(Article) प्रदेश विभाजन का जाल बना जंजाल
ARTICLE : प्रदेश विभाजन का जाल बना जंजाल..
राजनीति की तुला पर बदलते समीकरणों के चलते उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजन करने की कवायद कर रहे लोगों की आशाओं को पूर्ण होने के दिन नजदीक आ गये है। जो कांग्रेस लम्बे समय से राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना की मांग को मंजूरी देने में आनाकानी करती रही उसी कांग्रेस ने कानपुर में आयोजित अपने प्रादेशिक सम्मेलन में राज्यविभाजन का राजनैतिक प्रस्ताव लाकर प्रदेश के बटवॉरे का रास्ता सुगम करने की दिशा में पहल करते हुए माया को उन्हीं के जाल में फंसाने का प्रयास किया है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में छीजते जनाधार को बड़ाने के लिये जीजान से जुटी हुई है। इसी के तहत कांग्रेस ने देश और प्रदेश कों छोटे-छोटे राज्यों के रूप में विभाजित करने का मार्ग प्रशस्त करने का मन बना लिया है। दिल्ली में राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना की घोषणा आज नही तो कल होने की राह अब रुकने वाली नहीं है वाराणसी के दौरे पर उ.प्र. में आते ही प्रधान मंत्री डा0 मनमोहन सिंह द्वारा प्रदेश सरकार के पाले में प्रदेश के बटवारे का प्रस्ताव भेजने की बात कह कर ठन्डे बस्ते में चला गया प्रदेश बटवारे का मुद्दा एक बार फिर गर्म कर दिया है। प्रदेश मुखिया मायावती ने इस मुद्दे को गरम होते ही पलट वार करते ही प्रधानमंत्री को राज्य की तीन विभाजन के लिए चिट्ठी लिख दी। लोकसभा चुनाव आने से पहले उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ गयी है।
कल तक विभाजन पर चुप्पी साधने वाली भारतीय जनता पार्टी भी विभाजन के पक्ष में खड़ी होती नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के विभाजन के विरूध्द खड़े है, प्रदेश के विभाजन से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को ही होता दिख रहा है। राष्ट्रीय लोकदल के नेता मुन्ना सिंह चौहान तो ताल ठोक कर राज्य पुर्नगठन आयोग को तुरन्त बनाने की मांग कर रहे है, वे कहते है। उत्तर प्रदेश की भौगोलिक बनावट अलग-अलग है पूर्वाचंल में बाढ़ है तो बुन्देलखण्ड में सूखा है हरित क्षेत्र में गन्ना होता है तो मध्य उत्तर प्रदेश में आलू होता है इन चारों क्षेत्रों को एक ही डंडे से नही चलाया जा सकता है।
पूर्वाचंल राज्य के लिए लम्बे समय तक सड़कों पर संघर्ष करने बाली अंजना प्रकाश कहती है कि अब बुनकर और बाढ़ से पीड़ित बदहाल पूर्वाचंल तथा सूखा से सूखते बुन्देलखण्ड के लोगों के दिलों में पनप रहे सपने के साकार होने के दिन नजदीक आ गये है। सत्ता के केन्द्रीय करण के चलते पूर्वाचंल के गरीब किसानों, मजदूरों, बुनकरों की गाढ़ी कमाई का सिला नही मिल पाता। बुनकरों की भयावह स्थिति देखकर डर लगता है। जब अपना राज्य होगा तो यहॉ के नागरिकों को चौबीस घण्टे बिजली मिलेगी और अपनी सरपल्स बिजली उद्योगों को देने में कामयाब होंगे। पर्यटन उद्योग विकास और समृध्दि के नये द्वार खोलेगा।
बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष राजा बुन्देला कहते है बुंदेलखण्ड एक विशिष्ट भू-सांस्कृतिक इकाई का नाम है। इसे प्रदेशों की सीमा में बांट कर नहीं समझा जा सकता है। न सरकारी मदद, न रोजगार, अन्नदाता लाचार यह कहानी पिछले पॉच वर्षो से लगातार सूखे से सूखते बुंदेलखण्ड के लोगों की है जिन्होंने इन हालातों से तंग आकर 12 सौ से भी अधिक किसानों ने मौत के आगे घुटने टेक दिये, सरकारें भले ही किसानों की जा रही आत्महत्या को न स्वीकारे लेकिन पूरे बुंदेलखण्ड का इलाका इस सच को जानता है बुंदेलखण्ड की हर गाँव की एक ही कहानी है। हर महीने कोई न कोई विपदा आती है। कुछ आत्महत्याऐं करते है तो कुछ भूख के खिलाफ बगावत करते है तो उन्हें बागी कहा जाता है लेकिन इस बागी के अतीत की उस कालिख मय जीवन को जानने की किसी को फुर्सत नहीं। Read more..
Courtesy : Hindinest.com
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