(News) बुन्देलखण्ड क्षेत्र मूर्ति चोरों की गिरफ्त में
बुन्देलखण्ड क्षेत्र मूर्ति चोरों की गिरफ्त में
उत्तर प्रदेश के झांसी तथा चित्रकूट मण्डल तथा मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आने वाले सागर तथा ग्वालियर मण्डल मूर्ति तस्करों की गिरफ्त में आ चुके हैं एक वर्ष के दौरान करोडों़ की प्राचीन मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया है। मकड़जाल की तरह फैले माफिया नेटवर्क के निशाने पर आश्चर्यजनक ढंग से अष्टधातु की प्राचीन मूर्तियां है। जरायम की दुनिया मंे पिछले एक दशक के दौरान मूर्ति चोरी एक ‘हाई क्लास परफार्मेस व ईजी टारगेट’ के रूप में उभरी है। क्यों चोरी हो रही हैं अष्टधातु की प्राचीन मूर्तियां? इस काले कारोबार के दस्तूर के अनुसार चोरी के पहले ही प्रतिमाओं का सौदा हो चुका है। जब सौदे की पेशगी अदा हो चुकी होती है तब चोरी की घटना को अंजाम दिया जाता है।
बुन्देलखण्ड की बड़ी घटनाओं पर नजर डालें तो पायेंगे कि अब तक की सबसे बड़े, मूर्ति चोरो का गिरोह बाँदा में गिरफ्तार हुआ है। उत्तर प्रदेष और मध्य प्रदेष के दो मंदिरों से चोरी की गई 13 बहुमूल्य मूर्तियों के साथ मूर्ति चोर गिरोह के 10 गुर्गो को गिरफ्तार कर लिया गया है। बरामद मूर्तियों की कीमत अंतरराप्ट्रीय बाजार में लगभग एक करोड़ रुपए बताई जा रही हैं। पुलिस ने गिरोह को उस वक्त दबोचा जब एक घर से मूर्तियों का सौदा किया जा रहा था। मूर्ति चोरों के पास 315 बोर की देसी राइफल भी बरामद हुई।
हाल ही में गिरवां थाना क्षेत्र के बांसी गांव में रामजानकी मंदिर से अष्टधातु की सात मूर्तियां चोरी चली गई थी। उनमें राम, सीता, लक्ष्मण, नृसिंह, और बाल गोपाल की मूर्तियां षामिल थीं। इसे लेकर ग्रामीणों में रोष था और उन्होंने डीआईजी के यहां प्रदर्षन भी किया था। इसी मे कुछ दिनों बाद बांदा षहर में कोतवाली की नाकतले मुचियाना मोहल्ले के प्राचीन मंदिर से भी दो मूर्तियां चोरी हो गई। इन घटनाओं के बाद पुलिस अपनी हो रही किरकिरी से मूर्ति चोरों की तलाष षिद्दत से कर रही थी।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के. सत्यनारायण ने बताया कि सटीक खबर मिलने पर एसओजी प्रभारी अभिमन्यु सिंह यादव, अतर्रा थानाध्यक्ष एयू सिद्दीकी और गिरवां थानाध्यक्ष धनंजय सिंह ने पुलिस जवानों के साथ अतर्रा थाना क्षेत्र के बजरंगपुर गांव में चिरौंजीलाल विष्वकर्मा के घर छापा मारा। वहां मूर्तियांें खरीद-फरोख्त की बातचीत चल रही थी। गिरोह के सदस्य मौजूद थे। पुलिस ने घेराबंदी कर सभी दस चोरों को दबोच लिया। उनके पास से 13 अदद मूर्तियां भी बरामद हो गई। पकड़े गए मूर्ति चोरों में चिरौंजीलाल पुत्र षिवराम बढ़ई निवासी ग्राम बजरंगपुर, थाना-अतर्रा, षिवषर्मा दीक्षित पुत्र चंद्रिका प्रसाद निवासी ग्राम ओरहा, थाना-अतर्रा, धनंजय पुत्र कालीचरन अवस्थी निवासी बिसंडा, रामबिहारी पुत्र बसंतलाल निवासी राजनगर, नरैनी, सत्यस्वरूप पुत्र षिवगोपाल निवासी बिज्जूपुरवा, थाना-कालिंजर, गंगा पुत्र षंभू यादव निवासी ग्राम पहड़िया बुजुर्ग, थाना-भरतकूप (चित्रकूट), राधाकृप्ण पुत्र रामकिंकर सोनी निवासी खोही (चित्रकूट) और सचिन पुत्र लक्ष्मी षर्मा निवासी कटरा बाजार, अतर्रा षामिल है। एसपी ने बताया कि मूर्ति खरीदने और बेचने का सौदा राधाकृप्ण सोनी और जरिए हो रहा था। उन्होंने बताया कि बरामद मूर्तियां बांसी गांव और मध्य प्रदेष के पन्ना जनपद के अजयगढ़ में स्थित बरकोला मंदिर से चुराई गई थी। बेशकीमती मूर्तियां चोरी की। घटनाओं की एक लम्बी और अंतहीन कड़ी है। दो एक को छोड़कर हर हैं और आज तक एकाध मामले को छोड़ किसी चोरी का पर्दाफाश नहीं हो पाया।
महोबा में अष्टधातु की मूर्ति चोरी का सनसनीखेज मामला प्रकाश मंे आया है जालौन के संतोषी माता मन्दिर से बेशकीमती अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई है इस घटना से दो माहपूर्व इसी जनपद के हरदोई गूजर ग्राम के प्राचीन बड़े राम-जानकी मन्दिर से मूर्ति चोरों ने मंदिर से बिराजी राम-लक्ष्मण और सीता की अष्टधातु की मूर्ति चुराकर सनसनी फैला दी इस घटना के पूर्व बांदा, चित्रकूट सहित विभिन्न स्थानोंसे मूर्ति चोरों द्वारा मूर्ति चोरी के मामले पुलिस में पंजीकृत किये गये है। मूर्तियों की चोरी सीमाओं पर होती है ताकि एक दूसरे क्षेत्र में प्रवेश कर पुलिस की गिरफत से बच सकें। झांसी से दस किमी0 की दूरी पर स्थित ओरछा के चतुर्भुज मंदिर से सवामन सोने के कलश और नीलम निर्मित भगवान कृष्ण की मूर्ति के गायब हो जाने की घटना आज भी लोगों की जबान पर ताजी है। सन् 1606 में पन्ना नरेश अमरेश चन्द्र ने चतुर्भुज मंदिर में लगवाया था। ओरछा में रामराम मंदिर से 16 जनवरी 1981 को जानकी जी की कीमती नथ चोरी हुई। 13 अप्रैल 1987 को लक्ष्मी मन्दिर से अष्टधातु की राधा कृष्ण की मूर्ति चोरी हुई तथा 3 दिसम्बर 1998 को दमोह जिले के पथरिया ग्राम में पुलिस थाने प्रांगण से अद्वितीय शिवलिंग गायब हो गया। हटा के जैन मन्दिर से एक साथ 55 मूर्तियाँ चोरी हो गई। सागर जिले के हिन्नौद के तालाब के पास से 8 सितम्बर 1988 को बड़ी संख्या में मूर्तियाँ ढ़ोकर पुलिस आकदमी सागर लाई गई। अप्रैल 1989 को लड्डू गोपाल की मूर्ति तो 20-21 जुलाई को राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की मूर्ति गायब हुई। कीमती धातु और अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय के जैनमत तथा हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्ति चोरी का अवाधक्रम बरोकटोक चलने के पीछे भारतीय कानून में मूर्ति चोरों को कड़ी सजा का प्रावधन न होना भी प्रमुख कारण है तो सरकारी उपेक्षा के साथ हिन्दु धर्माचार्यो की उदासीनता के कारण बुन्देलखण्ड के 70 फीसदी मंदिरों पर काले बादल छाए हुए हैं। यह भी कटु सत्य है कि समूचा बुन्देलखण्ड मूर्तिचारों के साये में है। ललितपुर जनपद के देवगढ़ में दशावतार मंदिर काल के थपेड़ों की मार से कराह रहा है। उसके कराहने की आवाज से पुरातत्व विभाग के अधिकारी बेखबर हैं। कुछ यही दशा चैथी शताब्दी की विश्व प्रसिद्ध नृबराह की उस आदमकद प्रतिमा की है, जिसे मूर्ति तस्करों ने तीन हिस्सों में काट कर चोरी कर लिया था। इसे बरामद तो कर लिया गया लेकिन कई वर्षो से सरकारी मालखाने में धूल फांक रही इस देव प्रतिमा को जीर्णोद्धार का इंतजार है। प्रो.बिहारी लाल बबेले कहते है देश के उत्तर मध्य क्षेत्र में मौजूद भारतीय कला संस्कृति के महत्वपूर्ण अवशेषों को समाप्त करने के लिऐ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के गिरोह सक्रिय है जो हमारे अतीत के गौरव को खत्म कर रहे है। चन्देरी, ऐरण, चाँदपुर, जहाजपुर, सेरौन, बरूआ सागर, कालिंजर, शिवपुरी, ओरछा आदि क्षेत्र उल्लेखनीय है। बुन्देलखण्ड का इतिहास हैरतगंेज कलाकृतियों, पाण्डुलिपियों, पुरा संपदा धरोहरों से भरा पड़ा है। बुन्देलखण्ड के ही हृदय स्थल छतरपुर वे ललितपुर का अंग खजुराहो, देवगढ़ जहां चंदेलकालीनीन मंदिरों का आज भी मौजूद होना आगंतुकों को बरवस इतिहास का विस्तृत घटनाओं तक खींच ले जाता है। चंदेलकालीन मंदिरों का आज भी मौजूद होना आगंतुकों को बरवस इतिहास का विस्तृत घटनाओं तक खींच ले जाता है। चंदेलकालीन युग के प्रमाणिक खजुराहो व ललितपुर के मंदिरों का निमार्ण और समूचे क्षेत्र में बिखरी पड़ी ऐसी ही विलक्षण संपदाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन के ध्यान में कई बार यह तथ्य लाए गए हैं, जबकि बीती घटनाओं पर प्रकाश डाला जाए तो ज्ञात होता है कि सुरक्षा से जुड़ा मामला हो अथवा पर्यटक स्थल की देखरेख का मामला हो समय-समय पर विभागीय अमले की कोताही किसी से छुपी नहीं रही।
चोरी की बेशकीमती मूर्ति के साथ दो बंदी
बहराईच पुलिस ने अति प्राचीन अष्टधातु निर्मित भगवान विष्णु की चोरी गयी मूर्ति पुलिस ने बरामद कर ली है। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में मूर्ति की कीमत पौने सात करोड़ रूपये बतायी जा रही है। मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफतार किया है। मूर्ति का दाहिना पैर काटकर चोर नमूने के तौर पर पहले ही बेच चुके है।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरपी सिंह ने बताया कि कुछ लोग भगवान विष्णु की अष्टधातु निर्मित मूर्ति एक बोरे में रखकर बस से बेचने बाराबंकी जा रहे थे। यह मूर्ति मिहींपुरवा कस्बे के प्राचीन मंदिर से चोरी की गयी थी।
पुलिस को पैर कटी भगवान विष्णु की अष्टधातु निर्मित मूर्ति मिली। पुलिस ने साबिर अली निवासी कल्लू गौढ़ी थाना मोतीपुर तथा जफर उल्लाह निवासी सुधआपुर थाना हरदी को गिरफतार कर लिया। इन दोनों ने बताया कि नमूने के तौर पर मूर्ति का पैर काटकर बेचा जा चुका है। बाराबंकी में दिल्ली का एक व्यापारी उनसे यह मूर्तियां खरीदने आ रहा था। अभी हाल में आजमगढ़ जनपद के अतरौलिया थाना क्षेत्र में पकड़े दो मूर्ति चोरों की निशान देही पर पुलिस ने तीन बेशकीमती मूर्तियां बरामद कि है पकड़े गये आरोपी में चन्द्र मोहन भारतीय वर्ष 2005 में इसी जनपद के मेंहनगर थाना पुलिस द्वारा मूर्ति चोरी की घटना में गिरफ्तार हो चुका है।
दस मूर्ति चोर दबोचे गए, 13 बेषकीमती मूर्तियां बरामद
बांदा/अतर्रा। उत्तर प्रदेष और मध्य प्रदेष के दो मंदिरों से चोरी की गई 13 बहुमूल्य मूर्तियों के साथ मूर्ति चोर गिरोह के 10 गुर्गो को गिरफ्तार कर लिया गया है। बरामद मूर्तियों की कीमत अंतरराप्ट्रीय बाजार में लगभग एक करोड़ रुपए बताई जा रही हैं। पुलिस ने गिरोह को उस वक्त दबोचा जब एक घर से मूर्तियों का सौदा किया जा रहा था। मूर्ति चोरों के पास 315 बोर की देसी राइफल भी बरामद हुई।
हाल ही में गिरवां थाना क्षेत्र के बांसी गांव में रामजानकी मंदिर से अष्टधातु की सात मूर्तियां चोरी चली गई थी। उनमें राम, सीता, लक्ष्मण, नृसिंह, और बाल गोपाल की मूर्तियां षामिल थीं। इसे लेकर ग्रामीणों में रोष था और उन्होंने डीआईजी के यहां प्रदर्षन भी किया था। इसी मे कुछ दिनों बाद बांदा षहर में कोतवाली की नाकतले मुचियाना मोहल्ले के प्राचीन मंदिर से भी दो मूर्तियां चोरी हो गई। इन घटनाओं के बाद पुलिस अपनी हो रही किरकिरी से मूर्ति चोरों की तलाष षिद्दत से कर रही थी।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के. सत्यनारायण ने बताया कि सटीक खबर मिलने पर एसओजी प्रभारी अभिमन्यु सिंह यादव, अतर्रा थानाध्यक्ष एयू सिद्दीकी और गिरवां थानाध्यक्ष धनंजय सिंह ने पुलिस जवानों के साथ अतर्रा थाना क्षेत्र के बजरंगपुर गांव में चिरौंजीलाल विष्वकर्मा के घर छापा मारा। वहां मूर्तियांें खरीद-फरोख्त की बातचीत चल रही थी। गिरोह के सदस्य मौजूद थे। पुलिस ने घेराबंदी कर सभी दस चोरों को दबोच लिया। उनके पास से 13 अदद मूर्तियां भी बरामद हो गई। पकड़े गए मूर्ति चोरों में चिरौंजीलाल पुत्र षिवराम बढ़ई निवासी ग्राम बजरंगपुर, थाना-अतर्रा, षिवषर्मा दीक्षित पुत्र चंद्रिका प्रसाद निवासी ग्राम ओरहा, थाना-अतर्रा, धनंजय पुत्र कालीचरन अवस्थी निवासी बिसंडा, रामबिहारी पुत्र बसंतलाल निवासी राजनगर, नरैनी, सत्यस्वरूप पुत्र षिवगोपाल निवासी बिज्जूपुरवा, थाना-कालिंजर, गंगा पुत्र षंभू यादव निवासी ग्राम पहड़िया बुजुर्ग, थाना-भरतकूप (चित्रकूट), राधाकृप्ण पुत्र रामकिंकर सोनी निवासी खोही (चित्रकूट) और सचिन पुत्र लक्ष्मी षर्मा निवासी कटरा बाजार, बतर्रा षामिल है। एसपी ने बताया कि मूर्ति खरीदने और बेचने का सौदा राधाकृप्ण सोनी और जरिए हो रहा था। उन्होंने बताया कि बरामद मूर्तियां बांसी गांव और मध्य प्रदेष के पन्ना जनपद के अजयगढ़ में स्थित बरकोला मंदिर से चुराई गई.
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन 120/132 बेलदारी लेन, लालबाग, लखनऊ।
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