क्या बुंदेलखंड मे इस वर्ष फिर सूखा ??
एक बार फ़िर से बुन्देलखंड में सूखे जैसी नौबत की संभावना बन रही है। भीषण गर्मी में आमजन, पशु सब अकुला रहे है। गर्मी के तल्ख तेवर कम होने का नाम ही नहीं ले रहे। मानसून के आने के बाद भी वर्षा न होने से किसानों के माथे में चिंता की लकीरें पड़ गई है। सभी यह सोच कर दहल जाते है कि क्या इस वर्ष भी पिछले वर्षो की भांति सूखे की भयावह स्थिति से रूबरू होना पड़ेगा। किसान अब बरखा रानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।
गर्मी इस वर्ष अपने पूरे शबाब पर है। जिससे धरती से जल स्तर खिसकने लगा है। लगातार चार साल से बुंदेलखंड के किसानों को सूखे की मार झेलने के बाद पिछले वर्ष हुई बारिश ने कुछ राहत तो जरूर पहुंचाई थी। मगर इस वर्ष मानसून आने के बाद भी बारिश न होने से किसानों को फिर वहीं पुराने दिन याद आने लगे है। रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिये ग्रामीण अंचलों में धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गये है। महोबा जिले के कुलपहाड़ के मां बाघ विराजन मंदिर में पिछले एक सप्ताह से संकीर्तन और पूजा पाठ का दौर चल रहा है। किसान को भी फसल बुवाई के लिये बरखा रानी का इंतजार है। पहले 15 जून से ही आसमान से बारिश होने लगती है। जिससे किसान अपने खेतों में खरीफ फसल की बुवाई करने लगता था। लेकिन इस वर्ष अब तक बारिश न होने से किसानों में चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा सकती है। सभी मायूस हो बस इंद्रदेव की मेहरबानी का इंतजार कर रहे है। लेकिन वह यह सोचकर दहल जाते है कि क्या इस वर्ष भी पिछले चार वर्षो की भांति सूखे की भयावह स्थिति से रूबरू होना पड़ेगा। सभी किसान अब बरखा रानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।
बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय कहते है कि बुंदेलखंड मे उद्योगों का अभाव होने के कारण यहाँ का निवासी पूरी तरह खेती पर निर्भर है इसलिए वह मौ़सम में थोडी सी अनियमितता से ही घबरा जाता है. वे कहते है कि हमारी पार्टी इसीलिए सदैव सरकारों से मांग करती आ रही है कि बुंदेलखंड मे औद्योगिक विकास की दरकार है ताकि यहाँ का किसान कृषि का विकल्प तो पा सके.
--
संजय पाण्डेय
- root's blog
- Log in to post comments