प्राचीन बुन्देली संस्कृति को बचाने के लिये, बुन्देली भाषा बचायें
प्राचीन बुन्देली संस्कृति को बचाने के लिये, बुन्देली भाषा बचायें
अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृत परिषद्
प्राचीन बुन्देली संस्कृति को बचाने के लिये,बुन्देली भाषा बचायें सागर में बनेगा बुंदेलखण्ड भवन-ओरछा सम्मेलन में हुआ उद्घोष भोपाल 12 जनवरी, अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के तत्वावधान में मध्य देष के सबसे वृहद क्षेत्र और 6करोड़ लोगों की मा़़त्र भाषा बुन्देली का राष्ट्ीय सम्मेलन, बुंदेलखड की मूल राजधानी ओरछा में विविध काय्रक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ। उद्घाटन के मुख्य अतिथि थे पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य,बुंदेलखण्ड विकास प्रधिकरण के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमरिया केबनेट मंत्री म.प्र.,विधायक पुष्पेन्द्र पाठक बिजावर और ‘हटा बुंदेली मेला के राजनेता कुॅ0पुष्पेन्द्र हजारी।
राष्ट्ीय बुंदेली समारोह-2017 के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार श्री कैलाष मड़बैया ने राजनेताओं का, दलगत राजनीति से उपर उठकर आवाहन किया कि बुंदेली को 8वीं अनुसूची में स्थान दिलाने के लिये भारत सरकार पर सही तथ्यों सहित दबाव बनायें जिससे बुंदेलखण्ड को राष्ट्ीय गौरव मिल सके। उन्होंने कहा कि एक भाजपाई सरकार समुद्र में षिवाजी की मूर्ति बना रही है और दूसरी भाजपाई सरकार भोपाल में17सालों से अपने नायक ‘बुंदेल केसरी’ छत्रसाल की मूर्ति तक नहीं लगा पा रही है। प्रदीप जैन आदित्य ने अपनी माता शॉंति देवी के नाम पर 51 हजार रु के पुरस्कार से इस बार, समस्त बुंदेलखण्ड के विद्यमान लगभग 200 साहित्यकारों को साहित्य भेंट किया जिसकी सराहना की गई। बीरसिंह देव पुरस्कार इस बार बुंदेली प्रचार प्रसार के लिये सतत कार्य करने के लिये श्री प्र्रदीप आदित्य झॉंसी और पुष्पेन्द्र हजारी उद्घाटन के बाद दूसरा सत्र बुंदेली के प्राचीन रचनाकारें पर शोध आलेखों से षुरु हुआ जिसमें लगभग 51 विद्वानों ने अपने महत्वपूर्ण शोध आलेख प्रस्तुत किये। सत्र की अध्यक्षता डॉं.वीरेन्द्र निर्झर महोबा ने की और संचालन अभिनन्दन गोइल टीकमगढ़ ने किया। तीसरा सत्र बुंदेली के साथ अन्य लोक भाषाओं के अन्तरसम्बन्धों पर केन्द्रित सम्पन्न हुआ जिसमें भोजपुरी ,बघेली, बृज,अवधी,निमाड़ी आदि के साथ संस्कृत और हिन्दी के अन्तरसम्बन्धों पर भी शोध आलेख पढ़े गये। अध्यक्षता उमाषंकर खरे पृथ्वीपुर ने और संचालन रामगोपाल रायकवार ने किया। कुल 33 शोध आलेख व्द्विनों द्वारा पढ़े गये। रात्रि में लोक भाषाओं का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसमें 51 बुंन्देली और अन्य लोक भाषाओं के कवियों ने काव्यपाठ रात्रि के अन्तिम पहर तक किया। अध्यक्षता कवि कैलाष मड़बैया और दुर्गेष दीक्षित ने संयुक्तरुप से की। संचालन संतोष पटेरिया ने किया। प्रमुख कवियों में विवेकानन्द जैन बनारस, वीरेन्द्र बुरहानपुर, उमर अष्क लखनउ, स्वदेष ललितपुर, देवदत्त छतरपुर, महेष सिंह भोजपुरी,आषा पाण्डे ग्वालियर, अमित चितवन,राजीव नामदेव टीकमगढ़,लक्ष्मण रायकवार झॉंसी,विनोद मिश्र दतिया, कमला मउरानीपुर,राम स्वरुप सेंवढ़ा,पुरुषोत्तम पस्तोर ललितपुर,लता स्वरॉजलि भोपाल, आषा तिवारी ओरछा, पियूष बढ़ोखरा,उमेष पृथ्वीपुर,जगदीष रावत भोपाल,सियाराम अहिरवार पुरा ककड़ाई, बाबूलाल बानपुर,सुषील खरे वैभव पन्ना, आलोक सोनी दतिया,ओमप्रकाष कक्का,अरुणेष गंरसरॉंय, कुमारेन्द्र उरई,जयषंकर तिवारी कोंच,अरविन्द तिवारी दतिया आदि आदि।
दूसरे दिन का प्रथम सत्र बुंदेली के प्रकाषित ग्रंथों की बुंदेली समी़क्षा आलेखों के लिये तय था जिसमें 21 समीक्षायें पढ़ीं गई। अध्यक्षता पूर्व जज देवेन्द्र कुमार जैन चिरगॉंव ने और संचालन राजीव राणा ने की। इसमें ‘सात समन्दर पार’, पीर घनेरी और जय वीर बुंदेले ज्वानन की,सात समन्दर पार आदि आदि ग्रंथों की चर्चा हुई। रायप्रवीण नाम के एक नये उपन्यास में एतिहासिक तथ्यों को भ्रष्ट करने के लिये कथित लेखक की आलोचना भी की गई। समीक्षा उमाषंकर खरे उमेष ने प्रस्तुत की। अगला सत्र मानकीकरण पर केन्द्रित था जिसमें सर्वसम्मति से विद्व़ानो ने मानकीकरण करना आवष्यक माना और अनेकानेक बुंदेली शब्दों पर गहन विमर्ष किया गया। अध्यक्षता उमाषंकर खरे ने की। मंथन सत्रों के बाद आम सभा में सर्वसम्मति से भारत सरकार से आठवीं अनुसची में बुंदेली को स्थान देने की मॉंग की गई। अन्य प्रस्तावों में राजा मधुकर शाह और साहित्यकार कैलाष मड़बैया पर केन्द्रित अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाषन करना स्वीकार किया गया। आदि। समापन विधायक श्री बृजेन्द्र सिह राठौर के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ जिसमें सागर के 20 सदस्यीय दल ने बधाई और नौरता नृत्यों से दिल जीत लिया। लोक नृत्यों और लोक गीतों का कार्यकम अनवरत 5 घण्टों तक चलता रहा जिसकी सराहना हुई। विधायक राठौर ने कहा कि इस बृहद आयोजन से बुंदेलखण्ड ही नहीं पूरे देष में बुदेली की साख बढ़ी है। अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद भोपाल ने युगान्तरकारी कार्य किया है जिसे हम तन मन धन से सहयोग करने को सदैव तैयार हैं। आभार ज्ञापन ओरछेष कक्का जू ने किया।
संयोजक-
के0पी0रावत