महाराजा छत्रसाल मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Maharaja Chhatrasal Memorial Research Institute)

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महाराजा छत्रसाल मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Maharaja Chhatrasal Memorial Research Institute)

 प्राचीन सनातन परंपरा "परहित सरस धर्म नहीं भाई" का अनुसरण करते हुए भारत मे कभी भी महापुरुषों द्वारा किसी भी महान कार्य का श्रेय लेने की परंपरा नहीं रही । यही कारण है कि भारत मे इतिहास लिखने की परंपरा भी बहुत प्राचीन नहीं है । इसी वजह से महापुरुषों के इतिहास को, उनकी महानतम गाथाओ को हम उस रूप में नहीं पा सके जैसी उन्हें होना चाहिए था । बुंदेलखंड में अपनी कीर्ति पताका फहराने वाले बुन्देल केसरी महाराजा छत्रसाल के बारे में भी बहुत ज्यादा साहित्य सामने न आने से हमारी पीढ़ी देश के लिए किये गए उनके योगदान से अनभिज्ञ  है । ऐसे राजा जिनके बारे में लिखा गया की "छत्ता तेरे राज में धक-धक धरती होये, जित-जित घोडा मुख करे, तित-तित फत्ते होये" 

                 ऐसे वीर राजा की गाथाओ को जन-जन तक पहुँचाने के लिए डॉ पवन तिवारी जी, तत्कालीन विभाग प्रचारक, छतरपुर विभाग, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मार्गदर्शन महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान का गठन बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में किया गया, जो मध्य प्रदेश में स्थित है । मुस्लिम आक्रांताओ से डटकर लोहा लेने वाले शूरवीर, कुशल, शासक, उत्कृष्ट कवि और सामाजिक समरसता के वाहक महाराजा छत्रसाल की जीवन गाथा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए शोध संस्थान का विधिवत गठन 17 अगस्त 2015 को शुभ घडी में किया गया । 

                   महाराजा छत्रसाल की यशगाथा आम जन तक पहुँचाने और बुंदेलखंड वासियो को इस महाअभियान में जोड़ने के लिए संस्थान  द्वारा निर्णय लिया गया कि सर्वप्रथम उनकी राजधानी मऊसहानियां में एक विशाल 51 फ़ीट  ऊँची लोह प्रतिमा की स्थापना की जाये और घर घर जाकर लोहा संग्रहण करने पर लोगो को सीधे तौर पर इस अभियान से जोड़ा जाये । पूरी ऊर्जा के साथ लोगो ने जुड़कर इस अभियान को सफल बनाया । 

                 महाराजा छत्रसाल की जयंती पर 2016 में प्रतिमा स्थल पर भूमि पूजन किया गया, भूमिपूजन के अवसर पर विशेष रूप से गुजरात से पधारे पदमश्री ब्रह्म देव शर्मा जी, डॉ दिनेश पंडित जी  साथ ही प्रणामी समाज के विशिष्ठ व्यक्ति, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, जिले के अधिकारी गण, जन प्रतिनिधि, समाज सेवी, व्यापारी एवं भारी संख्या में बुंदेलखंड वासी शामिल रहे, नौगाँव के सरस्वती शिशु मंदिर में इस अवसर पर "अजेय योद्धा महाराजा छत्रसाल" नामक भव्य नाटक का मंचन शिवपुरी के आये कलाकारों द्वारा किया गया जिसे दर्शको का भरपूर प्रतिसाद मिला और उनकी जीवनी को इतने करीब से और सरल तरीके से जानने का अवसर मिला । इसी क्रम में शोध संस्थान द्वारा एक व्याख्यान माला का आयोजन भी किया गया जिसे श्री अवनीश भटनागर जी ने संबोधित किया, महाराजा छत्रसाल पर आधारित डाक्यूमेंट्री में अपना स्वर देने के लिए बुंदेलखंड के मशहूर फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा जी को संस्थान ने सम्मानित किया, साथ ही बुंदेलखंड की जन भावनाओ को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय भारत शासन ने छतरपुर रेल्वे स्टेशन का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम पर रखने पर संस्थान के द्वारा केंद्र सरकार एवं रेल मंत्रालय को पत्र भेजकर आभार ज्ञापित किया गया । 

                 जनमानस में अलख जगाने के लिए शोध संस्थान ने 23 अक्टूबर को धुबेला, मऊसहानियां से एक विशाल गौरव जागरण यात्रा निकाली, जिसमे बुंदेलखंड के हजारो युवाओ ने महाराजा छत्रसाल के ध्वज थामकर पदयात्रा कर उनके जन्म स्थान "मोर पहाड़ी" (टीकमगढ़ जिले में  स्थित) से होते हुए ओरछा धाम पहुँचने का साहसिक निर्णय लिया और इसको आठ दिवस मे 30 अक्टूबर 2016 दिवाली के दिन पूर्ण कर लिया इस अवसर पर यात्रा के दौरान 23 अक्टूबर को नौगांव में साहित्यकार सम्मलेन एवं कवि सम्मलेन आयोजित किया, 24 अक्टूबर को पलेरा मे छत्रसाल चौपाल, दादरी ग्राम में युवा सम्मलेन, 26 अक्टूबर को मोर पहाड़ी पर गायक कलाकार देशराज पटेरिया द्वारा लोकगान समारोह एवं उमेश वैद्य एवं साथी, सागर ने मोनिया नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी और यात्रा के अंतिम पड़ाव पर दिवाली के शुभ संयोग के दिन ओरछा में चंद्र शेखर आज़ाद अज्ञात वास स्थल, सातार तट में शहीदों की याद में हज़ारो दीपों को प्रज्वल्लित कर दीपांजलि दी गयी ।  

                  शोध संस्थान ने एक कदम और बढ़ाते हुए महाराज छत्रसाल की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल कराये जाने के प्रयास का प्रस्ताव पारित किया, सतना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 25 दिसम्बर 2016 को महाराजा छत्रसाल के जीवन पर केंद्रित पुस्तक "हमारे छत्रसाल" का विमोचन माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन शिवराज सिंह चौहान जी के कर कमलो से किया गया, यही पर मुख्यमंत्री जी ने महाराजा छत्रसाल की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की । इसके पूर्व खजुराहो में वार्षिक दैनंदिनी विमोचन एवं कवि सम्मलेन का आयोजन संस्थान द्वारा किया गया, जिसमे देश के सभी कवियों से महाराजा छत्रसाल के जीवन पर काव्य रचना करने का आव्हान शोध संस्थान ने किया, 30 नवम्बर को संस्थान ने म. प्र. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री उमेश सिंह का सम्मान छतरपुर में किया, उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही "साक्षात्कार" पत्रिका महाराजा छत्रसाल विशेषांक रही जिसे सभी ने बहुत सराहा । 18 दिसम्बर 2016 को जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महाकौशल प्रान्त के प्रान्त संघचालक श्री प्रशांत सिंह जी ने छत्रसाल विशेषांक "प्रेरणा" पत्रिका का विमोचन किया, इस कार्यक्रम में संस्थान के सदस्य उपस्थित रहे, इस अवसर पर महाराजा छत्रसाल के जीवन पर प्रशांत सिंह जी का उदबोधन सभी को सुनने मिला । 

                    मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा महाराजा छत्रसाल की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा करने पर संस्थान ने छतरपुर में 28 दिसम्बर को प्रेस वार्ता कर मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश शासन का आभार जताया । संस्थान ने अपने कार्य को और आगे बढ़ाते हुए 5 फरवरी को छतरपुर में M.C.M.R.I. की एक और पुस्तक "परमवीर छत्रसाल"  का विमोचन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रियव्रत शुक्ल, पूर्व सांसद जीतेन्द्र सिंह बुंदेला, आर. एस. एस. छतरपुर के पूर्व विभाग संघचालक श्री राजेंद्र जी चतुर्वेदी , वर्तमान विभाग संघचालक श्री भालचंद्र जी नातू एवं विद्या भारती महाकौशल प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी जी की उपस्थिति में किया गया, इस अवसर पर पुस्तक हमारे छत्रसाल और परमवीर छत्रसाल के लेखक श्री शंकर दयाल भारद्वाज का सम्मान भी M.C.M.R.I. के द्वारा किया गया एवं इस महान लेखन कार्य हेतु उनका आभार जताया । 

                   महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान ने निर्णय लिया की अधिक से अधिक विद्यार्थी और युवा महाराजा छत्रसाल के जीवन से परिचित हो, इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए "महाराजा छत्रसाल ज्ञान परीक्षा" कराने का निश्चय संस्थान ने किया इसी उद्देश्य के लिए प्रचार प्रसार की दृष्टि से 12 फरवरी को मऊसहानियां में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गयी । 19 फरवरी, रविवार को छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ जिले  के अधिकतम विद्यालयों में "महाराजा छत्रसाल ज्ञान परीक्षा" का आयोजन किया गया जिसमे 5000 से अधिक छात्र-छात्राओ ने भागीदारी की, संस्थान का यह आयोजन अप्रत्याशित रूप से सफल रहा ।

                  महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान द्वारा विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक, जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन लगातार किया जा रहा  है,  M.C.M.R.I. निरंतर  महाराजा छत्रसाल की गौरव गाथाओ को जन-जन तक पहुँचाने हेतु दृढ इच्छाशक्ति के साथ कृतसंकल्पित है । जय महाराजा छत्रसाल ॥ 

जय महाराजा छत्रसाल  

Courtesy: MCMRI