(News) जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय : सितम्बर २०१३
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
मायावती के भइया से मिलने जा रहे थे अखिलेश !
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाये सवाल क्या है रामभद्राचार्य ?
नहीं आकर एक अपराध से बच गए प्रदेश के मुखिया
मुख्यमंत्री जी ! क्या आपको पता है कि 13 सितम्बर को आप मायावती जी के भैया से मिलने जा रहे हैं ? यह भी अजीबोगरीब विडंबना ही है कि मायावती जी के उक्त भैया 84 कोसी परिक्रमा के सिलसिले में आपसे और नेताजी से मिलने भी आए थे l
खैर, भइया - बहना के इस
पावन सम्बन्ध के बारे में मुख्यमंत्री को सूचना देते हुए या उन्हें आगाह करते हुए
अब मै आम जनता से मुखातिब हैं और यह बता रहे हैं कि तत्कालीन
मुख्यमंत्री मायावती
के ये बड़े भाई जगत के गुरु स्वनामधन्य रामभद्राचार्य हैं। ये वे संत हैं जिन्होंने
मुलायम सिंह यादव को किस्म-किस्म से कोसते हुए मायावती से बड़े भाई का रिश्ता
गांठने की कोशिश की थी। उन्हीं भइया रामभद्राचार्य से मिलने मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव चित्रकूट आ रहे थे । अब पता नहीं संत शिरोमणि अखिलेश से कौन सा रिश्ता गांठने
की कोशिश कर रहे हैं। आधिकारिक खबर यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव 13 सितम्बर को चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य
विकलांग विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शरीक होने जा रहे
थे । जैसा नाम से जाहिर है कि यह विश्वविद्यालय रामभद्राचार्य का है। रामभद्राचार्य
जन्म से दृष्टिहीन और अक्षरहीन हैं। लेकिन वे इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।
वे भी आजीवन ! विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार,
अनियमितता और धोखाधड़ी व जालसाजी के खिलाफ विजिलेंस की जांच हो चुकी है और विजिलेंस
विभाग आपराधिक मुकदमा भी दर्ज करा चुका है। विजिलेंस विभाग ने आईटी एवं
इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग से भी विश्वविद्यालय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की
सिफारिश की है। अब विश्वविद्यालय की मान्यता समाप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है,
लिहाजा मुख्यमंत्री को मुख्य अतिथि बना कर संकट से मुक्ति पाई जा
सकती है। तभी तो 20 अप्रैल को संपन्न हुए दीक्षांत समारोह
के चार ही महीने बाद फिर से दीक्षांत समारोह के आयोजन की जरूरत आ गई !
कथावाचक रामभद्राचार्य के इस विश्वविद्यालय के
खिलाफ वर्ष 2005 में सतर्कता जांच शुरू हुई थी। तब मुलायम
सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद फिर सत्ता बदली और मायावती
मुख्यमंत्री बनीं। 2010 में भद्राचार्य ने 'स्निग्ध
अनुजा मायावती जी' को एक भावुक पत्र लिखा था। उस पत्र में
मायावती के प्रति जिन अतिरिक्त मर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया गया था,
मुलायम सिंह यादव के प्रति उतने ही अमर्यादित शब्द-संबोधनों का
इस्तेमाल हुआ था। रामभद्राचार्य ने अभद्र तरीके से मुलायम सिंह को विद्वेषपूर्ण
दृष्टिकोण वाला व्यक्ति बताया और मुलायम के कुत्सित जाल से मुक्ति पाने की छटपटाहट
अभिव्यक्त की। भद्राचार्य आखिर में लिखते हैं, 'मैं यह
अपेक्षा करता हूं कि छोटी बहन की ओर से बड़े भाई को सकारात्मक उत्तर प्राप्त होगा।'
मायावती को भेजे गए पत्र पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग
विश्वविद्यालय के स्वयंभू कुलाधिपति रामभद्राचार्य का अंगूठा छाप लगा हुआ है।
निरक्षर रामभद्राचार्य केवल बोलते हैं, उनके बोले पर लिखते
अन्य लोग हैं, उस पर वे केवल अपना अंगूठा लगाते हैं।
विजिलेंस विभाग ने चित्रकूट के कर्बी थाने में जो मुकदमा दर्ज करा रखा है, उसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, वित्तीय अनियमितताओं की तकरीबन सारी धाराएं शामिल हैं। इसके अलावा उसमें एक और धारा शामिल है आपराधिक षडयंत्र का। विजिलेंस के इस आपराधिक मुकदमे में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रामभद्राचार्य खुद ही अभियुक्त हैं और उनके साथ उनकी सचिव गीता देवी उर्फ बुआ जी , पूर्व कुलपति प्रो. गोरखनाथ पांडेय, कुलसचिव डॉ. अवनीशचंद्र मिश्र और प्रवक्ता विपिन कुमार पांडेय भी अभियुक्तों में शुमार हैं। इनके कारनामों के विस्तार में हम बाद में जाएंगे। हम तो अभी यह बता दें कि इसी विश्वविद्यालय के इसी साल दूसरी बार हो रहे दीक्षांत समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुख्य अतिथि के रूप में महिमामंडित हो जा रहे थे ? यह अखिलेश की महिमा का मंडन है या महिमा का खंडन, इस पर तो मुख्यमंत्री को ही चिंतन-मनन करना है।
मुख्यमंत्री के आने की सहमति विश्वविद्यालय को बाद में मिली होगी, उसके पहले ही समाजवादी पार्टी के चित्रकूट के जिलाध्यक्ष अनुज सिंह यादव ने मुख्यमंत्री को इस बारे में आगाह कर दिया था। मुख्यमंत्री सचिवालय के सूत्रों ने तो इसकी आधिकारिक पुष्टि की ही, साथ ही इस संवाददाता की अनुज सिंह यादव से भी बातचीत हुई। उन्होंने कहा, 'ऐसे स्थान पर मुख्यमंत्री का आना ठीक नहीं, जहां मुलायम सिंह यादव के प्रति अपमानजनक शब्द और व्यवहार का इस्तेमाल होता हो।'
आशीष सागर ने मुख्यमंत्री के नहीं आने पर खुसी जाहिर की है l
By : आशीष सागर
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