(Story) ब्लास्टिंग से थर्रा उठा कबरई का आफतपरी परेशान मोहल्ला

ब्लास्टिंग से थर्रा उठा कबरई का आफतपरी परेशान मोहल्ला

  • डेढ लाख रू0 में बिकी मौत
  • तीन सौ फुट गहरे गडढो में दफन होगे नरकंकाल

मटौध (पचपहरा)/कबरई - बुन्देलखण्ड में गुजरे तीन दशकों से लगातार जारी मौत की खदानों के चलते होने वाले हादसे व प्रकृति के अवैध दोहन और पहाड़ो को मिटाने की साजिश एक योजनाबद्ध तरीके से विन्ध्य क्षेत्र की हरियाली, जमीनो की उर्वरा शक्ति, इंसानों को बीमार बना देने वाली हवा के तहत ही शासन -सरकारों द्वारा अप्रत्यक्ष समर्थन से चलायी जा रही है। खनन उद्योग को लेकर बीते एक माह से शुरू हुआ जन संघर्ष कल दिनांक 23.10.10 को आंदोलन की एक रणनीति के बीच गुजरा है। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत होने वाली बैठक 24.10.10 के तहत एक दिवस पूर्व ही कल सामाजिक संगठनो ने खनन माफियाओं व स्थानीय पुलिस प्रशासन की अप्रिय घटना के चलते विशाल नगर (कबरई) / पचपहरा मटौध के खनन मजदूरों, महिलाओं के साथ बीते एक माह पूर्व ब्लास्टिंग मे मारे गये स्व0 उत्तम प्रजापति 8 वर्ष पुत्र छोटे लाल प्रजापति के आफतपरी परेशान मोहल्ला में आहूत की गयी।

उल्लेखनीय है कि उक्त स्थान व पचपहरा पहाड़ (सिद्ध बाबा) वही स्थान है जहां पर हुइ असमय की गयी पहाड़ ब्लास्टिंग के समय तकरीबन एक कि0मी0 दूर जाकर गिरे पत्थर से दुर्घटित हुये मृतक उत्तम का निवास गृह था। आयोजित बैठक में शामिल प्रवास सोसायटी के आशीष सागर व बुंदेलखंड रिसर्च ग्रुप फार डेवलपमेंट (बरगद) के संयोजक अवधेष गौतम ने मिली जानकारी के अनुसार बताया कि जिला खनिज अधिकारी महोबा ने फर्जी तरीके से तैयार रिपोर्ट के आधार पर प्रतिलिपि खनिज निदेशालय को करते हुये प्रतिबंधित की गयी सत्तासी खदानों को पुनः दुरूस्त मानको के साथ चालू करने की सिफारिस की है। बेबुनियादी दलीलो के चलते उनकी ही शह पर स्थानीय पुलिस प्रशासन ने मृतक उत्तम बनाम छोटे राजा पहाड़ मालिक पर दर्ज हत्या के मुकदमे को मृतक के पिता से धमकी देकर न सिर्फ उनके परिवार को घर से कहीं दूर रात गुजारने के लिये विवष कर दिया बल्कि एक झूठे बयान में हलफनामा लेते हुये यह भी लिखाया है कि - उत्तम की मृत्यु ब्लास्टिंग के पत्थर से नहीं वरन् घर में घूमते समय लगे हुये पत्थर के गिर जाने से हुयी है। अभी उक्त बयान की विवेचना रिपोर्ट आना बाकी है। लेकिन तयशुदा है कि मासूम के कातिल एक दफा फिर मौत की खदानों को शुरू करने के लिये आजाद हो जायेगे।

कल की बैठक में स्थानीय मजदूरो को संगठित कर सात व्यक्तियों को नामित किया गया जिन्हे मोहल्लेवासियों एवं ग्रामीण तबके के लोंगो को जागरूक करने के लिये निम्न भूमिकाये भी सौपी गयी है। जिनमे जल संकट, भूस्खलन, कम वर्षा, सूखा और अकाल, बंजर होती कृषि भूमि, बाल श्रमिक, महिला हिंसा, सिलकोसिस, टी0वी0 आदि घातक दुष्परिणामों के लिये जनपद महोबा के लोगो को जाग्रत करना है।

गौरतलब है कि ब्लास्टिंग का समय दोपहर 12 बजे से 2 बजे के मध्य हैं किंतु कल बैठक मे उपस्थित लोग खुद इस बात के गवाह है कि दोपहर 2:30 बजे तक एवं सायं 6:47 तक बराबर चंद कदमों पर किये जा रहे कीर्तन सिद्ध बाबा पहाड़ी एवं सैकड़ो मजदूरो के द्वारा शुरू किये गये सत्याग्रह के बाद भी बमबारी की जाती रही है। गाटा सं0 977 पचपहरा पहाड़, गाटा सं0 967 गंगा मैया, गाटा सं0 323 लौड़ा बाबा में 300 फुट तक के गहरे गडढे व 200 मी0 ऊपर तक के पहाड़ो को जमीन का पानी निकाल कर मौत की खदान बना दिया गया जिसमें शायद हर साल मरने वाले गुमशुदा मजदूरो, विकलांगता के शिकार बदहाल श्रमिको के नरकंकालो को दफन किया जायेगा। यह भी बताया गया कि मृतक के पिता छोटेलाल प्रजापति को बतौर मौत का हर्जाना रू0 डेढ़ लाख पहाड़ मालिक ने हलफनामें के बाद दिया है जिसने कही न कही मर जाने के बदले मुवावजे की परम्परा का आहवाहन भी कर किया है। बैठक में पंकज सिंह परिहार ग्राम गुगौरा (गंज), मोहन कबरई, मृतक के परिवारी जन के अतिरिक्त बुद्धजीवी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुन्देलखण्ड के बांदा चित्रकूट, महोबा व हमीरपुर मे पूरी तरह से पहाड़ - बालू खनन को हमेषा के लिये विराम देने की गुहार की है ताकि विन्ध्य का यह क्षेत्र रेगिस्तान न बन सके।

आशीष सागर, प्रवास