(Public Appeal) Nav Durga Puja Foe River Climate, Bundelkhand
जन अपील : नवरात्रि में पर्यावरण को खतरा
भक्ति से ओत-प्रोत हुये बुंदेलखंड में ये धार्मिक उन्माद है !
- देवी प्रतिमाओं के विसर्जन से पर्यावरण को बढ़ा खतरा!
- नदियों-तालाबों का हर साल होता है जल प्रदूषित, करोड़ो रूपये बरबाद
- पहाड़ की खदानों में गहरे 300 मी0 गड्ढों में करे मूर्ति विसर्जित
बांदा ब्यूरो: नवरात्रि की दुर्गा पूजा से बुदेलखंड के समस्त नगर वासी, ग्रामीण कस्बों के आम नागरिक और महिलायें, युवा इस समय भक्ति से सरोबार है। यह लाजिमी भी है आखिर हर साल की तरह इस वर्ष भी करोड़ो का धार्मिक उन्माद, नषा पूरे लब्वो लबाब में है। मिली जानकारी और मीडिया की खबरों के मुताबिक सिर्फ चित्रकूट धाम मंडल बांदा मे ही पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल मूर्ति स्थापना केन्द्रों मे इजाफा हुआ है। जनपद में कुल 160 मूर्तियां बतायी गयी है। जहां पर विद्युत उपकरणों, चकाचैध कर देने वाली सजावटो, पंडालों से लैस मां की प्रतिमायें भक्तजनों के आस्था का केन्द्र बिंदु है।
लगातार साल दर साल ये नव दुर्गा पूजा न सिर्फ बुंदेलखंड के साथ साथ अन्य प्रांतो, महानगरों के पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है अपितु इलेक्ट्रानिक विद्युत उपकरणो से निकलने वाली दूषित किरणों, साउन्ड लाउडस्पीकर से बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण और मानसिक रूप से व्यथित कम सुनायी देने वाले आम इंसानों के लिये यह एक धार्मिक उन्माद से कम नही है। बीते वर्ष 2009 में भी बुंदेलखंड में नवदुर्गा पूजा पर लगायी गयी मां की प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर एक आम बहस ने सामाजिक मुद्दा उठाया था जिसकी पहल करते हुये जनपद जालौन के उरई में कालपी कस्बे मे लगायी गयी मूर्तियों को समाज सेवियों, मूर्ति संगठनों की सुखद पहल के साथ गंगा नदी के किनारे ही गहरे गडढे में मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की गयी थी। मगर इस वर्ष वहां भी इसकी गूंज सुनायी नही पड़ रही है। बीते दिनों कानपुर नगर निगम ने एक निर्णायक फैसला लेते हुये गंगा नदी में मूर्ति विसर्जन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है।
बुंदेलखंड में जहां पहाड़ों के खनन से बेतहाषा ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, गिरता हुआ जल स्तर, सिल्कोसिस, टी0बी0, दमा जैसी गंभीर बीमारियों और असमय हुयी मौतो ने विकलांग हो चुके लोगो के परिवारो पर कहर बरपाया है। वहीं दूसरी पहलू यह है कि खदानों को निर्धारित सीमा तक पहाड़ो की खुदाई न करने के कारण उन स्थानों पर 300 मी0 तक के गहरे गडढे पाताल तक पहुंच चुके है। जिनमें वर्षा का जल भी है और वसुंधरा की तड़प भी है तथा गहरे गडढो के चारो तरफ ऊचाई के कारण प्रदूषित गंदगी भी उनके अंदर नही समा पाती है। इसलिये बुंदेलखंड के कुछ सामाजिक संगठनों जिनमें बंुदेलखंड रिसर्च ग्रुप फार डेवलपमेंट (बरगद)के संयोजक श्री अवधेष गौतम, प्रवास सोसायटी के निदेषक आषीष सागर ने प्रमुखता से नगर पालिका परिषद बांदा, जिलाधिकारी, जिला पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष महोदय से यह जन अपील की है कि आम पब्लिक व भक्त जनों, मूर्ति समाजो से यह सुनिष्चित कराये कि पहाड़ की खदानों में हुये गहरे गडढो के अंदर मूर्ति विसर्जन कराया जाये जिससे न सिर्फ केन नदी का पानी प्रदूषित होने से बच सकेगा, बल्कि टनों मिट्टी मूर्ति के माध्यम से उन गडढो को पूरने का काम करेगी। जन समर्थन की अपेक्षा में।
अवधेष गौतम एवं आषीष सागर (बुंदेलखंड)
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