संपूर्ण क्रांति: पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण


संपूर्ण क्रांति: पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण


सशक्त जनक्रांति + स्व राजनैतिक क्रांति =सम्पूर्ण क्रांति ~ बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण

पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए म प्र व उ प्र बुन्देलखण्ड क्षेत्र के आम जनमानस को पृथक राज्य निर्माण के लिए संकल्पबद्ध होकर संपूर्ण क्रांति लानी होगी।

संपूर्ण क्रांति से प्रथम आशय है समस्त प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य क्षेत्र में सशक्त जनक्रांति अर्थात सक्रिय जनआंदोलन खङा करना होगा।
एवं द्वितीय आशय यह कि प्रस्तावित क्षेत्र में राजनैतिक क्रांति अर्थात स्व राजनैतिक ताकत हासिल कर, बुन्देलखण्ड की संपूर्ण क्रांति से बुन्देलखण्ड राज्य का निर्माण हो सकता है।

जब हर एक बुन्देलखण्डी ठान लेगा कि उसे बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की लङाई लङनी है तो निश्चित रूप से हमारी समग्र जीत होगी।

जिस दिन हर बुन्देलखण्डी पृथक राज्य के लिए कमर कस लेगा उस दिन दिल्ली का तख्त भी डगमगा जायेगा और वर्षो की ख्वाहिश चन्द्र दिनों पूरी हो जाएगी। इसके लिए किसी हिंसात्मक विरोध या असंवैधानिक कार्य करने की जरूरत नहीं है।

बुन्देलखण्डियो को सत्याग्रह व अहिंसा का रास्ता अख्तियार कर अपना लक्ष्य भेदना होगा।

बुन्देलखण्ड वासियो को देश की संसद, उ प्र व म प्र की विधानसभाओं पर बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राज्य निर्माण हेतु दबाव बनाना है परन्तु यह दबाव तभी बनेगा जब हम ऐसे जनप्रतिनिधियों को सदन में भेजे जो सच्ची निष्ठा से बुन्देलखण्ड राज्य का प्रबल हिमायती हो।

बुन्देलखण्ड के लोगों को जाति, धर्म, स्वार्थ और दलगत राजनीति को ठोकर मारनी होगी और बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए जनसमर्थन जुटाने के लिए तन मन धन से योगदान करना होगा। बुन्देलखण्डियो को बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए वोट देना सीखना होगा ।अपने देश में हर समस्या का इलाज राजनीति से होता है बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण भी राजनीतिक मुद्दा है जिसका हल भी बुन्देलखण्डियो की स्वराजनैतिक ताकत से होगा ।बुन्देलखण्ड के लोगों को ऐसे कर्मवीरो को सदनों में पहुंचाना होगा जो वर्षों से बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए लङ रहे हैं ।ऐसे सभी बुन्देली कर्मवीर बुन्देलखण्ड के किसी क्षेत्रीय दल (जो हमेशा इस लड़ाई में अगुवाई करता रहा हो )से चुनाव लड़े तो अच्छा होगा क्यों कि ऐसे दल में बुन्देलखण्डी ही हाईकमान होगा तो बुन्देलखण्ड का हित सर्वोपरि रखेगा । यदि ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो अलग अलग दलों से चुनाव लड़ रहे राज्य समर्थको को जिताकर सदनों तक भेजे और इन कर्मवीरो को संकल्प दिलाये कि आप कहीं भी किसी भी दल में रहे , अपनी माटी का कर्ज चुकाने के लिए दल से ऊपर उठकर बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए दिल से भरसक कोशिश करेंगे।

इस लङाई को बुन्देलखण्ड की आजादी की लड़ाई मानकर त्याग करने की आवश्यकता है।जिस दिन बुन्देली आवाम सब मुद्दों को नकारकर ,जाति व धर्म पर वोट बन्द कर केवल बुन्देलखण्ड राज्य के लिए वोट देना सीख जायेगा तब यहां के स्वार्थी नेता झंडा व डन्डा लेकर सङको पर लेटकर जय जय बुन्देलखण्ड चिल्लायेगें।

बुन्देलखण्ड की दुर्दशा के अन्त के लिए बुन्देलखण्ड राज्य बेहद जरूरी है, इस पुनीत उद्देश्य की प्राप्ति हेतु गतिमान होकर जन जन को जुटना होगा।

बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण का मतलब भारत के नक्शे में परिवर्तन करना है, संपूर्ण क्रांति ही बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण को हकीकत प्रदान कर सकता है।

जय जय बुन्देलखण्ड।

"भारतीय संविधान में राज्य विभाजन की प्रक्रिया "

1- संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार किसी नये राज्य का गठन, किसी राज्य का विभाजन या राज्यों के कुछ हिस्सों को आपस में बदलने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार के पास है।

2-किसी भी राज्य के विभाजन के लिए न तो राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने की आवश्यकता है एवं न ही राज्य सरकारों की सहमति की।

3-अगर किसी राज्य का विभाजन कर नया राज्य बनाना हो तो केन्द्र सरकार केबिनेट की मंजूरी से प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजता है। राष्ट्रपति केबिनेट के प्रस्ताव को उस राज्य या राज्यों को भेजते हैं जिनका विभाजन होना है। सम्बंधित राज्यों की विधानसभा को एक निश्चित अवधि में अपनी राय राष्ट्रपति को भेजनी होती हैं। अगर किसी विधानसभा द्वारा इस प्रस्ताव का विरोध भी किया जाता है तो उसका कोई असर नहीं पङता है।

राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद केन्द्र सरकार को राज्य विभाजन के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में पारित कराना होता है। संसद में पारित होने के बाद प्रस्ताव को फिर से राष्ट्रपति को भेजा जाता है। अन्त में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य का विभाजन कर नये राज्य का गठन किया जाता है।

प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य

प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य में उ प्र के 7 जिले झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा शामिल हैं। म प्र के 6 जिले दतिया, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह, पन्ना शामिल हैं।

इसके अलावा म प्र के कुछ आंशिक जिलों को सम्मिलित किया गया है। सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा, भिण्ड जिले की लहार विधानसभा, शिवपुरी जिले की पिछोर करैरा विधानसभा, अशोकनगर की चन्देरी विधानसभा क्षेत्र को, शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। कुछ समय से मैहर, कटनी, व गंजबसौदा को प्रस्तावित क्षेत्र में जोड़ने के लिए राज्य समर्थक मांग करते हैं।

फिलहाल उ प्र, म प्र व केन्द्र सरकार उपरोक्त 13 जिलों के बुन्देलखण्ड क्षेत्र को मान्यता देता है।इन्हीं जिलों में सरकारें बुन्देलखण्ड पैकेज देती है । सांस्कृतिक दृष्टि से बुन्देलखण्ड भूभाग बहुत बड़ा है जिसमें 20 से ज्यादा जिले सम्मिलित हैं।

अतः कुल 13 जिले एवं म प्र के कुछ आंशिक जिलों को शामिल कर राज्य समर्थक जनमत संग्रह व जन आकांक्षाओं के बिहाफ पर प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य को अलग राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं।

लेखक -कुँवर विक्रम प्रताप सिंह तोमर
युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष, बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा