(कविता Poem) लोटा भरकें देदो चाय, हम हैं भैया बुंदेली by Vivekanand Jain
(कविता Poem) लोटा भरकें देदो चाय, हम हैं भैया बुंदेली by Vivekanand Jain
लोटा
भरकें देदो चाय, तनक सी चाय हमें ना पुसाय ॥
हम हैं भैया बुंदेली। सो, तनक सी चाय हमें ना पुसाय
लोटा भरकें देदो चाय, तनक सी चाय हमें ना पुसाय ॥
कौन ससुर के ने बनाई चाय, बिल्कुल गुरीरी है नईंयां,
की सें कहें अपनी बतियां॥
सुबह सुबह जो तातो पानी,
दे गई मो खों मेरी रानी,
बिल्कुल गुरीरी है नइंयां।
की सें कहें अपनी बतियां॥
हमरी दिगौड़ा बाली भौजाई,
येसी मीठी चाय पिलाई,
सीरा जैसी लगे मिठाई.....
ओंठ से ओंठ चिपक जायें
उनसें कछू ना कह पायें॥
लोटा भरकें देदो चाय, तनक सी चाय हमें ना पुसाय ॥
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