(कविता "Poem") बुंदेलखंड का राज्य गीत (हमारी माटी बुंदेली by कैलाश मड़बैया)
बुंदेलखंड का राज्य गीत (हमारी माटी बुंदेली by कैलाश मड़बैया)
भारत की जा पुण्य भूमि है तीरथ धाम हमारी
प्रानन बीच समानी जैसे हिय सी नैन दुलारी।
सुहानी सौंदी अलबेली,हमारी माटी बुंदेली ।
ऊची ऊची बजर पहडि़या जिन पै हॅसें लतायें।
विधना के रथ ठाॅड़े ,जैसें इन्द्र धुजा फहरायें।
रहीं नदियाँ चरण पखार। हमारी....।
इत जमुना उत बहै नर्मदा चम्बल टोंस प्यारी।
विंध्याचल सतपुड़ा षिखर के पाँव धोंय रतनारी।
रहीं अमृत नीर बहाय, हमारी.... ।
मउआ मेवा बेर कलेवा गुलगुच बड़ी मिठाई।
आॅचर आन बान की आगी साँसे सगुन समाई।
ओली त्रिया ईष खिलाये-हमारी....।
जी माटी खों खुदई राम ने चित्रकूट में पूजा।
की हुलसी नें तुलसी सौ बेटा जाऔ है दूजा ।
कवि वीर प्रसूता भू कौन-हमारी...।
‘रसिकप्रिया’केषव कविता कौ आँगन कौन न जानें।
राम स्वंय आ राज ओरछा वेत्रवती ढिं़ग मानें।
कवि वीर प्रसूता भू कौन-हमारी... ।
एक ताज क्या प्रिया प्यार के कैऊ नमूना भू पर।
प्रीत पगे भौजी विष भोजन कितै खाए हैं देवर घ् भए अमर लला हरदौल-हमारी...।
छत्रसाल से वीर बुंदेला तलवारों पै खेले कवि भूषण की उठा पालकी अगवानी में डोले।
जां पन्ना हीरा जाए-हमारी....।
जिनका सूरज कभऊ ना डूबा, उबे वे रानी से।
किसकी बनी बिसात भिड़े जो झांसी के पानी से।
नर ही नई नारी उजास ,हमारी...।
बुंदेली माटी की गारीं चतुर ईसुरी गाये।
मन में राम रजउ प्रानन में रुच रुच फाग सुनाये।
रचे कैसे गजब सिंगार, हमारी....।
होरी हियै हरे रंग घोरे गर्रा उठै उनारी ।
सरर अरर बालन भौजी पै टेसू दंए पिचकारी।
भए सेमर गाल गुलाल, हमारी....।
कोंडे नों कड़ गए फूस के कोड़ा कोड़ी जाड़े।
अपने प्रागराज कूँड़ा देव बुड़की लैवे ठाडे।
जय बम भोले जय माय।हमारी. माटी बुंदेली। ... एक अंष मात्रद्ध
By: कैलाश मड़बैया