Letter to Home Minister from Bundelkhand Farmer Prem Singh


Letter to Home Minister from Bundelkhand Farmer Prem Singh


आदरणीय ग्रह मंत्री,भारत सरकार, नई दिल्ली।

इस देश का ​किसानऔर विशेषकर बुन्देलखण्ड का ​किसान भयावह विपदाओं के दौर से गुज़र रहा है। और अकेला महसूस कर रहा है। हालाँकि यह पिरणाम आपकी सरकार के कारण नहीं हैं अपितु विकास के उस माडल, िजसको नेहरू जी ने स्वीकारा था, के कारण हैं और उसके चार प िरणाम हैं, खेतों की अनुत्पादकता, असन्तुिलत पर्यावरण, ज़हरीला खाना और मज़दूर बनता/आत्म हत्या करता ​किसान।जो ​किसान, जब पूरा विस्व मंदी के दौर से गुज़र रहा था तब भी पूरे देश को उसके प्रभाव से बचा सकता है, वह ​किसान केवल एक सालओले पड़ने से आत्म हत्या नहीं कर सकता।इसकी जड़ें संविधान,संसद और राजनैत​कि द्रिष्िट कोंण में हैं। आपको गत चुनाव में जो भारी बहुमत मिला था, उसमें हम ​किसानों का एक बड़ा िहस्सा था,आपकी सरकार से बड़ी अपेक्षायें थीं। उन अपेक्षाओं में एक यह भी थी ​कि हम ​किसानोंके मूल समस्या की समीक्षा की जायेगी और आमूल प िरवर्तन कारी क़दम उठाये जायेंगे। क्र िष नीित बदली जायेगी और कर्िष को प्रभावित करने वाली अन्य नीितयों की पुनः समीक्षा की जायेगी जैसे-खनिज नीित,पर्यावरण नीित,जल नीित आिद।

 

महोदय,

िहन्दुस्तानी राजनीति की कुछ विडम्बनाओं की तरफ़ आपका ध्यानाकर्षण कराना चाहते हैं-

१-आज़ादी से अब तक १५ बार लोक सभा का गठन हुआ, हर बार रूिलंग पार्टी की सहमति से कुछ सांसद राष्ट्रपति महोदय द्वारा नामित ​किये जाते हैं , िजन्हों ने राष्ट्र िहत में काम ​किये हैं। आज तक पैसे लेकर नाचने गाने वाले लोग, पैसे केिलये खेलने वाले लोग, पार्टी को चंदा देने वाले लोग,िजसमें आज तक उनसे ​किसीकोभी राष्ट्र िहत नहीं िदखाई िदया है,का मनोनयन ​किया जाता है। ८० %​किसान होने के बावजूद कोई ​किसान आज तक ​किसान मनोनीतनहीं हुआ, क्या ​किसानी राष्ट्र िहत नहीं है?

२-इसी प्रकार राज्यों मेंिशक्षकों,व्यापारियों,वकीलों,ग्रेजुयेटों आिद के प्रितिनििध विधायक हैं।​किसानों के क्यों नहीं हो सकते? और यदि कहें​कि जो सांसद,विधायक चुनेजाते हैं उनमें भी तो ​किसान हैं, तो महोदय ये सब पार्टी और अपने नेताओं की विचार धारा से बँधे हुये लोग हैं, जो उस लाइन से हट कर राष्ट्र िहत और ​किसान िहत की बात नहीं कर सकते।

३-इस देश में सैकड़ों की तादाद में पद्म पुरस्कार,साहित्य के पुरस्कार,विज्ञान के िलये पुरस्कार आिद अनेक कार्यों और क्षेत्रों के िलये दिये जाते हैं,आज तक ​किसी ​किसान और ​किसानी के िलये कोई सम्मान नहीं है। ऐसे में जब ऊपर के लोग ही ​किसान और ​किसानी का सम्मान नहीं करते तो नीचे के लोग अर्थात्कर्मचारी कैसे सम्मान करेंगे?और क्यों ​किसी का मन ​किसानी में लगेगा। और जब मन ही न लगेगा तो विकास कैसे होगा?

४-​किसानों की आत्म हत्या का तात्काल​कि और मूल कारण क़र्ज़ से दबा होना है। जून के महीने में जब बैंक वसूली के िलये ​किसानों के ऊपर दबाव बनायेंगे, तब आत्म हत्या का दौर अबू और बढ़ेगा। यदि आप ​किसानों के िहत में कुछ करना चाहते हैं तो छोटे बड़े सभी ​किसानों, बँटाई द्ारों की पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी,बिजली के बिलों की माफ़ी त्तकाल करें। वसूली स्थगित करना,क़र्ज़ का िरकान्सट्रक्सन करना ​किसानों के साथ धोखा है,क्योंकि ,ब्याज रात िदन चलती है।

५-बीमा कम्पिनयां राज्य सरकारों के साथ मिलकर लूटने का काम करती हैं। बीमा कम्पनियों के ऐसे साँप-सीढ़ी की तरह नियम बनाये जाते हैं,जिसकी जानकारी हम ​किसानों को नहीं है। यदि बीमा कम्पिनयां प्रीमियम लें तो प्रीमियम लेते समय ही ​किसान और बैंक को सूचित करें ​कि नुक़सान होने पर कितना मुआवज़ा देंगी और कब।िपछली ख़रीफ़ के बीमा की जाँच कराई जाय।

६-​किसानों को दी जा रही सब्सिडी एवं सहायता एक धोखा है इनमें केन्द्र सरकार के मंत्रालय,राज्य सरकारें और सरकारी कर्मचारी तीनों िमल कर लूट मचा देते हैं। प्रमाण के िलये केन्द्र द्वारा दिये गये पैके ज की जाँच करा ली जाये। कातो यह बन्द ​किया जाये अथवा ​किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार सीधे िदया जाय। बुन्देलखण्ड के ​किसानों को पूरी छूट घेरबाड़ हेतु दी जाये।

७-महोदय ​किसानों से सम्बंिधत सभी िबभाग केवल वेतन लेकर बन्द वातानुकूिलत कमरों में बैठ कर केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जारही सब्सिडी का बन्दर बाँट करते रहते हैं, कभी खेतों में जाकर ​किसानों से सम्पर्क नहीं करते, सहयोग नहीं करते। पशु पालन विभाग के डाक्टर तो ​किसानों को लूट रहे हैं,यदि ​किसी ​किसान का कोई जानवर बीमार हुआ तो डाक्टर साहब १००० के नीचे दरवाज़े नहीं पहुँचते। अत: या तो ए िबभाग बंद कर प्राईवेट कर दिये जायें अथवा कार्यानुसार मूल्याँकन ​किया जाये।

८-देश के सम्पूर्ण ​किसानों को मुफ़्त िशक्षा,मुफ़्त न्याय,मुफ़्त दवा की व्यवस्था हो,क्योंकि यह दोहरी प्रणालियाँ भी ​किसान की आत्म हत्या का मूल कारणों में से प्रमुख है।

९-वर्तमान मनरेगा पूर्ण ​किसान विरोधी है। या तो ​किसानी के कार्य को राष्ट्रीय कार्य घोषित कर बिना जाति और वर्ग भेद के मनरेगा का सदुपयोग पानी रोकनें,मेड़ बाँधने,पेंढ़ लगाने आिद में ​किया जाय अथवा बन्द ​किया जाये।

१०- बुन्देलखण्ड में यह लगातार दूसरी वर्ष ऐसे समय पानी बरसा है जब फ़सलें पकने का समय था। जिसकी वजह से ​किसानों के पास अगली फ़सल के िलये कोई बीज नहीं है। अत: अगली फ़सल के िलये अंबा से बीज का प्रबंध, िबना ​किसी मूल्य के कर लिया जाये।

११-वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा ज़बरदस्ती तरीक़े से भूमि अ िधग्रहण िबल लागू ​किया जा रहा है यह ​किसी भी तरह से ​किसान िहतैसी नहीं है,इसको ​किसी भी तरह से रुकना चािहये।

धन्यवाद।

भवदीय:
प्रेम सिंह
ह्यूमेन एग्रे्रयन सेंटर, बाँदा।