(Poem कविता) बुंदेलखंड के "किसान" ("Farmers" of Bundelkhand)
(Poem कविता) बुंदेलखंड के "किसान" ("Farmers" of Bundelkhand)
"किसान"
बुंदेलखंड का मैं किसान हूँ,
निर्धनता से जूझ रहा ।
आती-जाती सरकारों को,
आस लगाकर देख रहा।
बारिश -सूखा के प्रकोप से,
वर्षो से मैं जूझ रहा।
आश्वासन के सब्जबाग से,
गम को अपने भूल रहा।
मेहनत से यदि उपज बढाई,
कम कीमत पर बेंच रहा।
बैंक कर्ज के डर से ऊपर,
घर के जेवर बेंच रहा।
मिट्टी का मैं तिलक लगाता,
चन्दन जैसे समझ रहा।
सुख-दुख को है गाँव की मिट्टी,
सुख शहरों के भूल रहा।
बुंदेलखंड का मैं किसान हूँं,
निर्धनता से जूझ रहा।
आती जाती सरकारों को,
आस लगाके देख रहा।
रचनाकार : राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय