को वे बड़ी ध्यान लगाकर सुनते रहे । उन्होंने खाली राशन कार्ड और जॉब कार्ड भी देखे । वे गाँव की छोटी -छोटी बालिकाओं के साथ हेंड पम्प और सूखे कुए भी देखने पहुंचे । गाँव वालों की समस्याएं सुनने के बाद उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा की स्वराज अभियान उसी उदेश्य को लेकर चला है , जिस उदेश्य को लेकर ३-४ साल पहले इस देश में एक बड़ा जनता का आंदोलन खड़ा हुआ था । एक ऐसे देश की कल्पना को लेकर जिसमे जनता नेताओं के सामने एक प्रजा की तरह ना गिड़गिड़ाए जनता खुद अपनी किस्मत की मालिक हो यहां जो हम्म आये हैं , बुंदेलखंड में तीसरी बार आये हैं । यहां आकर मुझे अहसास हुआ है की राष्ट्रव्यापी सूखे का केंद्र मराठवाड़ा नहीं है इसका केंद्र बुंदेलखंड है ।

योगेन्द्र यादव ने कहा की यहां की परिस्थितियां देखा कर हमने एक सर्वेक्षण उत्तर प्रदेश में किया था जिसके परिणाम बहुत दुखदाई और भयावह थे । उसके बाद हमने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा । यू पी सरकार ने कुछ घोषणा भी की है लेकिन अभी तक उन घोषणाओं का कुछ असर हुआ हो ऐसा नहीं दिख रहा है । कारण बुंदेलखंड में हम फिर आये हैं आज से दौरा शुरू किया है ।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की स्थिति आपके सामने है । ना फसल बची है ना नै नै फसल बोन की क्षमता लोगों की है ना पिछली का मुआवजा मिला ना अगले मुआवजा मिलने की उम्मीद है ना बीमा मिला । राशन आधे गाँव को नहीं मिलता , रोजगार चंद लोगों को मिलता है । सबसे बड़ा संकट पानी का है , घर की महिलाये सारे दिन पानी भरने में व्यतीत करती हैं ।

बुंदेलखंड में पहले भी स्थिती खराब थी और अब कंगाली में आटा गीला वाली हालत हो गई है । बुंदेलखंड में व्यवस्था इतनी कमजोर और चरमराई हुई है की हम कैसे इसका मुकाबला कर पाएंगे । लगातार तीन फैसले फेल यह चौथी फसल भी फेल होने वाली है । ऐसे में देश का कोई भी व्यक्ति इसे कैसे बर्दास्त कर पायेगा सच बात तो ये है की बुंदेलखंड में चाहे मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश हो , चाहे सपा हो , बसपा हो , भाजपा हो या कांग्रेस हो , ये पूरा इस देश का राजनैतिक तंत्र फेल है बुंदेलखंड में । मुझे तो लगता है यहां की दशा देख कर की देश के लोकतंत्र का अपना सर झुका लेना चाहिए शर्म से की ६८ साल बाद ये देश में कैसी स्थिती है की पूरी व्यवस्था ही फेल है ।

बुंदेलखंड में आने पाली स्थिति की कल्पान् कर डर लगता है । योगेन्द्र यादव ने कहा की जरुरत है की जहां पिने के पानी संकट है वहां पानी की व्यवस्था की जाए । एपीएल और बीपीएल के चक्कर को छोड़ कर गाँव की वोटर लिस्ट को आधार मानकर कर हर परिवार को बीपीएल के रेट पर राशन तुरंत उपलब्ध कराया जाये । ऐसे संकट के समय नरेगा योजना के तहत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाये ।

श्री यादव ने अपने किये गए प्रयासों को भी बताया उन्होंने कहा की हमने मुख्य पत्र लिखे जब उनका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो देश के १२ राज्यों के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की , की इन राज्यों में सूखा है कोई काम सरकार ने नहीं किया है । सुप्रीम कोर्ट ने 12 राज्यों को नोटिस जारी कर जबाब माँगा है की बताये क्या काम क्या है । सूखे का सवाल अलग अलग मंचो पर उठा रहे हैं ।

By: रवीन्द्र व्यास