(Report) चित्रकूट धाम मंडल में 852 स्थानो पर हो रहा खनन्
चित्रकूट धाम मंडल में 852 स्थानो पर हो रहा खनन्
प्रकृति को सन्तुलित रखने वाले बुन्देलखण्ड मे सर्वाधिक त्रासदी का प्रकोप पहाड़, उन पर लगी हुई भारी भरकम खदाने और रोजमर्रा की तरह दिन रात हो रहे धमाको से जहां आस-पास के स्कूलो मे मातम है वही पिछले ढाई दशको के अन्तराल मे मरने वाले श्रमिक, आम नागरिक के जहन मे आज भी इन खदानो के प्रति दबा हुआ जनाक्रोश है लेकिन सरकार को उनकी औकात बताने वाले बुन्देलखण्ड के दबंगो मे शामिल खनन् माफिया के आगें जमीन का आदमी भला कैसे सिर उठाने कि जहमत कर सकता है। महोबा, चित्रकूट, बांदा मे जिन क्षेत्रों पर खनन् जारी है वहां लगातार अनाधिकृत रूप से प्रकृति की सम्पदा का दोहन हो रहा है।
जनपद बांदा मे मटौंध कस्बा के सिद्ध बाबा व गणेशिया पहाड़ी पर चार हेक्टेयर भूमि वर्ग कि0मी0 प्रभाव के दायरे मे है वहीं नरैनी तहसील के बड़े इलाके मे पहाड़ो पर अवैध खनन् जारी है कुल 250 हेक्टेयर भूमि अनुमानित तौर पर लीज के क्षेत्र मे आती है, महोबा मे कुल 330 खदाने है जिनमे 2500 हेक्टेयर भूमि प्रभावित है, चित्रकूट मे कुल 272 खदानो पर पत्थर तोडने का कार्य किया जाता है जिसमे लगभग 2200-2400 हेक्टेयर भूमि खनन् क्षेत्र मे है। इसके अतिरिक्त कृषि भूमि व प्रदूषण से प्रभावित हजारो वर्ग कि0मी0 की उपजाऊ भूमि अलग से सम्मलित है।
बुन्देलखण्ड मे प्राकृतिक दोहन का उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान
जनहित याचिका मे प्रदेश के प्रमुख सचिव माइन्स एवं मिनरल्स, लखनऊ की तरफ से
काउन्टर हलफनामा दाखिल
खनन् माफियाआंें के द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र विशेष मे प्राकृतिक सम्पदा का दोहन
रोकने को लेकर किये जा रहे जनसंघर्ष और पहाड़ो, वनो, वन्यजीवो के पुर्नवास हेतु उच्च
न्यायालय मे दायर जनहित याचिका की बीते 22.12.2010 को हुई सुनवाई केे दौरान पक्षकारो
की तरफ से पैरवी करते हुये हाई कोर्ट वरिष्ठ वकील डा0 एच0 एन0 त्रिपाठी ने मुख्य
न्यायधीश के समक्ष काउन्सिल पार्टी न0 5 की तरफ से एक काउन्टर हलफनामा जवाब लगाया
है जिसमे उ0प्र0 प्रमुख सचिव माइन्स एवं मिनरल्स व पांच अन्य की तरफ से कहा कि स्वयं
सेवी संगठन प्रवास द्वारा जनहित याचिका मे यह बतलाया जाय कि बुन्देलखण्ड जिन स्थानो
पर खदाने, ब्लास्टिगं की जा रही है वह कुल कितने हेक्टेयर भूमि है। साथ ही उन्होने
स्वीकार किया है कि उ0प्र0 प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड से पटटे् धारको खनन् से पहले
अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना चाहिये जबकि पूर्व मे जन सूचना अधिकार के तहत प्रदूषण
बोर्ड निदेशक ने यह स्वीकार किया है कि लीज धारक विभाग से कोई सहमति नही लेते है।
दायर याचिका मे प्रमुख रूप से पाचं मागों को रखा गया है जिसमे अधिकृत रूप से गौरतलब
है!
- माइन्सं एवं सेफ्टी जनरल डायरेक्टर को न्यायालय द्वारा यह निर्देश दिया जाय वह प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के उपरान्त ही खनन् की अनुमति प्रदान करेंगे।
- केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड व यू0पी0 स्टेट माइनिगं विभाग से भी खनिज, खनन् करने वाले लीज धारक एन0ओ0सी0 लेने के बाद ही खदान शुरू करेंगे।
- उ0प्र0 राज्य सरकार इस बात सुनिश्चित करेगी की माइनिगं अधिनियम 1961 का किसी भी दशा मे उलघंन नही किया जायेगा तथा खनन् को प्रत्येक माह सर्वे के दायरे मे लाया जाय।
- कोर्ट से याचिका कर्ता ने यह भी निवेदन किया है कि खदानो मे हुई ब्लास्टिगं व खनन् करने के समय हुई अब तक कि मौतो का उचित मुआवजा, परिवारिक जनेा को सरकार से सुरक्षा प्रदान की जाये।
- संगठन की दाखिल याचिका का सम्पूर्ण खर्चा उ0प्र0 सरकार से दिलाया जाय।
इस जनमुहिम को सार्थक करने के लिये मण्डल के सभी जनपदो, गावों मे हस्ताक्षर अभियान व पोस्ट कार्ड से केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी घेरे मे लिये जाने की कारगर पहल की जा रही है।
आशीष सागर
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