(Poem कविता) उठो उठो देश के सुसभ्य वीर
(Poem कविता) उठो उठो देश के सुसभ्य वीर
उठो उठो देश के शिक्षित सुसभ्य वीर, 
छत्रसाल शिवाजी महाराणा बन जाओ तुम। 
देश की लुटती हुई अस्मिता बचाने को,
वीर बजरंग बली जैसे बन धाओ तुम ॥
देवियो जागो जरा, वीर बसुधा है यह, 
पाश्चात्य संस्कृति की नकल ना दिखाओ तुम ॥ 
रानी दुर्गावती लक्ष्मी अहिल्या बन,
भारत के गौरव की शान को बचाओ तुम
देश में अन्याय भृष्टाचार नित्य बढ़ रहा, 
अपने पुरा पुरूषों की मर्यादा गंवाई है । 
मिली है स्वतंत्रता स्वच्छंदता ना बरतो तुम, 
न्याय और नीति से चलने में भलाई है॥ 
आशा है तुम्ही से हमें, देश के उत्थान हेतु, 
सत्य अहिंसा बाले शोलों पर चलते हैं।
उनके सुपथ में ना बाधक बने कोई, 
तोपों के गोले भी, ओले बन गलते हैं। 
उठो उठो देश के नवयुवक वीर बंधु, 
सत्य अहिंसा के पथ पर बढ़ जाओ तुम, 
कुचल दो अन्याय भृष्टाचार को मिटाओ तुम,
विश्व के कल्याण में जीवन चढ़ाओ तुम॥ 
तरूण चेतना
द्वारा : श्री बाबूलाल जैन, दिगौड़ा टीकमगढ़ (म.प्र.)