जैन भजन Jain Bhajan by पं. देवीदास (बुंदेलखण्ड, दिगौड़ा ग्राम)
बुंदेलखण्ड के दिगौड़ा ग्राम मे जन्में पं. देवीदास (जैन) द्वारा रचित जैन भजन
संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया!
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया…!
कोई दुखिया धन बिन, दीन वचन मुख बोले,
भटकत फिरत दुनिया में, धन की चाह में डोले,
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया ! [1]
दौलत का तो भण्डार भरा है, तन में रोग समाया
निशदिन पीयी कड़वी दवाई, कहा करे नहिं काया।
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया ! [2]
तन निर्मल और धन को पाकर, फिर भी रहा दुखारी,
पूजन लगे कुदेवन को नर, पुत्र एक नहिं पाया
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया ! [3]
तन निर्मलऔर धन को पाकर, फिर भी रहा दुखारी,
पुत्र नहीं है आज्ञाकारी, और घर में कर्कश नारी ।
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया ! [4]
तन निर्मलऔर सुलक्षण नारी, पुत्र भी आज्ञाकारी,
तो भी दुखिया रहा जगत में हुआ ना छत का धारी,
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया ! [5]
देवीदास (बो ही जन) हैं सच्चे सुखिया, बिन-इक्षा के धारी,
क्रोध मान माया को तजकर, भये परम वैरागी,
इस संसार में कोई सुखी नजर नहीं आया !
-- Pt. Devidas Jain
पं. देवीदास के बारे में श्री गणेश वर्णी जैन शोध संस्थान से प्रकाशित पुस्तक देवीदास विलास में विस्त्रित वर्णन मिलता है। वर्तमान में दिगौड़ा (टीकमगढ़, म.प्र.) में भी एक पं. देवीदास शोध संस्थान की स्थापना की गयी है।