प्रवासनामा : सीबीआई की गिरफ्त में बुंदेलखंड की मनरेगा


सीबीआई की गिरफ्त में बुंदेलखंड की मनरेगा


8 साल में खप गए 32 अरब रुपए

अफसरों ने उडाया 97 करोड़ का नाश्ता

नए कलेवर में मोदी सरकार की मनरेगा योजना गाइड लाइन के तहत उत्तर प्रदेश के पिछडे विकास खंडों का चयन किया गया है। बुंदेलखंड के 7 जिलों में बांदा से बिसंडा, नरैनी, कमासिन, महुआ और बबेरू चित्रकूट से रामनगर, कर्वी, मानिकपुर, मऊ, पहाड़ी हमीरपुर से सरीला, मौदहा, मुस्करा महोबा से पनवाड़ी, चरखारी व जैतपुर जालौन से माधौगढ़, महेवा, रामपुरा, झांसी से गुरसरांय, बंगरा, चिरगांव, मऊरानीपुर, बामौर विकासखंड मनरेगा योजना में 2014 की गाइडलाइन में शामिल किए गए है। उत्तर प्रदेश में 823 में बुंदेलखंड के हिस्से में 403 विकासखंड आए हैं।

नए रंग में रंगी मनरेगा योजना पूर्व केंद्र सरकार की बहुआयामी रोजगार योजना थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का चुनावी दारोमदार भी इस योजना के ऊपर ही टिका था। कांग्रेस शासित राज्यों में राजस्थान मनरेगा योजना का पहला राज्य है जिसने 90 फीसदी रोजगार गारंटी अधिनियम को जमीन पर उतारा है। इसके पीछे राजस्थान में काम कर रहे गैरसरकारी संगठन मसलन मजदूर किसान शक्ति संगठन की जनपैरवी एक बड़ा कदम है। वहीं बुंदेलखंड की मनरेगा योजना भ्रष्टाचार के आगोश में डूबकर आज सीबीआई की गिरफ्त में पहुंच चुकी है।

हाई कोर्ट के आदेश पर आरटीआई कार्यकर्ता करवा रहा जांच

बांदा जिले के ग्राम खप्टिहा कला निवासी विजय सिंह चंदेल ने ग्राम प्रधान की दबंगई और भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला और उसकी लड़ाई उच्च न्यायालय तक पहुंच गई। जिला प्रशासन के समक्ष कई बार धरना-प्रदर्शन व अनशन करने के बाद भी इस सूचना आधिकार कार्यकर्ता को न्याय नहीं मिला। बदले में उसे ब्लैकमेलर और सरकारी काम में बाधा डालने वाला आम आदमी करार दिया गया। लेकिन विजय सिंह चंदेल ने सूचना अधिकार से जुटाए अपने तथ्यों को उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अर्जी देकर न्याय की गुहार लगाई। उसकी याचिका में बांदा के पूर्व जिलाधिकारी हरेंद्रवीर सिंह को पक्षकार बनाया गया है। हाईकोर्ट ने दो सदस्यीय टीम में केंद्र नहर प्रखंड के अधिशासी अभियंता ओपी मौर्या व सहायक निदेशक रेशम एके राव को शामिल किया है। याचिकाकर्ता ने इस ग्राम पंचायत में 20 लाख रुपए सरकारी धन के दुरुपयोग का दावा किया है। ग्राम खप्टिहा कला के अलावा भी नरैनी क्षेत्र की ग्राम पंचायत खलारी में अवैध बालू खनन से बनाए गए नाले, सड़क निर्माण और रपटा में ग्राम प्रधान ने अपने सगे भाई रामशरण पटेल के माध्यम से फर्जी बिल भुगतान दिखाकर 38,52,942 लाख रुपए वर्ष 2010-11 में खर्च किए है। ग्राम पंचायत खलारी की जांच आज भी जिला पंचायत राज अधिकारी बांदा की फाइलों में सड़ाध मार रही है। इसी तरह महुआ ब्लाक की ग्राम पंचायत दुर्गापुर के प्रधान प्रेम नारायण द्विवेदी भाजपा नेता ने ग्राम पंचायत में विवाहित लड़कियों के जाॅब कार्ड बनाकर मजदूरों का भुगतान निकाल लिया। यहां तक की उनके अपने रिश्तेदार जो इचैली-मौदहा क्षेत्र के रहवासी हैं जिनके जाॅब कार्ड दुर्गापुर से बनाए गए। हैरत की बात नहीं कि गांव में हर साल दस-बारह बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने वाला यह प्रधान आज 20 लाख की लग्जरी गाड़ी अपने पास रखता है। सदर विधायक विवेक सिंह का कहना है कि मुझसे अधिक रुतवेदार तो गांव की प्रधानी है। प्रवासनामा टीम के पास दुर्गापुर प्रधान के खिलाफ आरोपों की वीडियो रिकार्डिंग व ग्रामीणों के बयान उपलब्ध है।

इसी प्रकार ग्राम पंचायत गौरीकला का ग्राम दिनेश गुप्ता उर्फ साधू प्रधान यूं तो जसपुरा कस्बे में अरहर की दाल के साथ चटरी का व्यापार करता है मगर क्या हुआ कि गांव के मनरेगा की सूचना मांगने पर सूचना अधिकार कार्यकर्ता विक्रम सिंह के साथी बाबू को साजिशन मरने पर मजबूर कर दिया गया। फिलहाल इस ग्राम प्रधान का लड़का एक दुर्घटना मर्डर के केस में पुलिस, न्यायालय की चपेट में है। पिता और पुत्र अंर्तराष्ट्रीय स्तर के खेसारी -चटरी व्यापारी हैं। इसी प्रकार ग्राम पंचायत नगनेधी के ग्राम प्रधान रामहित गोयल व ग्राम सचिव प्रमोद द्विवेद्वी पर इसी गांव के रामसिंह ने राज्य वित्त, तेरहवां वित्त मनरेगा, शौचालय की चयनित सूची, पौधरोपण व आवासों की चयनित सूची की जानकारी गत 7 नवंवर 2013 को सूचनाधिकार में मांगी थी, लेकिन सूचनाधिकार को कूड़ादान समझने वाले ग्राम सचिव ने राम सिंह को अब तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, बदले में सचिव और प्रधान की धौस-धमकी से आजिज राम सिंह न्याय की गुहार लगा रहा है।

इसी प्रकार पड़ोसी जनपद महोबा के पनवाड़ी और कबरई कस्बे में जमकर फर्जी भुगतान किए गए। सीबीआई टीम ने गत दिवस बांदा और महोबा से मनरेगा योजना में किए गए भ्रष्टाचार के कागज जुटाए हैं।
बांदा जनपद की 18 ग्राम पंचायतों ने 15 करोड़ 19 लाख 94 हजार 260 रुपए निकाले इन ग्राम पंचायतों में 2012 तक किए गए काम मनरेगा योजना के भ्रष्टाचार की कहानी है।

सीबीआई ग्राम पंचायतों में क्यों नहीं गई

विकास भवन से कागज जुटाकर सर्किट हाउस में कागजों के अध्यन करने वाला केंद्रीय जांच दल बुंदेलखंड की ग्राम पंचायतों में क्यों नहीं गया यह बड़ा सवाल है। जबकि असल खेल तो बीहड़ में बसे गांवों में ही किया गया है। फर्जी मस्टररोल भरना, मुर्दो के नाम जाॅब कार्ड और मनमाने तरीके से किए गए काम हकीकत में ग्राम पंचायत के हकीकत की पोल खोलते हैं। कुछ एक ग्राम पंचायतों से बुंदेलखंड के मनरेगा योजना के घपलों की पड़ताल नहीं की सकती इसके लिए सीबीआई को फील्ड पर निकलना चाहिए अगर वास्तव में मजदूर के साथ न्याय करना है तो।

किस जिले में कितना खर्च

  • बांदा - मनरेगा से 5 अरब 14 करोड़ रुपए खर्च हुए इसमें 3 अरब 27 करोड़ रुपए मजदूरी और 1 अरब 74 करोड़ रुपए मटेरियल के नाम पर निकाले गए।
  • चित्रकूट - यहां पर 3 अरब 82 करोड़ रुपए खर्च हुए जिसमें 2 अरब 39 करोड़ मजदूरी और 1 अरब 31 करोड़ रुपए सामग्री में खर्च दिखाया गया।
  • हमीरपुर - यहां 5 अरब 36 करोड़ रुपए मनरेगा से 8 वर्ष में खर्च हुए जिसमें 3 अरब 34 करोड़ रुपए मजदूरी और 1 अरब 88 करोड़ रुपए की सामग्री की खरीदी की गई।
  • महोबा - यहां 2 अरब 49 करोड़ रुपए खर्च किए गए जिसमें 1 अरब 63 करोड़ रुपए मजदूरी और 78 करोड़ रुपए सामग्री खर्च दर्शाया गया।

अफसरों ने खाया 97 करोड़ का नाश्ता

मनरेगा से गांव के मजदूर काम न मिलने से भले ही महानगरों की तरफ पलायन करते रहे। भले ही बुंदेलखंड में किसी किसान को मजदूरी भत्ता नहीं मिला। भले ही कर्जदार किसान गरीबी में मर गया लेकिन मनरेगा योजना की 97 करोड़ रुपए प्रशासनिक खर्च के नाम पर सरकारी अफसरांे ने नाश्ते में उड़ा दिए।

बंधी और तालाब बने घोटाले के गवाह

बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले में 1.85 करोड़ रुपए की लागत से 21 तालाबों का निर्माण होना था इसके लिए 1.56 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण विकास लिमिटेड कर्वी चित्रकूट को दिए गए। ऐसा तब हुआ जब योजना में ठेकेदार और ऐजेसियों से काम लेने की मनाही थी। जब 91 लाख के काम हो गए तब 65 लाख की वसूली का आदेश दिया गया। यह वसूली आज भी नहीं की जा सकी है।

बुंदेलखंड में मनरेगा योजना के अनुश्रवण के लिए एनजीओ की भागेदारे तय नहीं थी। बावजूद इसके 2008 से 2011 के बीच 10 करोड़ पौधे की निगरानी का काम दिया गया। इसके बदले इन्हें 68.81 लाख का भुगतान किया गया। इन संस्थाओं को बसपा सरकार में तत्कालीन प्रदेश के ग्राम विकास मंत्री दद्दू प्रसाद की कृपा प्राप्त थी। मनमाने तरीके से इनसे पौधरोपण कार्य का अनुश्रवण कराया गया और भुगतान भी कर दिया गया। बुंदेलखंड के सातों जिलों में माॅडल तालाब, कच्ची सड़कों का निर्माण, पौध वितरण, इंटरलाॅकिंग, मिट्टी भराई, निर्माण आदि कार्य आंख मूंदकर मानकों के विपरीत किए गए। जिसको भी सीबीआई टीम को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

By: आशीष सागर