बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर जिले में पाताल में पहुँचता पानी
बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर जिले में पाताल में पहुँचता पानी
बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर जिले के नौगांव के निकट धसान नदी में पिछले दिनों पानी की तलास में नगर पालिका ने कई बोर करवाए पर किसी में पानी नहीं मिला । आम तौर पर देखा जाए तो यह सामान्य घटना है , किन्तु यदि सोचा जाए तो यह एक भयानक चेतावनी है । सदियों से बहती नदी में यदि बोर कराने पर पानी नहीं मिल रहा है तो बाकी स्थानों की दशा क्या होगी । क्या यह ये बताने के लिए पर्याप्त नहीं है की बुंदेलखंड का इलाका अब भू -जल दोहन के लिए अनकूल नहीं है ? सरकारी रिकार्ड में भू जल से समृद्ध माने जाने वाले इस क्षेत्र में पुनः सर्वेक्षण की जरूररत है ।
दरअसल जिले की नोगाँव नगर पालिका के सामने जनवरी माह में ही जल संकट खड़ा हो गया था । संकट के समाधान के लिए नगर पालिका ने धसान के आस पास जल श्रोत तालशे , टीला जलाशय से पानी लाने का भी प्रयास किया पर हर जगह से नाकामी के बाद पालिका ने धसान नदी में ही कई बोर इस आशा में करा दिए की नदी में बोर कराने से पर्याप्त भू जल मिल जाएगा , पर नहीं मिला । भू -जल तो नहीं मिला पर इस जतन ने एक खतरे की घंटी जरूर बजा दी जिसको समझने की जरूरतः ना सिर्फ नागरिकों को है बल्कि सरकार और उसके तंत्र को भी है ।
बोर की असफलता के बाद नगर पालिका के सामने संकट था की अपनी 70 हजार की आबादी की प्यास कैसे बुझाए ? नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अभिलाषा शिवहरे कहती हैं की नगर में पानी पास की धसान नदी से सप्लाई होता था ।पिछले जनवरी -फरवारी माह में नदी पूर्णतः सूख गई थी । नगर पालिका ने नदी में भी कई बोर करवाए पर वहां भी पानी नहीं निकला । ऐसी हालात में परिषद के सामने एक बड़ा संकट आकर खड़ा हो गया की लोगों को पानी कैसे दिया जाए । नोगाँव इलाके में मात्र 11 इंच वर्षा हुई थी , नगर के बोरवेल भी ठप्प हो गए थे । पालिका के बोर वेळ से सिर्फ 2 लाख लीटर पानी ही हम जुटा पा रहे थे । जब की नगर को रोजाना २४-२५ लाख लीटर पानी की जरुरत थी । ऐसे में हमने और नगर पालिका के परिषद ने बगैर किसी दल गत भावना के लोगों से जल दान की अपील की । इसका असर ये हुआ की परिषद के पार्षद जितेन्द्र यादव उनके भाई जिला पंचायत सदस्य प्रीतम यादव , महेंद्र अग्रवाल ,सोनू जैन ने अपने बोर वेळ का पानी नगर पालिका को दान में दे दिया । गर्मी में जो टेंकर लगाए गए हैं वे लोग भी अपना पानी देते हैं जिससे लगभग 18 लाख लीटर पानी एकत्र हो जाता है । इस तरह 20 लाख लीटर पानी नगर को हर दूसरे दिन प्रदाय किया जा रहा है । महीने भर से यह नगर पालिका दान के जल से लोगों की प्यास इसी तरह से बुझा रही है ।
परिषद दान का पानी सम्पवेल में डालती है और फिर नलों के माध्यम से लोगों तक पहुंचता है । टेंकर सिर्फ उन्ही इलाकों में जाते हैं जहाँ पानी की लाइन नहीं हैं और नलो से वहां पानी नहीं पहुंच पाता ।
नौगांव नगर के समाजवादी पार्टी के नेता और जिला पंचायत सदस्य प्रीतम यादव कहते हैं की जब लोगों की प्यास का सवाल आता है तो हम पीछे नहीं हटते हैं । श्री यादव ने बताया की हमने अपने सूखे खेतों को पानी देने से कहीं जयादा जरुरी समझा लोगों को पानी देना । नगर पालिका अध्यक्ष की अपील पर अपने दोनों खेतों के तीनो बोर नगर पालिका के हवाले कर दिए । और जरुरत पड़ने पर और बोर कराने की बात कह रहे हैं । इसी तरह से नगर के महेंद्र अग्र्रवाल और सोनू जैन ने भी अपने बोर वेळ नगर पालिका के हवाले कर दिये ।
कभी ब्रिटिश पोलिटिकल एजेंट द्वारा बसाया गया नौगांव नगर प्रदेश का एक मात्र ऐसा नगर है जो अपने 180 चौराहों के लिए जाना जाता है । यहां 36 रियासतों की विशाल कोठियाँ हुआ करती थी जिनमे जल के श्रोत के लिए कुओं का निर्माण हर कोठी में किया गया था , पर आज इनमे से अधिकांश नष्ट हो गए हैं , नगर के 70 फीसदी से ज्यादा ट्यूब वेळ जबाब दे चुके हैं । इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है यह जिले की यह एकलौती नगर पालिका है जहाँ कोई सरोवर नहीं है ।
छतरपुर जिले में लगातार अल्प वर्षा ने इस बार लोगों के सामने एक ऐसा संकट खड़ा कर दिया है , जिसने उसका सुख चैन सब छीन लिया है । जिले के बिजावर विकाश खण्ड के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र किशनगढ़ के पाठापुर , कर्री , टिपारी (नगदा ) महर खुवा , बेहरवारा , बिला , रायचोर , धबरा , नैगुवां , पुरवा , गर्दा ऐसे गाँव हैं जहां लोगों की दिनचर्या पानी से शुरू होती है और पानी पर ही ख़त्म होती हे । पर इस क्षेत्र में पानी प्रदाय के लिए टेंकर उन गाँवों को दिए गए जिन गाँवों में जल के श्रोत पर्याप्त थे । टेंकर वितरण की यह दशा देख कर यही कहा जा सकता है की सरकार और प्रशासन भी चाहता है जो परेशान हैं वे और परेशान हो ?
प्रकृति और वन सम्पदा से परिपूर्ण इस क्षेत्र के पूर्व में केन , उत्तर में श्यामरी ,पश्चिम में बराना और दक्षिण में सोनार नदी का जल प्रवाहित होता रहता है । इसके अलावा दर्जनों वर्षा कालीन नाले इस इलाके में प्रवाहित होते हैं , । इन नदियों के मध्य का 100 किमी का इलाका जल के लिए तरश्ता है । सरकारे आती जाती हैं , नेताओ का सैलाब चुनाव के समय उमड़ता है फिर ना जाने कहाँ खो जाता है । पाठापुर तो ऐसा गाँव है जहां सिर्फ एक मात्र महिला विधायक( उमा यादव ) इस गाँव तक पहुंची थी , इसके बाद आज तक कोई नहीं पहुंचा । शायद आदिवासियों का उपयोग जन प्रतिनधि सिर्फ वोट के लिए ही करना जानते हैं ।
जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बस्तों में बंद कागजों और कम्प्यूटर में जिले में 385 नल जल योजनाएं ,12 हजार 375 हेंड पम्प लगे होने का दावा किया जा रहा है । भू जल सर्वेक्षण की रिपोर्ट को अगर देखा जाए तो छतरपुर जिले में 45 से 65 मीटर जल स्तर नीचे खिसका है । मतलब साफ़ है की जिले में प्रथम लेयर जो 35 मीटर की मानी जाती है का जल दोहन कर चुके हैं दूसरी लेयर जो 70 मीटर की मानी जाती है उसके नजदीक हैं । ऐसे हालातो में 60 फीसदी हेंड पम्पो ने साथ छोड़ दिया है । गिरते जल स्तर के कारण नल जल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं । इन नल जल योजनाओं में अधिकाँश नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं कही जल श्रोत सूखे तो कही विद्दुत कनेक्शन कटा तो कही पम्प खराब तो कहीं पंचायत ने संचालित करने से ही मना कर दिया । बुंदेलखडं पैकेज की नल जल योजनाओं के तो और भी बुरे हाल हैं । बक्श्वाहा ब्लाॅक की 9 नलजल योजनाओं में चार बंद ५ चालू , बड़ामलहरा की १५ में ६ बंद ९ चालू ,राजनगर की २० बंद ९ चालू , छतरपुर की २० बंद ११ चालू , नोगाँव की 14 , गौरिहार की ११ ,और लवकुशनगर की बुंदेलखंड पॅकेज की ८ नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं । जिले के 131 गाँव सिर्फ इस कारण से वीरान हो गए क्योंकि उनमे कोई जल श्रोत ही नहीं था । सरकारी आंकड़े बताते हैं की पिछले चार सालो में पानी के नाम पार पानी की तरह पैसा बहाया गया और 271 करोड़ रुपये खर्च किये गए ।
सरकार विधान सभा में इसे प्रकृति का कहर मानती है , पर इंतजाम से तौबा कर लेती है । शायद इसी लिए मध्य प्रदेश सरकार ने लोगों को प्रकृति के भरोशे छोड़ दिया । जब की जरुरत इस बात की है की सरकार और जन मानस को पाताल में पहुँचने वाले पानी को ऊपर उठाने के लिए वृहद जल सरचनाो का निर्माण करे । , वृक्षारोपण किया जाए , आवश्यक सी सी का जाल ना बिछाया जाए , ज्यादा से ज्यादा भूमि खुली रखी जाए, तालाबों और नदियों के अतिक्रमण को सख्ती से रोका जाए । , भू जल का अंधाधुंध दोहन पर रोक लगाईं जाए ।
By: रवीन्द्र व्यास