अखण्ड बुंदेलखंड राज्य - Akhand Bundelkhand Rajya
अखण्ड बुंदेलखंड राज्य
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
"अपनों बुंदेलखंड "
हरआदमी के ह्रदय में यह इच्छा रहती हैं कि उसकी जन्मभूमि का उत्थान हो, चहुंमुखी विकास हो तथा वह क्षेत्र देश विदेश में सुविख्यात हो। हम अपनी जननी के निकट रहे या दूर परन्तु जननी के प्रति आदर और प्रेम यथावत रहनी चाहिए।
भगवान श्री राम की वनस्थली, पाण्डवों की शरणस्थली, देवतुल्य पूज्य दिमान हरदौल, महाराजा छत्रसाल, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, प्रतापी वीर सिंह जू देव, रणचंडी दुर्गावती, महान पराक्रमी आल्हा ऊदल की वीर भूमि; गोस्वामी तुलसीदास जी, वेदव्यास जी , केशव, बिहारी, गुप्त, ईसुरी व वृन्दावन की साहित्यिक धरा ;संगीतकार तानसेन, गायक बैजू, मृदंग बाजक कुदऊ, उस्ताद आदिल खां, विश्व विजयी गामा पहलवान, हाकी के जादूगर दद्दा ध्यान चन्द्र, चित्र कार कालीचरण जैसे महान व्यक्तित्व की धरती बुन्देलखण्ड में जन्मे हर व्यक्ति का फर्ज है कि इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास हेतु पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी करें।
भारत का इतिहास बुन्देलखण्डियो की वीरता और त्याग का इतिहास रहा है। अनीति के विरूद्ध संघर्ष करने एवं दूसरों के हितों की रक्षा करने का इतिहास हैं। नि :संदेह हम सब बुन्देलखण्ड वासी इस वीर वसुंधरा बुन्देलखण्ड में जन्म लेकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। हमारी वीरता व सम्पन्नता से द्वेष रखने वाले गैर बुन्देलखण्डी आकाओं ने बुन्देली धरा के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, भौतिक व राजनैतिक विकास को अवरूद्ध कर दिया है। शोषण, अन्याय व निर्दयता पूर्ण दोहन की पराकाष्ठा को पार कर देश की आजादी के 68 वर्षो बाद भी बुन्देलखण्ड वासियो को सच्ची स्वतंत्रता का एहसास नहीं होने दिया गया। स्वदेशी आकाओं की गुलामी से त्रस्त यह क्षेत्र आज अनेक विकराल समस्याओं से जूझ रहा है। आज सभी राजनीतिक दल सोची समझी रणनीति के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र को हांसिये पर लाना चाहते हैं।
आज बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन को सशक्त और प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता है एवं अलग राज्य निर्माण के लिए बुन्देली आम जन मानस को जागरूक होने की आवश्यकता है। हर वर्ग की सक्रियता से ही इस पुनीत उद्देश्य की प्राप्ति हो सकती है। आप सभी गतिमान होकर संघर्ष में शामिल हो, बहुत जल्द बुन्देलखण्ड राज्य एक हकीकत होगा।
जय बुन्देलखण्ड!
कुँवर विक्रम सिंह तोमर