बुंदेलखंड : एक सांस्कृतिक परिचय - बुन्देलखण्ड की संस्कृत साधना (Sanskrit Practice of Bundelkhand)
बुंदेलखंड : एक सांस्कृतिक परिचय
बुन्देलखण्ड की संस्कृत साधना (Sanskrit Practice of Bundelkhand)
भारतवर्ष के मध्य में स्थित विन्ध्य की ऊंची नीची उपत्यकाओं से आच्छादित भूखण्ड बुन्देलखण्ड के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में बुन्देली बोली प्रचलित है। इसमें सामान्य रुप से झांसी, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, टीकमगढ़, पन्ना, छतरपुर, दतिया, सागर दमोह आदि जिले आते हैं। प्राचीन काल में इस प्राकृतिक प्रदेश को "जेज्जाकभुक्ति' एवं दशार्ण देश के रुप में माना जाता था। चन्देलों के समय इस क्षेत्र का नाम जुझौतिया बाद में पंचम सिंह विन्ध्येला के वंशजों ने जब इस क्षेत्र पर अपना आध्पित्य स्थापित किया तब इसका नामकरण बुन्देलखण्ड हुआ। बुन्देलखण्ड का प्राकृतिक क्षेत्र दक्षिण में मैकल, पूर्व में कैमूर, उत्तर'पूर्व में केंजुआ, मध्य में सारंग और पन्ना तथा पश्चिम में भीमटोर एवं पीर पर्वत श्रृंखलाएं फैली हुई हैं। प्राकृतिक वैभव प्राचीन वास्तुकला अपार खनि सम्पदा एवं प्रचुर साहित्य साधना की दृष्टि से यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
प्राप्त स्रोतों के आधार पर बुन्देलखण्ड में संस्कृत साहित्य साधना का विकास दो रुपों में मिलता है। प्रथम जो इस क्षेत्र में जन्में साहित्यकार तथा दूसरे वे जो बाहर से आकर यहां बस गए। रामायण काल में वामदेव, अत्रि, अगस्त्य, सरभंग, मतंग वाल्मीकि आदि ॠषियों को आश्रम इस प्रदेश में थे। महाभारत के रचयिता वेद व्यास तथा श्री रामचरित मानस के रचयिता श्री तुलसी दास आदि इस क्षेत्र के अनुपम देन हैं। चंदेल वंशी राजाओं के शिलालेखिय काव्य प्रशस्तियों के कवि माधव, नंद, देवधर, रत्नपाल आदि हैं। इनकी साहित्यिक प्रतिभा के दर्शन खजुराहों के लक्ष्मण मंदिर, विश्वनाथ मंदिर तथा अजयगढ़ दुर्ग आदि के शिलालेख में प्राप्त है।
आदि कवि वाल्मीकि का जन्म या आश्रम की स्थिति लालापुर - चित्रकूट - नामक पहाड़ी पर मानी जाती है। रामायण के रचनाकार से श्रीरामचन्द्र जी वन गमन के समय भाई लक्ष्मण, जगज्जजनी सीता सहित यहीं मिले थे।
महर्षि वेद व्यास का जन्म अदरी - बांदा - या काल्पी - जालौन - माना जाता है। आपने अष्टादश पुराण, महाभारत सहित लिखे, श्रीमद्भागवद् सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ हैं।
विष्णुगुप्त "चाणक्य' का जन्म पन्ना पच्चीस मील दूर चणक - नचना - माना जाता है। अथशास्र उनकी सर्वप्रतिष्ठित रचना है। वे चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे।
वररुचि की जन्मभूमि कोसम - चित्रकूट - थी। इसका उल्लेख श्री जयंकशर प्रसाद ने अपने ग्रंथ में किया है। वे मगध के मंत्री तथा वृहत्कथा - कथा सरित सागर - के लेखक थे।
भवभूति का जन्म पद्मपुर - पवायां - था। किन्तु उनके प्रसिद्ध नाटक उत्तर रामचरित का मंचन काल प्रियनाथ - काल्पी - के मंदिर में सर्वप्रथम हुआ।
कृष्णमित्र ने - प्रबोध चंद्रोदय - प्रतिकात्मक नाटक लिखा। वे चंदेल नरेश कृतिवर्मा के समकालीन थे। इस नाटक का मंचन खजुराहों के मंदिर प्रांगण में किया गया था। यह भावप्रधान प्रतिकात्मक नाटक है तथा समकालीन संस्कृति का दपंण है।
वत्सराज ११६३ - १२०३ कालिं नरेश प्रमदिदेव के आमात्य थे। उन्होंने छः विभिन्न प्रकार के रुपकों की रचना की जो षटरुपकम् के नाम से प्रकाशित है।
राजा संग्राम शाह - १४८० - १५४२ - गोन्ड वंशी राजा के साम्राज्य का अंश बुन्देलखण्ड - दमोह सागर पन्ना- था। उन्होंने - रास रत्नमाला- लिखी।
राजा दलपति शाह का विवाह चंदेल नरेश - राट - की पुत्री रानी दुर्गावती से हुआ। उन्होंने "गढ़ेश नृप वर्णन श्लोका:' लिखा। रानी के नाम पर जबलपुर में विश्वविद्यालय स्थापित है।
श्रीकेशव पंडित राजा दलपति शाह के समकालीन थे। इन्हें "केशव लौंगाक्षि' के नाम से भी जाना जाता है। इनकी प्रमुख रचना नृसिंह चम्पु, पद्धाव चम्पु तथा मिमांसार्थ प्रकाश है।
श्री मित्रमिश्र बुन्देलखण्ड नरेश राजा वीरसिंह देव आरेछेश के आश्रित कवि थे। इनकी प्रमुख रचना "वीरमित्रोदय - मीमांसा का महानिबंध - यज्ञावल्यक्य, स्मृति टीका तथा आनन्दकण चम्पू है। इनका गद्य, पद्य लेखन में समान अधिकार था।
राजा हृदयशाह महाराज छत्रसाल के पुत्र संस्कृतज्ञ थे। इन्होंने "हृदय कोतुकाद' तथा "उदय प्रकाशन' लिखा है।
श्री शुक्लेश्वर - १८१० - ९९ - का निवास हमीर पुर जनपद है। भरद्वाज गोत्रीय कान्यकुब्ज थे। इनका एक नाटक "प्रबोधोध्यम्' प्राप्त है।
पं. माधव दास - १८५५ ई. - आप सागर जनपद में संस्कृत शिक्षक थे। "मानसोपायनम्', "हरिश्चन्द्र कला' प्रकाशित है।
महावीर प्रसाद द्विवेदी - १८३४ - १९२८ ई. - - संस्कृत व्यंग्यकार - आपका जन्मस्थान झांसी है। आपने उद्भट श्लोका - काव्य - शिवाष्टकम्, प्रभातवर्णनम्, समस्यापूर्ति: काकपूजितम्, समाचार सम्पादक, अस्वतः, अयोध्याराज प्रशस्ति तथा कान्यकुब्ज लीलामृतम् लिखे हैं।
रामदयाल पण्डित --१८७८ ई.-- आप दतिया के निकट ढढौली में संस्कृत शिक्षक थे। आपने समस्या पूर्ति --काव्य-- तथा प्रश्न शिरोमणि लिखा है।
रामनाथ चतुर्वेदी --१८९६-- ई. आप जालौन जनपद निवासी थे। गीत संग्रहः, पद्य पेतिका, नवदुर्गास्तवः, जुझौतिया परिचयः --खण्ड काव्य-- तथा रस मन्जरी टीका लिखी है।
विष्णुदत्त शुक्ल की कर्मभूमि बुन्देलखण्ड है। आपने गंगा सागरीयम् --महाकाव्य-- तथा सौलोचनीयम्, --संस्कृतानुवाद-- लिखा है।
पं. सुधाकर शुक्ल - आपकी कर्म भूमि दतिया है। पं. लोकनाथ शास्री "दर्शन केसरी' ने आपको सर्वश्रेष्ठ कवि घोषित किया। "गाँधी सौगन्धकम्', "भारती स्वयम्बरम्' --महाकाव्य-- देवदूतम्, केलिशतकम्, सूत्रोपनिद, आर्य सुधाकरम्, छन्दोलंकार आदि की रचना की है। इन्दुमति --नाटिका-- लेनिन लीलामृतम् तथा रोटिका अपूर्ण ग्रन्थ है। आप हिन्दी काव्य ग्रन्थों के प्रणेता भी थे।
पं. वैद्यनाथ चतुर्वेदी - आप का चन्म शाहपुर --सागर-- में हुआ। आपने गुप्तेपूयराकाष्टम्, नर्मदा वैभवम्, तुलसी चरितम्, मंगलम सूग्यतयः लिखा है।
पं. रामजी उपाध्याय - आप हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में संस्कृत विभागाध्यक्ष थे। द्वा सुपर्णा
--उपन्यास-- भारतीय संस्कृति माविधि नाट्य शास्रीयनुसंधानम्, संस्कृत निबन्धावली आदि रचनायें हैं। "सागरिका' सम्पादन से सम्बद्ध रहे।
पन्नालाल जैन - सागर जनपद के परगुआं ग्राम में आपका जन्म सम्वत् १९११ ई. में हुआ। गद्यचिन्तामणि, जीवन्धर चम्पू, परदेव चम्पू, प्राणिचरितम् धर्मयार्माभयुदम्, पद्मपुराणम् लिखे हैं।
जानकी प्रसाद द्विवेदी - आपका जन्म गढ़ाकोटा --सागर-- में सन् १९७९ में हुआ। श्रृंगार तिलिकम, रावण --खण्डकाव्य--, घटकपर काव्य की संस्कृत टीका लिखी।
गोविन्द शस्री दुर्खेकर - आपका जन्म सागर में हुआ था। आपने सुभद्रा हरणम, हर हर महादेव नाटकम्, सीताचरित्र चन्द्रिकातीमः लिखा है।
डॉ. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी "बागीश' - आपका जन्म बिलैय्या --सागर-- में अषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी सं. १९९१ वि. में हुआ। शोध पत्रिका "सारस्वतसुषमा' का सम्पादन किया। एक धातु क्रिया से ६४००० शब्दों की उत्पत्ति बताई। धात्वर्थ विज्ञानम् --दो खण्ड-- पाणिनीय धातु पाठ समीक्षा, टालस्टाय कथा, मंगल मायूखः --उपन्यास--, कृपकाणम् नागपाशः --रेडियो नाटक-- बीज वृक्षम् कथा सम्वर्तिका --लघु कथा-- आदि ग्रन्थ लिखे। वाग्योग चेतना पीठ के द्वारा संस्कृत प्रिशिक्षण शिविर संचालित किये। शब्दोद्र प्रकाशः, अनुंधान पद्धितः, योग चक्राकृति: की भी रचना की है।
डॉ. कृष्णकान्त चतुर्वेदी - आपका जन्म सन् १९३६ ई: में हुआ। आपके पिता चित्रकूट निवासी थे। आपने गंगा स्तुति, कालीदास प्रशस्ति:, नर्मदास्तुति: लिखी तथा ॠतम्भरा का सम्पादन किया।
डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी - आप हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में संस्कृत विभागाध्यक्ष हैं। संधानम् -- मौलिक काव्य संग्रह-- प्रेम पियूषम् --रुपक-- महाकवि कन्टकः, पंचवटी --खण्डकाव्य-- आदि की रचना की है।
डॉ. प्रेम नारायण द्विवेदी - आपका जन्म सन् १९२२ ई. में सागर में हुआ। सौन्दर्य सदा शती --मुक्तक-- बिहारी सतसई का संस्कृत अनुवाद, रामचरित महाकाव्य --रामचरित मानस का पद्यानुवाद-- कादम्बरी का संस्कृत पद्यानुवाद, स्फुट स्तोत्र की रचना की है।
कोविदा चरण त्रिपाठी - विश्वविद्यालय सागर में विभागाध्यक्ष हैं। आपके पिता बुन्देलखण्ड निवासी थे। नलाख्यानम् --खण्डकाव्य-- आदि रचनायें है।
पंडित राधालाल गोस्वामी - १९वीं शती के कवियों में आपका स्थान अग्रगण्य है। आपका जन्म सं. १९०४ में बड़ी बड़ौनी --दतिया-- में हुआ था। श्री सौन्दर्य सागर का प्रकाशन सं. १९८५ में बम्बई से हुआ। कृष्ण महिमा में स्फुट पद्य लिखें हैं। आपका देहावसान सं. १९८९ में हो गया।
पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित - आपकी कर्मभूमि झांसी है। आपकी प्रमुख रचनायें वीर प्रताप नाटक, भारत विजयम्, शंकर विजयम्, पृथ्वी राजविजयम्, गांधी विजयम्, भक्त सुदर्शनम्, भूमारोद्धारणम् आदि है।
पं. मुकुन्द लाल सिंह - आपका जन्म सन् १९०३ में दतिया में हुआ। आपने श्री द्वारिकाधीश स्तोत्रम् कमलापत्यष्टकम् लिखा है।
पं. छोटे लाल गोस्वामी - दतिया निवासी गोस्वामी जी का, जन्म सं. १९३५ वि. तथा निधन सं. २०१४ वि. में हुआ। आपने दैवज्ञ मनोहर, तिथ्यादि रत्न सिद्धि, श्री बाला जी श्लोकाष्टकम् लिखे हैं।
श्रीरामरुप शास्री अमर - आपका जन्म तालवेहद --ललितपुर-- में हुआ। आपने श्री शारदा संस्तुति, श्री देवमातुराष्टकम्, श्री सूर्यस्तुति, भारतवर्ष वन्दना, संस्कृत राष्ट्रभाषा --काव्यांजलि-- लिखी है।
डॉ. हरिनारायण दीक्षित - आपका जन्म जनवरी १९३६ ई. में पड़कुला --जालौन-- में हुआ। आपने संस्कृत निबन्धावलि, संस्कृत साहित्य में राष्ट्रीय भावना, शोध लेखावली, भारतीय काव्यशास्र मीमांसा, भीष्मचरित्रम्, हनुमद्दुूतम् आदि लिखे हैं जो साहित्य अकादमी तथा उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा पुरस्कृत हैं।
डॉ. कैलाशनाथ द्विवेदी - आपका जन्म कोंच --जालौन-- में हुआ। आपने जीवन अपराजित --कथा-- लेखांजलि --संस्कृत अकादमी द्वारा पुरस्कृत--, संस्कृत कवयित्रियों का योगदान आदि की रचना की है।
जयकुमार जलज - आपका जन्म २ अक्टूबर १९३४ ई. में ललितपुर में हुआ। आपने संस्कृत नाट्य शास्र - एक पुनर्विचार, संस्कृत और हिन्दी नाटक - रचना और रंगकर्म आदि लिखे हैं।
डॉ. हरिराम मिश्र - आपका जन्म सं. १९६९ वि. पन्ना में हुआ तथा संस्कृत में शोध् प्रबन्ध संस्कृत नाटकों में रस, प्रस्तुत किया तथा स्फुट रचनायें लिखीं।
पं. रामचरण त्रिपाठी - आपका जन्म सहेबा --बाँदा-- में हुआ। आपने व्याकृत व्यासराज --उपन्यास-- मुक्तावली, वैदिक देवता उद्भव और विकास, वामन अवतार की कथा और पुराणों में विकास, चण्डीपुरान आदि की रचना की तथा केन्द्रीय संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हुये।
पं. रामशरण त्रिपाठी - आपका जन्म सम्वत् १९५३ वि. अछरौड़ --बाँदा में हुआ। आपने कौमुदीकथा कल्लोलिनी,
लिखी। निधन २००८ वि.।
श्री सुरेन्द्रनाथ वर्मा - आपका जन्म सन् १९०८ ई. --स्थाई निवास झांसी--। आपने "कण्वचरितम्' --चम्पूकाव्य--, भाववीथिका --उ.प्र. संस्कृत ग्रन्थ अकादमी द्वारा पुरस्कृत-- तथा यक्ष गीत की रचना की है।
पं. कृष्णदत्त अवस्थी - आपका जन्म बड़ोखर --बाँदा-- में हुआ। आपने हरदौल चरितम् तथा साम सुधा की रचना की।
पं. कृष्ण दत्त चतुर्वेदी - आपका जन्म बाँदा जनपद में हुआ। आपने उषा परिणय --महाकाव्य-- की रचना की तथा रुद्रीयम् --आकाशवाणी प्रसारित लघुकथा संग्रह-- भी सम्पादित किया है।
पं. रामकृपाल द्विवेदी - आपका जन्म सं. १९९१ वि. ग्राम शिव --बाँदा-- में हुआ। आपने मयूरदूतम्, नलदमयन्तीयम् --नाटक्--, लोकायनम् तथा शिवसम्मोहनम्, कामद स्तोत्रम, शिवाष्टकम्, शारदा सप्तकम, मारुत्याष्टकम् आदि की रचना की है।
देवदत्त शास्री "विरक्त' - आपका जन्म राजापुर --चित्रकूट-- में हुआ। आपने कौमुदी महोत्सव तथा तन्त्र शास्र पर अनेक ग्रन्थ लिखे।
पं. ओंकार त्रिपाठी - आपका जन्म सन् १९३५ ई. --बाँदा जनपद-- में हुआ तथा "गीत सुधा' दो खण्डों में में प्रकाशित कराई।
डॉ. श्यामसुन्दर बादल - आपका जन्म सम्वत् १९६४ वि. घाट कोपरा --झांसी-- में हुआ तथा "टीकाकार मल्लिकनाथ' लिख कर प्रकाशित कराई।
आचार्य हरिराम - आपका जन्म मार्ग शीर्ष पंचमी सं. १९६७ वि. ओरछा में हुआ। आप राधावल्लभ सम्प्रदाय के आचार्य थे। आपने वृंदावनमहिमा शतक तथा चैतन्य चरितामृत आदि की रचना की है।
आचार्य बाबूलाल गर्ग - जन्म २ अप्रैल सन् १९२८ ई. चर --चित्रकूट-- है। रचना - मेघदूत में रामगिरि-चित्रकूट, कालिदास श्रद्धांजलिका।
पीताम्बरापीठ दतिया के स्वामी जी संस्कृत के अद्भट विद्वान थे। आपने बगुलामुखी रहस्यम्, सिद्धांत रहस्य, दर्शन शास्र संग्रह, वैदिक उपदेश की रचना की तथा अनेक प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का प्रकाशन ा#ी कराया। बुन्देलखण्ड में सर्वश्री बालकृष्ण शास्री तैलंग, श्री प्रेमनारायण गोस्वामी, श्री अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, पं. कृष्ण किशोर द्विवेदी कंठमणि शास्री देशिकेन्द्र आदि सर्वप्रसिद्ध संस्कृतज्ञ हैं।
बुन्देलखण्ड में संस्कृत साहित्य की साधना में जैन विद्वानों का योगदान अनुपम है। अनेकानेक ग्रन्थ अप्रकाशित स्थिति में यत्र-तत्र बिखरे हुये हैं जिनकी ओर विद्वजनों का ध्यान आकर्षित होना अपेक्षित है।
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Courtesy: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र