(Poem) Banda ki Yadein .... by Nagesh Khare
Banda ki Yadein
वो नवाब टैंक की शाम ,, वो दीप ढाबा का जाम ,, वो डॉ.भारगव की दवा,, वो केन नदी की ठण्डी हवा,, वो बम्बेश्वर पहाड के झरने,, वो पाटी् मे डी. जे. की झूम,, वो विसरजन ओर मुहर्रम की धूम,, वो एस एम एस की चैटिंग,, वो महेश्वरी मन्दिर और संकट मोचन की सैटिंग,, वो बल्लू राम की चाट,, वो मन्नी चाय वाले की चाय,, वो बिन मतलब की राय,, वो मेन बाजार की सडकें,, जहॉ न जाने कितने दिल धडके,, वो मस्ती भरी बातें,, वो जीआईसी के टीचर,, वो टूटा हुआ फर्नीचर,, वो बेशरम के लहराते झाड,, हॉकी खेलते थे जिससे सब यार,, वो घंटा गोल कर 'मयूर' जाना,, वहाँ भोला की लइया खाना, फिर घर पर तमाम बहाने बनाना,, वो फिर सब की शिकायतें,, वो पापा की डाँट और माँ की रियायतें, बस यही हैं हमारे छोटे से बाँदा की यादें,, कहाँ गयी सब बातें,, वो शहर-ए-यार की यादें, हम बड़े हो गए हैं,, भीड़ में खो गए हैं,,
By : Nagesh Khare Nagi.
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Comments
nice poem