(Report) पानी को खोजते पानीदार

पानी को खोजते पानीदार

पानी आजीविका के कारन बरगढ़ के अदिवासिंयो ने पलायन करना सुरु कर दिया है, बरगढ़ के नव निर्वाचित ब्लाक प्रमुख भाई भारत पटेल सत्य् नारायण नगर के अदिवंसियो ने पलायन न कर अपनी नदी जगाने के लिए २० फरवरी से किये जा रहे प्रयांसो से निकली जल धाराओ को देख कर बहुत आश्चर्य चकित हुवे. सराहना की और कहा की बरगढ़ के जल स्रोंतों में पानी तेजी से हर वर्ष सूखता रहा है . हमारा समाज पानी और पेड़ो के प्रति बोलता तो है किन्तु रोकने प्रति प्रयास नहीं करता . यदि हालत रहे तो बरगढ़ में कोई भी जीवन नहीं बचेगा सभी भागेंगे. हम सभी लोंगो को नदिन्यो को जगाने के ऐसे प्रयांसो के प्रति सम्मान तथा मदद करनी चाहिए . मार्च के बाद चार्ज में आऊंगा सरकारी मदद जो मेरे अधिकार में होगी करूँगा. जिनके घरो मई भोजन नहीं है वह नदी जगा रहे यह बहुत ही ऊँची भावना है.

सामाजिक कार्य करता अभिमन्यु भाई ने बताया की नदिन्यो के किनारे पानी धारण करने वाले पेड़ो को लगातार ५ वर्षो से पेड माफिया कटा रहे है है इसमे सरकार भी सामिल है . जिसके कारन नदिन्यो के जल श्रोत सुख गए है इन मफिन्यो को बरगढ़ से हटने की वकालत सभी वर्गों को करनी चाहिए . इस पर भारत भाई ने समर्थन देने की बात कही .

श्रमदानी रामबदन ने कहा क़ि यदि हमारे कामो में नरेगा को जोडी दिया जाय तो नदी जागरण का हमारा संकल्प जल्दी पूरा होगा. ब्लाक प्रमुख महोदय ने पूरा अस्वाशन दिया .

दिनांक २ मार्च 2011 को महिला शांति सेना की महिलानो ने मंगल दिवस में जिलाधिकारी तथा मऊ के विकास खंड अधिकारी से नदी जागरण के कामो को नरेगा में लेने को कहा . ग्राम सेक्रेटरी के न होने से निर्णय नहीं लिया गया . सावित्री ने जिला अधिकारी से कहा की यदि भूखे गरीब लोंगो के नदी सफाई काम को नरेगा में दिनक ३ मार्च तक नहीं लिया गया तब हम लोग झाभ्री बाबा में क्रमिक अनसन पर बैठेगे .

बरगढ़ जनपद चित्रकूट बुंदेलखंड भारत का महत्त्व पूर्ण अंग है .पहाड़ नंदिया वन तथा समुदाय दवारा किये गए वीरता के कार्य गरीबो का समर्पण और उनकी पारदर्शिता बुंदेलखंड का वैभव रहा है . बरगढ़ बुन्देलखण्ड की पूरब दिशा का पहला भूभाग है. पुराने लोग बताते है की 100 वर्ष पूर्व यंहा के आदिवासी बहुत स्वस्थ्य थे घनघोर जंगलो में रहते थे . सिलिका की खदाने नहीं थी . टी बी बहुत कम थी . लेकिन ततकाल जन्मे बच्चो की म्रत्यु अधिक थी . यह लोग अधिक बच्चे पैदा करते थे . शीछा /स्कूल इनकी प्रथामिकताओ में नहीं था .

वर्ष २००० से लगातार २१००० जनसँख्या में नवजात बच्चो व् माताओ की म्रत्यु दर में लगातार गिरावट बड़ते बड़ते आज ०% के अस पास है. परिवार का अनुपात भी घटा है . महिलांए सामजिक मुद्दों में अगुवाई कर रही है . लिंग अनुपात भी ९०० के आसपास दिखता है . इसके बावजूद टी बी एड्स मरीजो की संख्या बाद रही है . स्वास्थ्य सुविधांए महंगी है . बच्चो का स्कूल दूर होना परिवंरो की गरीबी व् पलायन का सूचक है .जबकि आज सभी मताए आपने बच्चो की सिक्छा को तीसरी बड़ी प्रथ्मिक्तानो में रखती है . इसी कारन से पूर्व सांसद उद्द्योग्पति श्यामाचरण ने नदी जागरण को जीवन बचने के प्रयांसो का अंग मानते हुवे दिनाक २७ फरवरी २०११ को फावड़ा चलाया तथा माहिलानो की मांग पर लड्किन्यो के विदयालय हेतु ५ लाख देने को कहा.

अभिमन्यु
बुन्देल खंड शांति सेना कार्यालय
सर्वोदय ग्राम बेरिपुलिया
चित्रकूट