History of Haibatpura, Jhansi Bundelkhand
History of Haibatpura, Jhansi Bundelkhand
हैबतपुरा झाँसी उप्र, को १५२८ में अक्षय तृतीया के दिन अंगद राव भारत शाह ने तुर्को से विजित किया था, यह दोनों वीर हिन्दू नायक अहिलीन बाड़ा पाटन गुजरात से आये थे, यह सोलंकी बघेल थे जिन्होंने हैबतपुरा के साथ साथ २४ गाँव और विजित किये थे जिनमे नुनार, खेराओ, सिरबो, वीरपुरा, शीला, चंद्रपुरा, मढ़ा, गोना, चोकरी जैसे गाँव सम्मलित थे जिन पर इनके वंशजो का १९४७ तक शासन रहा । यह मूलभूत ओरछा राज्य का एक महत्वपूर्ण सहयोगी साथी रहा ।
हैबतपुरा में स्वत्रंत्रता संग्राम सेनानी समय समय पर आकर अपने अज्ञात काल को बिताये जिनमे पंडित राम सहाय शर्मा, आत्मा राम खेर, नियोगी जी, लोकेन्द्र सिंह विजना भी रहे । यही पास में टहरोली में अभिनेता प्रेम नाथ के पिता देवेन्द्र नाथ थानेदार रहे एवं गरौठा में राज माता सिंधिया के पिताश्री महेंद्र सिंह तहसीलदार रहे । हैबतपुरा के इन सोलंकी राजपूतो में {बघेल} श्री राम सिंह और श्री रघुराज सिंह (काका-भतीजा) १९४३ में वन्दे मातरम जुलुस निकलने के और नारे लगाने के आरोप में ७ दिन तक मऊरानीपुर में गिरफ्तार कर झाँसी जेल में रखा गया । जिनमे राम सिंह तत्कालीन विंध्य प्रदेश वर्तमान में मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुवे थे और रघुराज सिंह झाँसी के वरिष्ट अभिभाषक और जिला परिषद के अध्यक्ष रहे । आज यह दोनों ही इस दुनिया में नहीं है किन्तु इन दोनों सेनानियों को आज भी बुंदेलखंड के एक बहुत बड़े क्षेत्र में सम्मान और प्यार की दॄष्टि से देखा जाता है ।
इस वंश के आज भी हैबतपुरा में और जलालपुरा में वंशज सम्मान का जीवन यापन कर रहे है ।
ऐतिहासिक स्थान - प्राचीन शिवपीठ, परमार कालीन शिलालेख, चंदेलकालीन शिलालेख, उजड़े हुवे गाँव जैसे बिरारी खेत जहां युद्ध हुवा था ।
धार्मिक स्थान - बारबोल माता, सिद्धा बाबा, गौण बाबा, ब्रम्हदेव, मल्हार नाथ, शिव मंदिर, बसा के हनुमानजी, मदा के हनुमानजी, अक्षय माता, भैरव मंदिर ।
पहाड़ - रिछाई, मल्हरनाथ, पहाड़ बसा |
तालाब - तालाब पछित, राव तालाब, रानी तालाब आदि ।
निकट रेलवे स्टेशन - मऊरानीपुर, एट ।
सड़क मार्ग - गुरसराय गरौठा के मध्य चौथा मील से डेढ़ किलोमीटर ।
वायु मार्ग - खजराहो, कानपूर, अलाहबाद, ग्वालियर ।
- डॉ भूपेंद्र सिंह बघेल
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